‘इनको मारो जूते 4’…से…‘फारसी में हिंदू का मतलब चोर’ तक: धर्म पर बयानबाजी नेताओं की 40 साल पुरानी हैबिट; ठाकुर-बाभन…बनिया से होकर सुई अब सनातन पर अटकी

14 मिनट पहलेलेखक: देवांशु तिवारी

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देश की राजनीति में बीते 20 दिनों से ‘सनातन’ और ‘हिंदू’ शब्द गूंज रहे हैं। यूपी से लेकर तमिलनाडु तक नेता रैलियों में धर्म से जुड़े बयान देते नहीं थक रहे हैं। बीते 40 दिनों में ‘हिंदू’ शब्द को लेकर सबसे ज्यादा बयानबाजी करने वाले नेताओं में शीर्ष पर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम रहा।

18 सितंबर को मौर्य हरदोई में संविधान और आरक्षण संरक्षण सेना के कार्यक्रम में पहुंचे थे। लोगों की खचाखच भीड़ के बीच मौर्य बोलना शुरू करते हैं। भाषण के शुरुआती हिस्से में वह संविधान,आरक्षण, रोजगार, अडाणी, अंबानी के बारे में बोलते हैं। फिर, अचानक से उनकी सुई एक बार फिर ‘हिंदू’ शब्द पर आकर अटक जाती है।

स्वामी बोलते हैं- “हिंदू फारसी शब्द है। फारसी में इसका मतलब चोर, नीच, अधम है। हम इसे धर्म कैसे मान सकते हैं? हम जिसको हिंदू धर्म मानते हैं, वह हिंदू धर्म है ही नहीं। अगर हिंदू धर्म होता, तो सबको बराबर का दर्जा दिया जाता। हिंदू राष्ट्र की मांग पूरी तरह संविधान विरोधी है। ऐसी मांग करने वाले देशद्रोही हैं।”

बीते 1 महीने में ‘हिंदू धर्म’ को लेकर स्वामी का यह पांचवां विवादित बयान था। वैसे…यूपी की पॉलिटिक्स में धर्म और देवी-देवताओं से जुड़ी बयानबाजी का ये ट्रेंड नया नहीं है। 1984 के चुनावों से लेकर 2023 तक राजनीतिक दल और नेता धर्म को लेकर अपने बयानों के लिए हमेशा सुर्खियां बटोरते रहे हैं। चलिए ‘धर्म’ को टारगेट कर यूपी में होने वाली पॉलिटिक्स की हिस्ट्री को समझते हैं…

  • शुरुआत 39 साल पुराने एक चुनावी नारे से…

‘ठाकुर, बाभन, बनिया चोर, बाकी सब हैं डीएस-फोर’

बयान के पीछे की कहानीः कांशीराम 10 साल से दबे-कुचले लोगों के लिए आंदोलन कर रहे थे। हासिल कुछ नहीं था। साल 1984 में उन्होंने ठाना कि लड़ाई अब राजनीति से होगी। 14 अप्रैल, 1984 को उन्होंने बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा बनाई। कांशीराम कई बार तल्ख और तीखे नारों के जरिए अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करते। दलितों को लामबंद करने के लिए उनके कई बयानों पर विवाद भी हुआ। उनके बयान- ‘तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ से तो सियासी गलियारे में सनसनी फैल गई थी।

कांशीराम का दूसरा नारा ‘ठाकुर, बाभन, बनिया चोर, बाकी सब हैं डीएस-फोर’ ऐसा पॉपुलर हुआ कि कांशीराम एक के बाद एक नारे देने लगे। उन्होंने ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’, ‘वोट हमारा, राज तुम्हारा, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा’ जैसे नारे दिए।

रिजल्ट: जिस बसपा ने 1991 में सिर्फ 12 सीटें जीती थीं, वह 1993 में 67 सीटों पर पहुंच गई। वैसे, बाद में ये नारा बसपा के गले की हड्डी बन गया था। उसकी कहानी आगे आएगी।

‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’

राममंदिर आंदोलन में मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ कल्याण सिंह।

राममंदिर आंदोलन में मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ कल्याण सिंह।

बयान के पीछे की कहानीः साल 1986, राजीव गांधी की सरकार थी। उन्होंने पहल की और 37 साल से अटके अयोध्या की किताब के पन्ने खुल गए। साल 1989, यूपी में चुनाव भी होने वाले थे। मुद्दा बस राम मंदिर का ही था। कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद तोड़ने के लिए इकट्ठा होने का ऐलान कर दिया।

