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- चीन की सीमा से 400 किमी दूर दो मोर्चों पर युद्ध के दौरान निर्णायक भूमिका निभाएगा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का रनवे
लखनऊ/सुल्तानपुर8 मिनट पहलेलेखक: डीडी वैष्णव
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पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर आज लड़ाकू विमान आसमान में वायुसेना की ताकत दिखाएंगे। 30 से ज्यादा लड़ाकू विमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहुंचने के बाद फ्लाई पास्ट करेंगे। इसके तहत 3.2 किलोमीटर लंबी एयर स्ट्रिप पर सी-130 जे हरक्यूलिस के उतरने के बाद विमान टच एंड गो ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर देंगे।
यह एयर शो दुनिया को संदेश देगा कि भारत ने सामरिक दृष्टि से एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपनी ताकत को बढ़ाया है। एक्सप्रेस वे दो मोर्चों पर जंग होने की स्थिति में दोहरी भूमिका निभाएगा। उत्तरी और पूर्वी बॉर्डर के नजदीक होने की वजह से यहां से दोनों ही फ्रंट पर आसानी से फाइटर जेट को दुश्मन को तबाह करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ एयर मार्शल (रिटायर्ड) जेएस चौहान, एयर कमोडोर (रिटायर्ड) आरएन गायकवाड़ ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान इसके सामरिक मायने बताए। आइए जानते हैं किस तरह मजबूती मिलेगी सैन्य ताकत को…
पूर्वी और उत्तरी फ्रंट पर बढ़ी ताकत
- एयरफोर्स के सुखोई 30 एमकेआई, राफेल, सी 130 जे सुपर हरक्यूलिस जैसे विमान अब पूर्वांचल एक्सप्रेस की एयर स्ट्रिप पर भी लैडिंग और टेक ऑफ कर पाएंगे।
- पूर्वी फ्रंट पर चीन के खिलाफ युद्ध के दौरान इमरजेंसी उपयोग में आने वाला ये पहला एक्सप्रेस वे होगा।
- यहां से दोनों ही फ्रंट की दूरी करीब 600 किलोमीटर है, ऐसे में दो से तीन घंटे की तैयारी कर आसानी से बालाकोट जैसी स्ट्राइक को आसानी से अंजाम दिया जा सकता है। इस कॉम्बैट ऑपरेशन में रेस्पॉन्स टाइम सिर्फ दो से तीन घंटे का ही रहेगा।
एयर स्ट्रिप की सैटेलाइट इमेज।
मिसाइलों को यहां से दिया जाएगा मुंहतोड़ जवाब
डोकलाम विवाद के बाद चीन ने शिंझिंयाग प्रांत और तिब्बती क्षेत्र में 16 एयरबेस तैयार किए हैं। इनमें 14 हजार फीट की ऊंचाई पर अली गूंसा, बुरांग, ताझांग जैसे बड़े बेस शामिल हैं। यहां पर लड़ाकू विमानों के साथ ही चीन की लॉन्ग रेंज में मिसाइलों की जद में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के 5 बड़े एयरबेस के साथ कई बड़े शहर हैं। इनमें गोरखपुर, दरभंगा, बख्शी का तालाब, प्रयागराज सहित कई बड़े शहर शामिल हैं। इन लॉन्ग रेंज मिसाइलों के निशाने पर आते ही एयरफोर्स को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर सुल्तानपुर के पास ही कॉम्बैट ऑपरेशन शुरू करने में आसानी होगी।
‘टच एंड गो’ से दिखेगी सामरिक ताकत
