PAK के बाद कनाडा ने रॉ पर आरोप लगाया: खालिस्तान समर्थकों के सामने बेबस PM ट्रूडो; हमारे डिप्लोमैट्स के करियर डीटेल्स मांगता है कनाडा

नई दिल्लीएक घंटा पहलेलेखक: अभिनंदन मिश्रा

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जस्टिन ट्रूडो जब जी-20 के लिए भारत आए थे तब उन्होंने आतंकी निज्जर की मौत का मामला प्रधानमंत्री मोदी के सामने उठाया था।

भास्कर ने 5 जुलाई 2023 को खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर पर एक लेख प्रकाशित किया था। इसमें कहा गया था कि खालिस्तानी संगठन निज्जर की मौत को भारत और कनाडा के बीच डिप्लोमैटिक मुद्दा बनाने की साजिश रच रहे हैं।

18 सितंबर को कैनेडियन प्राइम मिनिस्टर जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या का जिम्मेदार भारत को बताया था। ट्रूडो ने यह स्टेटमेंट कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में दिया। उन्होंने बिना नाम लिए निज्जर की हत्या के पीछे भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) पर आरोप लगाया।

पाकिस्तान के रास्ते पर कनाडा

  • पाकिस्तान के बाद कनाडा विश्व का दूसरा देश है जिसने रॉ पर अपने देश में ऑपरेशन का आरोप लगाया है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक ट्रूडो जब जी-20 के लिए भारत आए थे, तब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रॉ के कथित ऑपरेशन्स की जानकारी दी थी। भारत ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था।
  • सूत्रों के अनुसार, निज्जर की हत्या के बाद ट्रूडो पर कनाडा की वो सिख पॉपुलेशन जो खालिस्तान मुद्दे से सहानुभूति रखते हैं, का भारी दबाव है। इसकी वजह यह है कि यहां सिख पॉपुलेशन चुनावों में अहम रोल निभाती है। अधिकारियों ने भास्कर को बताया कि पिछले कुछ दिनों से यह साफ होता जा रहा था कि कनाडा सरकार पर खालिस्तानी संगठनों का दबाव काम करने लगा है।
  • विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भास्कर को बताया कि हमारे जो नए अफसर कनाडा में पोस्टिंग के लिए जाते हैं, वहां की सरकार उनके करियर की शुरुआत से लेकर अब तक का पूरा ब्योरा मांग रही है। ये इसलिए अजीब बात है, क्योंकि अमूमन ऐसा होता नहीं है। इसके अलावा हमारे डिप्लोमैट्स को वीजा देने में देर की जा रही थी। लिहाजा, जब कनाडा के प्रधानमंत्री ने जी-20 के दौरान रॉ पर आरोप लगाए तो हमें हैरानी नहीं हुई।

हत्याओं का ठीकरा रॉ पर

  • हालिया महीनों में कुछ खालिस्तानी आतंकवादियों की कनाडा और पाकिस्तान में हत्याएं हुईं हैं, दोनों देशों ने इसका ठीकरा रॉ पर फोड़ दिया।
  • दिलचस्प यह है कि हत्याएं 19 जून के बाद कभी नहीं हुईं। इसी वक्त रॉ के तब के डायरेक्टर सामंत गोयल का कार्यकाल खत्म हुआ। यह कयास लगाए जा रहे थे कि गोयल का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया जाएगा और जब यह नहीं हुआ तो इसको कुछ लोगों ने कनाडा और पाकिस्तान में हो रही घटनाओं से जोड़ कर भी देखा था।
  • रॉ प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को सीधे रिपोर्ट करती है। इनके अलावा उसके काम में किसी मिनिस्ट्री का कोई दखल नहीं होता। सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों ने भास्कर को बताया कि निज्जर खालिस्तानी संगठनों के लिए काफी बड़ा नाम था।
  • निज्जर 10 नवंबर 1977 को पंजाब में पैदा हुआ। 15 साल की उम्र में ही खालिस्तान टास्क फोर्स से जुड़ गया। 1995 में पहली बार वो पुलिस की गिरफ्त में आया। बेल मिली तो वो 19 फरवरी 1997 में रवि शर्मा के नाम से एक फर्जी पासपोर्ट बनाकर कनाडा भाग गया।
  • उसे टोरंटो एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया तो शरण के लिए अप्लाई कर दिया। इसे वहां की सरकार ने खारिज कर दिया। उसके बाद निज्जर ने वहां की एक महिला से शादी कर ली। इस महिला ने उसका इमीग्रेशन स्पॉन्सर किया और इस तरह वो कनाडा में रहने लगा।
  • इसको भी तब की कैनेडियन सरकार ने मानने से मना कर दिया था, क्योंकि उसको शक था कि निज्जर ने सिर्फ कनाडा की नागरिकता पाने के लिए ये शादी की है। बाद में सिख संगठनों ने अपने रुतबे का इस्तेमाल कर रवि शर्मा उर्फ निज्जर को कनाडा की नागरिकता दिलवा दी।

