अकालियों के कपड़ों पर लिखा ‘बादल चोर मुर्दाबाद’: टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर अकाली वर्करों के साथ मारपीट और गाड़ियों में तोड़फोड़ का आरोप; SAD ने की जांच की मांग

लुधियाना22 मिनट पहले

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चंडीगढ़ कार्यालय में पत्रकारवार्ता करते हुए शिरोमणि अकाली दल बादल के नेता।

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) बादल की तरफ से 17 सितंबर को दिल्ली में किए गए प्रदर्शन में शामिल होकर वापस लौट रहे पार्टी वर्करों के साथ किसान मोर्चे पर दुर्व्यवहार किए जाने का आरोप लगाए जा रहे है। वर्करों ने आरोप हैं कि उनके साथ मारपीट भी की गई और उनकी पगड़ियां तक उतार दी गईं। यही नहीं नेताओं की जेब पर तो ‘बादल चोर मुर्दाबाद’ तक लिख दिया गया है। शिरोमणि अकाली दल की तरफ से आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

चंडीगढ़ में पार्टी कार्यालय में हुई पत्रकार वार्ता के दौरान सीनियर नेता दलजीत सिंह चीमा, महेशइंद्र सिंह गरेवाल और अन्य ने बताया कि दिल्ली जाने के लिए वर्कर जैसे ही टिकरी और सिंघु बॉर्डर से निकल रहे थे, तो रास्ते में किसान मोर्चे पर तंबुओं में बैठे वर्करों की तरफ से उनको रोक लिया। इस दौरान गाडियों के शीशे तोड़े गए और सिख समुदाय से संबंधित नेताओं से गाली-गलौज भी की गई और उनके ककारों का भी निरादर किया गया।

शर्ट पर पेन से लिखा गया बादल चोर मुर्दाबाद एसजीपीसी

शर्ट पर पेन से लिखा गया बादल चोर मुर्दाबाद एसजीपीसी

लाखों रुपए खर्च कर सेवा की फिर भी हुई बेइज्जती
पत्रकारवार्ता के दौरान सुरिंदर सिंह, जतिंदर सिंह आदि ने कहा कि उनकी तरफ से लाखों रुपए खर्च कर किसानों का साथ दिया गया है। वहां खाने की सामग्री बांटी गई, दवाईयों का प्रबंध किया गया और लंगर लगाए गए हैं। मगर उनके साथ ज्यादती की गई है। यही नहीं उनकी गाड़ियां तोड़ी गई हैं। महिला वर्करों ने आरोप लगाए हैं कि उनकी गाड़ियों के दरवाजे खोलकर गंदी गालियां दी गई हैं। उक्त लोगों ने नशा भी किया हुआ था। वह उन्हें बता भी रहे थे कि वह किसानों के पक्ष में ही रोष करने जा रहे हैं।

चंडीगढ़ कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान कपड़े दिखाते हुए नेता।

चंडीगढ़ कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान कपड़े दिखाते हुए नेता।

किसान संघर्ष को खराब करने के लिए हो रही कोशिशें
किसान नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि प्रदर्शन में जा रहे वर्करों से बदतमीजी की है। साफ है कि किसान संघर्ष को बदनाम करने की कोशिशें कुछ लोगों की तरफ से की जा रही हैं। सरकारें इस तरह के हथकंडे अपनाती रही हैं। मगर दुख इस बात का है इस तरह की घटनाओं के बाद से संयुक्त किसान मोर्चा की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। किसान नेताओं को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए थी। किसान संगठनों की सलाह के बाद ही दिल्ली में फंक्शन रखा गया था। हमें तो यह लग रहा है कि यह प्रदर्शन केंद्र सरकार के खिलाफ नहीं अकाली दल के खिलाफ ही लग रहा है।

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