अनंतनाग के शहीद अफसरों की कहानी: कर्नल मनप्रीत के 2 बच्चे, पत्नी सरकारी टीचर; मेजर आशीष ने बर्थडे पर नए घर में गृहप्रवेश करना था

हरियाणाकुछ ही क्षण पहले

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कर्नल मनप्रीत सिंह पंजाब के मोहाली जिले के न्यू चंडीगढ़ और मेजर आशीष धौंचक पानीपत के रहने वाले थे।

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में न्यू चंडीगढ़ के कर्नल मनप्रीत सिंह और पानीपत के मेजर आशीष धौंचक शहीद हो गए। दोनों अफसर शादीशुदा थे और उनके बच्चे भी हैं। शहादत का पता चलते ही दोनों के परिवार में मातम पसरा हुआ है।

कर्नल मनप्रीत के 2 बच्चे हैं। उनकी मां को अभी उनकी शहादत से बेखबर है। उनके पिता लखबीर सिंह भी आर्मी में थे। शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह को अगले महीने अपने बेटी के जन्मदिन पर छुट्टी लेकर घर आना था। वह 5 जनवरी को अपने घर से छुट्टी बिताकर वापस ड्यूटी पर गए थे।

वहीं पानीपत के मेजर आशीष ने अगले महीने 23 अक्टूबर को अपने 36वें जन्मदिन पर TDI सिटी में बनाए नए घर में गृह प्रवेश करना था। अब उसी घर में उनकी पार्थिव देह लाई जाएगी।

कर्नल मनप्रीत मोहाली में जन्मे, ससुराल पंचकूला में
कर्नल मनप्रीत सिंह मूल रूप से पंजाब के मोहाली जिले के गांव भड़ौंजिया के रहने वाले थे। उनकी ससुराल पंचकूला के सेक्टर 26 में है लेकिन अब वह न्यू चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए थे। उनका एक छोटा भाई संदीप सिंह और बहन संदीप कौर है। शहीद की माता मनजीत कौर जिनकी उम्र करीब 68 साल है। वह गांव में अपने छोटे बेटे संदीप सिंह के साथ रहती है।

पत्नी टीचर, 7 साल का बेटा, ढाई साल की बेटी
कर्नल मनप्रीत की पत्नी जगमीत ग्रेवाल हरियाणा में पंचकूला के पिंजौर स्थित सरकारी स्कूल में टीचर हैं। उनके 2 बच्चे हैं। इनमें 7 साल का बेटा कबीर और ढाई साल की बेटी है।

पत्नी जगमीत ग्रेवाल और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ कर्नल मनप्रीत सिंह।

पत्नी जगमीत ग्रेवाल और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ कर्नल मनप्रीत सिंह।

2003 में लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे, 2 साल पहले सेना मेडल मिला
कर्नल मनप्रीत ने केंद्रीय विद्यालय मुल्लापुर से 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद 2003 में वह सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती हुए। 2020 में वह कर्नल प्रमोट हुए। इस वक्त वह 19 राष्ट्रीय राइफल में बतौर कर्नल तैनात थे। 2 साल पहले उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।

पानीपत के मेजर आशीष नए घर में प्रवेश न कर सके
मेजर आशीष 2 साल की बेटी वामिनी के पिता थे। उनकी पत्नी ज्योति भी गृहिणी है। उनका परिवार अभी सेक्टर 7 में किराए के मकान में रहता है। मेजर का सपना था कि अपने खुद के घर में रहें। इसके लिए उन्होंने TDI सिटी में अपना नया घर बनवाया था।

उनके मामा महावीर ने बताया कि 3 दिन पहले आशीष से फोन पर बात हुई। अगले महीने 23 अक्टूबर को आशीष छुट्‌टी लेकर TDI में बन रहे नए मकान में गृह प्रवेश के लिए आने वाले थे। हालांकि इससे पहले ही आतंकियों के सर्च ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए।

मेजर आशीष धौंचक का नया घर, जिसमें वह 23 अक्टूबर को गृह प्रवेश करने वाले थे।

मेजर आशीष धौंचक का नया घर, जिसमें वह 23 अक्टूबर को गृह प्रवेश करने वाले थे।

लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे, प्रमोट होकर मेजर बने
पानीपत के मेजर आशीष ने केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की। 25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए। ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली।

4 महीने पहले परिवार से मिलकर गए थे
मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद की रहने वाली ज्योति से हुई थी। 4 महीने पहले 2 मई को अर्बन एस्टेट में रहने वाले साले विपुल की शादी में छुट्टी लेकर घर आए थे। यहां वे 10 दिन रहे और इसके बाद वह ड्यूटी पर लौट गए। उनका परिवार पहले पैतृक गांव बिंझौल में ही रहता था। हालांकि 2 साल पहले वह शहर में शिफ्ट हो गए थे।

माता-पिता, पत्नी-बेटी और तीनों बहनों के साथ पानीपत के मेजर आशीष धौंचक।

माता-पिता, पत्नी-बेटी और तीनों बहनों के साथ पानीपत के मेजर आशीष धौंचक।

3 बहनों के इकलौते भाई थे मेजर, चचेरा भाई भी लेफ्टिनेंट
मेजर आशीष 3 बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी तीनों बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं। उनकी मां कमला गृहणी और पिता लालचंद NFL से सेवामुक्त हुए हैं।

उनके चाचा का बेटा विकास भी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। जो अब मेजर बन चुके हैं। उनकी पोस्टिंग झांसी में है लेकिन आजकल वह पूना में ट्रेनिंग पर हैं।

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मेजर आशीष की शहादत का पता चलते ही पानीपत में उनके सेक्टर 7 के निवास में काफी संख्या में लोग जमा हो गए हैं।

मेजर आशीष की शहादत का पता चलते ही पानीपत में उनके सेक्टर 7 के निवास में काफी संख्या में लोग जमा हो गए हैं।

मेजर आशीष को इसी साल 15 अगस्त को उनकी बहादुरी के लिए सेना मेडल दिया गया था। 15 अगस्त, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें ये मेडल दिया था। मेजर आशीष भी 19 राष्ट्रीय राइफल्स के सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे (पूरी खबर पढ़ें)

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अनंतनाग जिले में बुधवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में न्यू चंडीगढ़ के रहने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह शहीद हो गए। 41 वर्षीय मनप्रीत सिंह मूल रूप से मोहाली जिले के गांव भड़ोंजिया के रहने वाले थे। कर्नल के शहीद होने की सूचना उनके छोटे भाई संदीप सिंह को शाम करीब 5.30 बजे फोन पर मिली थी (पूरी खबर पढ़ें)

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