अफसरों को मोदी के मंत्र: भारत के लिए लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, यह तो भारत का स्वभाव है; देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है

शिमला13 मिनट पहले

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मोदी ने पूछा कि क्या साल में 3-4 दिन सदन में ऐसे रखे जा सकते हैं जिसमें समाज के लिए कुछ विशेष कर रहे जनप्रतिनिधि अपना अनुभव बताएं? - Dainik Bhaskar

मोदी ने पूछा कि क्या साल में 3-4 दिन सदन में ऐसे रखे जा सकते हैं जिसमें समाज के लिए कुछ विशेष कर रहे जनप्रतिनिधि अपना अनुभव बताएं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला में हो रही ऑल इंडिया प्रेजाइडिंग ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, लोकतंत्र तो भारत का स्वभाव है, भारत की सहज प्रकृति है।

मोदी ने कहा कि मेरा एक विचार ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ का है। एक ऐसा पोर्टल जो न केवल हमारी संसदीय व्यवस्था को जरूरी टेक्नोलॉजिकल बूस्ट दे, बल्कि देश की सभी लोकतांत्रिक इकाइयों को जोड़ने का भी काम करे।

मोदी के संबोधन की प्रमुख बातें

असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं
प्रधानमंत्री ने अफसरों से कहा कि हमें आने वाले वर्षों में, देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है, असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं। ये संकल्प सबके प्रयास से ही पूरे होंगे और लोकतंत्र में, भारत की संघीय व्यवस्था में जब हम सबका प्रयास की बात करते हैं तो सभी राज्यों की भूमिका उसका बड़ा आधार होती है।

बीते सालों में सबके प्रयास से कई बड़े काम किए
मोदी बोले कि चाहे पूर्वोत्तर की दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हो, दशकों से अटकी-लटकी विकास की तमाम बड़ी परियोजनाओं को पूरा करना हो, ऐसे कितने ही काम हैं जो देश ने बीते सालों में किए हैं, सबके प्रयास से किए हैं। अभी सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने कोरोना का भी है।

सदन में हमारा व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो
सदन में आचरण को लेकर पीएम ने कहा कि हमारे सदन की परम्पराएं और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हों, हमारी नीतियां, हमारे कानून भारतीयता के भाव को, एक भारत, श्रेष्ठ भारत के संकल्प को मजबूत करने वाले हों। सबसे महत्वपूर्ण, सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो ये हम सबकी जिम्मेदारी है। ये सम्मेलन हर साल कुछ नए विमर्शों और नए संकल्पों के साथ होता है। हर साल इस मंथन से कुछ न कुछ अमृत निकलता है। आज इस परंपरा को 100 साल हो रहे हैं, ये भारत के लोकतांत्रिक विस्तार का प्रतीक है।

जनप्रतिनिधियों को अपने अनुभव बताने के मौके मिलें
मोदी ने पूछा कि क्या साल में 3-4 दिन सदन में ऐसे रखे जा सकते हैं जिसमें समाज के लिए कुछ विशेष कर रहे जनप्रतिनिधि अपना अनुभव बताएं,अपने समाज जीवन के इस पक्ष के बारे में भी देश को बताएं। इससे दूसरे जनप्रतिनिधियों के साथ समाज के अन्य लोगों को भी कितना कुछ सीखने को मिलेगा।

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