तब मुलायम सिंह की सरकार थी। मुलायम ने कहा, ‘मेरे रहते बाबरी मस्जिद पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता।’ साल 1990, कारसेवक मस्जिद की ओर बढ़े। पुलिस को उन्हें रोकने के लिए फायरिंग करनी पड़ी। हर तरफ गोलियां चलनी शुरू हुईं। 5 कारसेवक नहीं रहे। ठीक इसी समय भाजपा ने कल्याण सिंह को चुनाव में आगे किया। कल्याण ने राम मंदिर मुद्दे को हवा दी और यूपी भर में रैलियां कर ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा लगाया।

रिजल्ट: साल 1991 के विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। बीजेपी ने 221 सीटें जीतीं। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बन गए।

‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’

तस्वीर साल 1993 की है। मुलायम, मायावती और कांशीराम एक फ्रेम में दिख रहे हैं।

तस्वीर साल 1993 की है। मुलायम, मायावती और कांशीराम एक फ्रेम में दिख रहे हैं।

बयान के पीछे की कहानीः साल 1992, बाबरी मस्जिद का ढांचा तोड़ दिया गया था। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे। उन्होंने इसकी जिम्मेदारी ली और सीएम का पद छोड़ दिया। यूपी में राष्ट्रपति शासन लगा। साल 1993 में फिर चुनाव होने वाले थे। एक बार फिर से राम मंदिर यूपी की राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया।

तब भाजपा ने इस मुद्दे को अपनी मुट्ठी में कैद रखा था। लग रहा रहा था, इस बार भाजपा की एकतरफा जीत होगी। तभी मायावती का एक इंटरव्यू हुआ। उसमें उन्होंने कहा कि अगर मुलायम सिंह उनके साथ मिल जाएं, तो यूपी में भाजपा और कांग्रेस सहित सभी पार्टियों का सूपड़ा साफ हो जाएगा। माया के इस बयान को मुलायम सिंह यादव ने सीरियसली ले लिया। सपा-बसपा कार्यकर्ताओं ने ‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ का नारा लगा दिया।

रिजल्ट: सपा को 109 सीटें मिलीं। बसपा को 67 सीटें मिली थीं। भाजपा की सीटें 221 से घटकर 177 ही रह गईं। बसपा और कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर मुलायम ने सरकार बना ली। हालांकि, 1995 में गेस्ट हाउस कांड हुआ। सपा विधायकों ने गेस्ट हाउस में मायावती पर हमला कर दिया था। इस कांड का असर राजनीति पर तो पड़ा ही, आने वाले चुनावी नारों पर भी पड़ा।

‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा-विष्णु-महेश है’

ब्राह्मण सभा में त्रिशूल पकड़े हुए मायावती। तस्वीर सितंबर, 2021 की है।

ब्राह्मण सभा में त्रिशूल पकड़े हुए मायावती। तस्वीर सितंबर, 2021 की है।

बयान के पीछे की कहानीः साल 2007, विधानसभा चुनाव होने वाले थे। मायावती 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड का करारा जवाब देने के मोड में थी। लेकिन चुनाव प्रचार के बीच ‘तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ बयान उनके गले की हड्डी बना हुआ था। माया जानती थी कि कांशीराम का यह बयान बसपा को हिंदू वोटरों से दूर कर देगा।

तभी बिना समय जाया किए मायावती ने पूरा नारा ही बदल डाला। उन्होंने ‘तिलक तराजू और तलवार’ वाले नारे को बदलकर नारा दिया- ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा-विष्णु-महेश है’।

रिजल्ट: बसपा ने उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत के साथ सरकार बनाई। पार्टी ने चुनाव में 206 विधानसभा सीटों पर अपना कब्जा जमाया। 16 साल बाद यूपी में बसपा सरकार बनी।

  • साल 2012 में माया सरकार गिर गई। अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री बन गए। 2012 से 2022 के अंत तक सूबे की राजनीति में ‘धर्म’ और ‘जाति’ बड़े चुनावी मुद्दों में शामिल नहीं रहे। हालांकि, 2023 की शुरुआत से ही ‘धर्म’ यूपी की सियासत में फिर से बड़ा मुद्दा बनकर लौटा है।

अब ‘हिंदू’ शब्द को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के हालिया बयानों पर चलते हैं…

‘फारसी में हिंदू शब्द का मतलब चोर…नीच’

संविधान और आरक्षण संरक्षण सेना के कार्यक्रम में स्वामी।

संविधान और आरक्षण संरक्षण सेना के कार्यक्रम में स्वामी।

तारीख: 18 सितंबर, 2023…दिन: सोमवार। स्वामी प्रसाद हरदोई में संविधान और आरक्षण संरक्षण सेना के कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दरम्यान उन्होंने हिंदू धर्म का विरोध करते हुए कहा- ‘हिंदू फारसी शब्द है। फारसी में इसका मतलब चोर, नीच, अधम है। हम इसे धर्म कैसे मान सकते हैं। हम जिसको हिंदू धर्म मानते हैं, वह हिंदू धर्म है ही नहीं। अगर हिंदू धर्म होता तो सबको बराबर का दर्जा दिया जाता। हिंदू राष्ट्र की मांग पूरी तरह संविधान विरोधी है। ऐसी मांग करने वाले देशद्रोही हैं।’