एयरफोर्स के प्लान बी के तहत एयरबेस तबाह होने की स्थिति में इसी एक्सप्रेस वे का उपयोग युद्ध काल में होगा, लेकिन शांतिकाल में अभी के हालात में भारत अपनी सामरिक ताकत दिखाने के लिए इस एयर स्ट्रिप पर 30 से ज्यादा विमान उतार रहा है। यहां पर इस तरह का टच एंड गो ऑपरेशन लगातार चलता रहेगा, जिससे चीन के साथ पाकिस्तान को भारत की हवाई ताकत का आभास रहे। इसके अलावा भी जल्द ही बड़े एक्सप्रेस वे के रन-वे पर फाइटर जेट उतारने की तैयारी की गई है। खासतौर से पूर्वोत्तर के अलावा उत्तराखंड में इस तरह की तैयारियां भारत पूरी कर चुका है।
रविवार को हरक्यूलिस विमान को एयर स्ट्रिप पर उतारकर ट्रायल किया गया था।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर एयर स्ट्रिप इसलिए जरूरी
- सुल्तानपुर से सटा है अयोध्या
- करीब 150 किमी दूर है काशी
- पूर्व और उत्तर के एयरबेस हैं नजदीक
- पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की एयर स्ट्रिप से पास है नेपाल बॉर्डर
12 नवंबर को सीएम योगी आदित्यनाथ के निरीक्षण के बाद से लगातार लड़ाकू विमानों का ट्रायल हो रहा है। इस दौरान सुखोई और मिराज को एयर स्ट्रिप पर उतारा गया।
देश में प्रस्तावित 12 एयर स्ट्रिप
- बॉर्डर के समीप ही भारतमाला प्रोजेक्ट के हाईवे पर बाड़मेर और जैसलमेर के बीच
- फलौदी और जैसलमेर के बीच नेशनल हाईवे पर एयर स्ट्रिप बनाने के लिए जमीन तय
- जम्मू-कश्मीर के बीजबेहरा चिनार बाग नेशनल हाइवे, एलओसी के नजदीक
- उत्तराखंड में रामपुर-काठगोदाम हाईवे, चीन सीमा के नजदीक
- पश्चिम बंगाल में खड़गपुर कंजार हाईवे, बांग्लादेश सीमा के नजदीक
- असम के मोहनबाड़ी-तिनसुकिया हाईवे, चीन सीमा के नजदीक
क्या है हाईवे स्ट्रिप
- हाइवे स्ट्रिप या रोड रनवे को खासतौर पर मिलिट्री एयरक्राफ्ट की लैंडिंग के लिए तैयार किया जाता है।
- इमरजेंसी में यह रनवे मिलिट्री एयरबेस में तब्दील हो जाते हैं।
- युद्ध के हालात में एयरबेस के पूरी तरह से खत्म हो जाने पर यहां से ही एयरक्राफ्ट ऑपरेट होते हैं।
- पहली हाइवे स्ट्रिप को वर्ल्ड वॉर-2 के दौरान बनाया गया था।
- उस समय मोटरवेज को एयरक्राफ्ट की लैंडिंग के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था।
- हाइवे स्ट्रिप साधारण तौर पर 2 से 3.5 किलोमीटर तक लंबी होती है।
- हाइवे स्ट्रिप मोटाई में ज्यादा होती है और इसका बेस ठोस कंक्रीट से तैयार होता है।
- एयरबेस के लिए इस्तेमाल के समय इसके पास ही एयरफील्ड तैयार कर ली जाती है।
- एयरक्राफ्ट लैंडिंग के लिए जरूरी जगह को कोटोबार सिस्टम के जरिए कंट्रोल किया जाता है।
हाईवे पर हो चुकी है इमरजेंसी लैंडिंग
यमुना एक्सप्रेस हाइवे पर 2015 में मिराज-2000 की लैंडिंग कराई गई थी। देश के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी हाईवे को सैन्य मकसद के लिए इस्तेमाल किया गया। सुबह साढ़े छह बजे के करीब ‘मिराज-2000’ को उतारा गया था। फिर करीब 8.15 बजे वायुसेना के एक हेलिकॉप्टर ने भी एक्सप्रेस वे पर लैंडिंग की। यमुना एक्सप्रेस वे को तड़के तीन बजे से ही आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था।
क्या है रोड रनवे टेस्ट?
दुश्मन के हमले के समय रोड को भी रनवे बनाना पड़ सकता है। किन सड़कों पर प्लेन उतारा जा सकता है, यह तय करने के लिए किए जाने वाले टेस्ट को रोड रनवे टेस्ट कहते हैं। वायुसेना देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे हाईवे की तलाश करती रहती है।
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