कई बार पाकिस्तान गया था निज्जर

  • भारतीय एजेंसियों को यह पता चला कि 2013 और 2014 में निज्जर कई बार पाकिस्तान गया। वहां वो खालिस्तान टाइगर फोर्स के जगतार सिंह तारा के साथ रुका। तारा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल था।
  • 2015 में भारतीय एजेंसियों ने ऑडियो और वीडियो सबूत जुटाए। यह पता चला कि कनाडा के मिशीगन हिल्स इलाके में खालिस्तान से सहानुभूति रखने वाले लोगों के लिए ट्रेनिंग कैम्प चल रहा था। यह सबूत भारत ने अमेरिका और ब्रिटेन से भी साझा किए। फरवरी 2018 में जब ट्रूडो भारत आए थे, तब पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनको मोस्टवांटेड आतंकवादियों की लिस्ट दी थी। ये वो लोग थे जो कनाडा में छिपे हैं।
  • भारतीय सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों के पास ऐसे कई सबूत हैं, जिनमें निज्जर बब्बर खालसा इंटरनेशनल के जगतार सिंह तारा से मिल रहा है।
  • निज्जर शृंगार सिनेमा हॉल लुधियाना में 2007 में हुए बम धमाके का मुख्य अभियुक्त था। 2009 में कमलदीप शर्मा जो जालंधर के एक मंदिर में पुरोहित था, उसकी हत्या का भी अभियुक्त था। 2010 के पटियाला में हुए सत्यनारायण मंदिर विस्फोट में भी उसका नाम था। 2015 और 2016 में निज्जर ने शिवसेना के नेताओं को मारने का आदेश दिया था। वो देश में सांप्रदायिक हिंसा फैलाना चाहता था।
  • कुछ साल से भारत को यह पता चल रहा था कि निज्जर अब बाकी खालिस्तानी संगठनों के साथ मिलकर कनाडा में बैठे भारतीय मूल के नए और युवा अपराधियों के साथ मिलकर भारत में गन, पैसा और ड्रग्स भेज रहा था। उसको मदद अर्शदीप उर्फ अर्श दला से मिल रही थी। अर्श अब भी कनाडा में है और उसने पंजाब के मोगा जिले में हुई कांग्रेस के एक नेता की हत्या की जिम्मेदारी ली है।
  • इन गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए 1 जुलाई 2020 को भारत ने निज्जर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस निकाला और उसको UAPA कानून के तहत आतंकवादी घोषित किया।

कनाडा में चार खालिस्तानी संगठन

  • सूत्रों ने बताया कि खालिस्तान के मुद्दे से सहानुभूति रखने वाले लोग अब कनाडा में काफी मजबूत हो रहे हैं। वहां कम से कम 4 खालिस्तानी आतंकवादी संगठन खुलकर काम कर रहे हैं। ये हैं- वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन, खालिस्तान टाइगर फोर्स, सिख्स फॉर जस्टिस और बब्बर खालसा इंटरनेशनल।
  • इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि ट्रूडो सरकार खुले मन से खालिस्तान से सहानुभूति रखने वाले लोगों को नागरिकता और शरण दे रही है। पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या भी कनाडा में बैठे भारतीय मूल के लोगों ने करवाई। इसके बावजूद भारत सरकार उनके खिलाफ कुछ नहीं कर पा रही है, क्योंकि उन्हें कनाडा के वो नेता जो खालिस्तान से सहानुभूति रखते हैं, बचा रहे हैं।
  • गुरवंत सिंह बाथ, भगत सिंह बरार, मोहिंदर सिंह बुआल, सतिंडर पाल सिंह जैसे बड़े खालिस्तानी कनाडा में खुले घूम रहे हैं। भारत सरकार उनको वापस लाना चाहती है। भारत की सुरक्षा से जुड़े सूत्रों के अनुसार दो राजनीतिक लोग जगमीत सिंह धालीवाल और रचना सिंह का संरक्षण इन खालिस्तानी आतंकवादियों को मिल रहा है।
  • धालीवाल सांसद है और खालिस्तान के लिए खुलकर बोलता हैं। रचना सिंह सरे ग्रीन से एमपी है। वो खालिस्तानी नेता गुरमीत सिंह की पत्नी है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने भास्कर से कहा- खालिस्तान को लेकर हमारी सोच को लेकर कई बार कनाडा की सरकार से बात की और उनको समझाने का प्रयास किया कि कनाडा में बैठे खालिस्तानी संगठनों से जुड़े लोग भारत में हत्याएं करवा रहे हैं, पर हमें कभी सकारात्मक जवाब नहीं मिला। हमने यह भी बताया था कि कैसे इन लोगों को पाकिस्तान की ISI मदद कर रही है। आज के जो हालात हैं, इसके लिए खालिस्तानी संगठन से ज्यादा कनाडा की सरकार जिम्मेदार है। उसने दबाव में आकर भारत से रिश्ते खराब कर लिए हैं। अब इस मुद्दे को सुलझाने में काफी वक्त और मेहनत लगेगी।

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