UAPA के तहत कार्रवाई का डर: बैन की चर्चा के बीच हुर्रियत ने श्रीनगर ऑफिस से हटाया अपना साइनबोर्ड

श्रीनगर8 घंटे पहले

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जम्मू-कश्मीर में 2 दशक से सक्रिय हुर्रियत के लोगों ने कश्मीरी स्टूडेंट्स से पाकिस्तान के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए पैसे की उगाही की थी।

सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत कांफ्रेंस के चरमपंथी गुट तहरीक-ए-हुर्रियत ने रविवार को अपने ऑफिस से साइनबोर्ड हटा लिया है। इस चरमपंथी समूह का हेड ऑफिस श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में है। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत अलगाववादी संगठन के नरमपंथी और कट्टर दोनों धड़ों पर प्रतिबंध लगा सकती है।

एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि कार्रवाई के डर से उन्होंने खुद बोर्ड हटा लिए हैं। UAPA की धारा 3 (1) के तहत हुर्रियत पर कार्रवाई हो सकती है। अधिनियम की इस धारा के मुताबिक अगर केंद्र सरकार को लगता है कि कोई संगठन एक गैर-कानूनी संगठन है या बन गया है, तो वह अधिसूचना के जरिए ऐसे संगठन को UAPA के तहत गैर-कानूनी घोषित कर सकती है।

हुर्रियत कांफ्रेंस का श्रीनगर स्थित आफिस, जहां से साइनबोर्ड हटाया गया है।

हुर्रियत कांफ्रेंस का श्रीनगर स्थित आफिस, जहां से साइनबोर्ड हटाया गया है।

जेल मे बंद हैं हुर्रियत के कई नेता
जून में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर घाटी में बढ़ते कट्टरपंथ पर नियंत्रण रखने की बात कही थी, जिसके बाद NIA ने जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर छापा मारा था। NIA हुर्रियत के खिलाफ टेरर फंडिंग के कई मामलों की जांच कर रही है। इस मामले में दोनों गुटों के कई लोग 2017 से जेल में हैं। जेल में बंद लोगों में गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह, व्यवसायी जहूर अहमद वटाली, गिलानी के करीबी और कट्टरपंथी अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत के प्रवक्ता अयाज अकबर, पीर सैफुल्लाह और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रवक्ता शाहिद-उल-इस्लाम शामिल हैं।

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों धड़े टेरर फंडिंग में शामिल
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल ही में हुर्रियत से जुड़े अलगावादी नेताओं को आतंकी संगठनों की फंडिंग के मामले में गिरफ्तार किया है। यह नेता पाकिस्तान के संस्थानों में कश्मीरी स्टूडेंट्स को MBBS सीटें अलॉट करवाकर बड़े पैमाने पर पैसे की उगाही कर रहे थे।

जम्मू-कश्मीर में 2 दशक से सक्रिय अलगाववादी
ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस 1993 में 26 संगठनों के साथ बनी थी। इसमें कुछ पाकिस्तान समर्थक और प्रतिबंधित संगठन जैसे जमात-ए-इस्लामी, जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) और दुख्तारन-ए-मिल्लत शामिल थे। इसमें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल थी।
यह अलगाववादी संगठन 2005 में दो धड़ों में बट गया। इसके नरमपंथी धड़े का नेतृत्व मीरवाइज और कट्टरपंथियों का नेतृत्व गिलानी करते हैं। 2019 में केंद्र ने जमात-ए-इस्लामी और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) पर UAPA के तहत बैन लगा दिया था।

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