एक देश-एक चुनाव कमेटी की पहली मीटिंग 23 सितंबर को: पूर्व राष्ट्रपति ने दी जानकारी; एक साथ चुनाव कराने के कानूनी पहलुओं की जांच करेगी

भुवनेश्वर9 घंटे पहले

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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए बनाई 8 सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष हैं।

एक देश, एक चुनाव कमेटी की पहली बैठक 23 सितंबर को होगी। पूर्व राष्ट्रपति और कमेटी के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद ने शनिवार 16 सितंबर को यह जानकारी दी। मीटिंग कहां होगी, अभी ये नहीं बताया गया है।

इसके पहले 6 सितंबर को गृहमंत्री अमित शाह और कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने पूर्व राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात की थी। करीब एक घंटे तक चली इस मीटिंग को एक शिष्टाचार मुलाकात बताया गया था। अमित शाह इस कमेटी के सदस्य हैं और अर्जुनराम मेघवाल स्पेशल मेंबर हैं।

एक देश-एक चुनाव के प्रपोजल पर कानूनी पहलुओं की जांच के लिए केंद्र सरकार ने 1 सितंबर को एक कमेटी बनाई थी। कहा गया था कि कमेटी एक देश, एक चुनाव के प्रस्ताव से जुड़े कानूनी पहलुओं पर गौर करने के साथ ही आम लोगों की राय भी लेगी।

एक देश-एक चुनाव पर बिल ला सकती है सरकार
सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार एक देश, एक चुनाव पर बिल ला सकती है। इससे पहले कानून मंत्रालय ने कमेटी बनाई है। इसका मकसद कानून के मौजूदा ढांचे को ध्यान में रखते हुए देश में एकसाथ चुनाव कराने को लेकर जांच करना है। इसमें जांच की जाएगी कि लोकसभा, विधानसभा, नगर पालिका और पंचायतों के चुनाव एक साथ हो सकते हैं या नहीं।

आजादी के बाद लागू था वन नेशन, वन इलेक्शन
वन नेशन, वन इलेक्शन यानी एक देश, एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

वन नेशन, वन इलेक्शन के समर्थन में PM मोदी
मई 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई, तो कुछ समय बाद ही एक देश और एक चुनाव को लेकर बहस शुरू हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई बार वन नेशन, वन इलेक्शन की वकालत कर चुके हैं। संविधान दिवस के मौके पर एक बार प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था- आज एक देश-एक चुनाव सिर्फ बहस का मुद्दा नहीं रहा। ये भारत की जरूरत है। इसलिए इस मसले पर गहन विचार-विमर्श और अध्ययन किया जाना चाहिए।

विपक्ष एक देश, एक चुनाव के खिलाफ

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