आज का इतिहास: नेहरू के ऐतिहासिक भाषण से माउंटबेटन के भोज तक, जानें आजाद भारत के पहले 24 घंटे में कब क्या हुआ

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10 घंटे पहले

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भारत आज अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। सालों के संघर्ष और लाखों लोगों की शहादत के बाद 15 अगस्त 1947 को भारतीयों ने पहली बार आजाद भारत में सांस ली थी। आजादी का जश्न 14 अगस्त से ही शुरू हो गया था जो 15 अगस्त की रात तक चलता रहा। लाखों लोग हाथों में तिरंगा लिए खुशी से सड़कों पर नाच रहे थे।

आज के इतिहास में पढ़िए आजादी के जश्न के 24 घंटों का हाल…

14 अगस्त

11 अपराह्न: नई दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस समारोह की आधिकारिक शुरुआत हुई। ब्रिटिश राज के दौरान विधान परिषद के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे एक भवन में संसद का विशेष सत्र आयोजित किया गया। पूरा भवन फूल और लाइट से खूबसूरत तरीके से सजाया गया।

11.30 बजे: राष्ट्रीय गान के तौर पर वंदे मातरम को गाया गया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया।

11.55 बजे: संसद में प्रमुख नेताओं ने भाषण दिए। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, चौधरी खालिकज्जमा और जवाहरलाल नेहरू भाषण देने वाले 3 प्रमुख लोग थे। नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ संसद के इसी विशेष सत्र में दिया था। उन्होंने कहा कि “आधी रात के समय जब पूरी दुनिया सो रही है, भारत आजादी की सांस ले रहा है।”

संसद में भाषण देते भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू।

संसद में भाषण देते भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू।

दोपहर 12 बजे: जैसे ही घड़ी में 12 बजे संसद हॉल में शंख बजने लगे। लोग एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई देने लगे। संसद के बाहर भारी बारिश के बावजूद हजारों लोग जश्न में डूबे हुए थे। चारों तरफ महात्मा गांधी की जय के नारे लगाए जाने लगे।

रात करीब 12.30 बजे: सत्र के समापन में भारत के राष्ट्रीय झंडे को प्रस्तुत किया गया। जवाहरलाल नेहरू ने गवर्नर जनरल माउंटबेटन को एक लिफाफा सौंपा, इसमें मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों के नाम थे। जब माउंटबेटन ने इस लिफाफे को खोलकर देखा तो वो खाली निकला। दरअसल, नेहरू जल्दबाजी में मंत्रियों के नाम की लिस्ट लिफाफे में रखना भूल गए थे।

15 अगस्त

सुबह 8 बजे: आजादी की सुबह का पहला काम शपथ ग्रहण समारोह था। इस समारोह को गवर्नमेंट हाउस में आयोजित किया गया। जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनकी कैबिनेट में 13 मंत्री और थे। इस पूरे समारोह में करीब 500 खास मेहमान बुलाए गए थे। ये लोग रियासतों के राजा और देशों के राजदूत थे।

सुबह 9.40 बजे: शपथ ग्रहण समारोह खत्म हुआ। भारत की पहली कैबिनेट के मंत्री संविधान सभा में जाने के लिए निकले। इस दौरान सड़कें जश्न में डूबे लोगों से अटी पड़ी थीं। पुलिस के सैकड़ों जवान भी उत्साही लोगों को रोक नहीं पा रहे थे।

सुबह 9.55 बजे: गवर्नर जनरल माउंटबेटन को शाही सलामी दी गई।

सुबह 10.30 बजे: संविधान सभा में पहली बार राष्ट्रीय धवज को फहराया गया।

शाम 5 बजे: इंडिया गेट के पास प्रिंसेस पार्क में माउंटबेटन को तिरंगा फहराना था। यहां करीब 5 लाख लोगों की भीड़ जुटी। भीड़ को रोकने के लिए लगाई गई बल्लियां और रस्सियां भी लोगों के सामने बेबस थीं। राजपथ पर थलसेना, जलसेना और वायुसेना की परेड निकली।

एक बग्घी पर सवार होकर माउंटबेटन मंच पर जाने के लिए निकले, लेकिन भीड़ इतनी थी कि वे बग्घी से नीचे ही नहीं उतर पाए। उन्होंने बग्घी से ही चिल्लाकर कहा कि झंडा लहराया जाए। तिरंगा लहराया गया और माउंटबेटन ने अपनी बग्घी पर खड़े होकर ही तिरंगे को सलामी दी।

अपनी बग्घी से ही तिरंगे को सलामी देते माउंटबेटन।

अपनी बग्घी से ही तिरंगे को सलामी देते माउंटबेटन।

शाम 7.45 बजे: भव्य आतिशबाजी की गई, जो करीब आधे घंटे तक चलती रही। इस दौरान दिल्ली की हर बड़ी बिल्डिंग हरी, सफेद और केसरिया रंग की रोशनी से नहाई हुई थी।

10 अपराह्न: गवर्नमेंट हाउस में माउंटबेटन की ओर से आधिकारिक भोज का आयोजन किया गया। इस भोज में ढाई हजार खास मेहमान आमंत्रित थे।

महात्मा गांधी आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए थे। वे बंगाल में थे जहां हिन्दू-मुस्लिम के बीच सांप्रदायिक हिंसा हो रही थी। आजादी के दिन उन्होंने 24 घंटे का व्रत रखा था। उन्होंने नेहरू का भाषण भी नहीं सुना था, क्योंकि उस रात वे जल्दी सोने चले गए थे।

15 अगस्त के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2018: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक आत्मघाती हमले में 48 लोग मारे गए।

१९७५: रमेश सिप्पी निर्देशित फिल्म ‘शोले’ रिलीज हुई।

1971: बहरीन ब्रिटेन से आजाद होकर स्वतंत्र राष्ट्र बना।

1960: रिपब्लिक ऑफ कांगो ने फ्रांस से आजादी की घोषणा की।

1950: असम और तिब्बत के इलाके में भूकंप से करीब 30 हजार लोग मारे गए।

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