हिंदू धर्म को टारगेट करने के बाद स्वामी यहीं नहीं रुके। उन्होंने भाषण में हिंदू देवी-देवताओं को भी घसीट लिया। स्वामी में भरी भीड़ के बीच कहा, ‘ब्राह्मण स्वयंभू है और कैसा स्वयंभू है, जो अपनी मां के पेट से पैदा होने में यकीन नहीं करता है। वह कहता है कि हम ब्रह्मा के मुंह से पैदा हुए हैं। क्या बिडंबना है। आज तक किसी को मुंह से पैदा होते देखा क्या आपने?’

‘हरदोई वाले आप बताओ किसी को ब्रह्मा के मुंह से पैदा होते देखा। किसी को हाथ से क्षत्रिय पैदा करते देखा, किसी को वैश्य समाज को पैदा होते देखा, क्या किसी को पैर से पैदा होते देखा क्या? पैदा तो जो भी होता है वह अपनी मां के पेट से पैदा होता है।’

‘हिंदू कोई धर्म नहीं, बल्कि धोखा है’
हिंदू धर्म पर लगातार हमलावर रहे स्वामी प्रसाद ने 27 अगस्त, 2023 को भी विवादित बयान दिया था। इस बार उन्होंने हिंदू धर्म को धोखा बताया। उन्होंने अपना एक VIDEO ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है। सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर के इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है।’

‘हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले लोग, राष्ट्र के दुश्मन हैं’

रामचरितमानस पर स्वामी के बयान पर सपा के ही विधायकों ने आपत्ति जताई थी।

रामचरितमानस पर स्वामी के बयान पर सपा के ही विधायकों ने आपत्ति जताई थी।

‘हिंदू’ शब्द को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की पहली प्रतिक्रिया 21 मई, 2023 को आई। स्वामी के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान को लेकर हिंदू संगठन गुस्साए हुए थे। इसी दौरान सोशल मीडिया पर सपा नेता की जीभ काटकर लाने वाले को 21 लाख का इनाम देने जैसी बातें कही गईं।

लगातार मिल रही धमकियों पर स्वामी प्रसाद ने विवादित बयान दिया- मुझे लेकर ऐसी धमकियां देने वाले लोग संत नहीं, बल्कि गेरुआ वस्त्र पहनने वाले आतंकवादी चेहरे हैं। इसी बीच स्वामी ने ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा- हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले लोग, राष्ट्र के दुश्मन व संविधान विरोधी हैं क्योंकि हिंदू राष्ट्र की मांग से जहां एक ऒर देश के बंटवारे का फिर से बीज बो रहे हैं। वहीं दूसरी और संविधान विरोधी बात कर संविधान का अपमान भी कर रहे हैं। ऐसे लोगों से देश की जनता को सावधान रहना है।

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पिछले साल तक राम-कृष्ण की मूर्तियां थामे दिखते थे स्वामी प्रसाद

“हिंदू धर्म केवल धोखा है”…यह शब्द सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के हैं। स्वामी अगली लाइन में कहते हैं, “ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है।” स्वामी प्रसाद इसके पहले रामचरितमानस की चौपाइयों पर सवाल उठा चुके हैं। हालांकि उनका हिंदू विरोध बहुत पुराना नहीं है। पिछले साल तक वह राम, कृष्ण और गणेश की मूर्तियां स्वीकार करते थे। मूर्तियों के सामने दीपक जलाते थे। पढ़िए पूरी खबर…

‘राम-राम जपना, पराया माल अपना’ सूचना विभाग का मंत्र

यूपी सरकार जनता के काम का पैसा खर्च नहीं कर पाती है। जनता के लिए आए 9000 करोड़ केंद्र को वापस कर दिए जाते हैं। लेकिन, सीएम योगी की छवि चमकाने के लिए कुबेर का खजाना भी कम पड़ता जा रहा है। योगी की सरकार में सूचना विभाग से सक्षम फिलहाल कोई भी विभाग नहीं है। जितना भी पैसा आता है, सूचना विभाग न सिर्फ सब कुछ उसको खपा लेता है, बल्कि उसे आया हुआ धन भी कम पड़ जाता है। मजे की बात ये है कि प्रचार-प्रसार के लिए धन की कोई कमी नहीं, लेकिन उससे जितना योगी की छवि चमकी नहीं, उससे ज्यादा सूचना विभाग के कर्ताओं-धर्ताओं ने मुख्यमंत्री की फजीहत जरूर करा दी। पढ़िए पूरी खबर…

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