Mi-17 की ताकत: करगिल युद्ध के दौरान Mi-17 में रॉकेट लॉन्चर लगाकर बनाया गया था हमलावर, पाकिस्तानी फौज के छुड़ा दिए थे छक्के

नई दिल्ली3 मिनट पहले

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करगिल के दौरान आपरेशन विजय मई 1999 में शुरू किया गया। इसके शुरुआती दो बड़े उद्देश्यों में टाइगर हिल्स और तोलोलिंग की चोटियों पर कब्जा करना शामिल था। इन दोनों इलाकों में पाकिस्तानी सेना सबसे ज्यादा तैनात थी और यह दोनों ही इलाके श्रीनगर हाईवे के सबसे करीब थे। पाकिस्तानी सेना का करगिल की चोटियों पर कब्जा करने का मकसद था- श्रीनगर हाईवे पर कब्जा और सियाचिन ग्लेशियर को भारतीय सेना से काटकर उस पर कब्जा करना।

23 मई को 18 ग्रेनेडियर्स और 1 नागा रेजिमेंट ने तोलोलिंग रेंज की ओर बढ़ना शुरू किया, लेकिन दुश्मन ऊंचाई पर थे। इस वजह से उसने हमारे सैनिकों पर खतरनाक और सटीक फायरिंग शुरू कर दी। थल सेना का आगे बढ़ना रुक गया। ऐसे हालात में 24 मई 1999 को वायुसेना से मदद मांग गई। तब वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर शुरू किया। उस वक्त वायुसेना के पास पास Mi 35 हैवी ड्यूटी गनशिप ही उपलब्ध थी। यानी, तब भारत के पास यह अकेला हेलिकॉप्टर था जो दुश्मन पर हमला कर सकता था। दूसरी तरफ यह हेलिकॉप्टर केवल 10 हजार फीट की ऊंचाई तक ही उड़ सकता था, जबकि तोलोलिंग पर मौजूद दुश्मन 15 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद थे।

ऐसे में वायुसेना ने फैसला किया कि वो अपने Mi17 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर को ही हमला करने वाले हेलिकॉप्टरों में बदल देंगे। यानी, उसे गनशिप हेलिकॉप्टर में बना देंगे। इसमें 557 mm के रॉकेट वाले दो लॉन्चर लगाए गए। श्रीनगर एयरबेस पर दो यूनिट्स से हेलिकॉप्टर लेकर उनमें रॉकेट दागने वाले पॉड यानी लॉन्चर लगाए गए।

उधर, पाकिस्तानी सैनिकों के पास विमानों को मार गिराने वाली ऐसी मिसाइल थीं जिन्हें कंधे पर रखकर दागा जा सकता था। इनमें अमेरिकी स्ट्रिंगर मिसाइल भी थीं। 26 मई की सुबह पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर पहले वायुसेना के विमानों ने बम बरसाए। इसके बाद आए Mi 17 हेलिकॉप्टर। तीन दिनों तक Mi 17 के रॉकेटों से हमला किया। 27 मई की सुबह चार Mi 17 ने हमला शुरू किया गया। इसी दिन इनमें से एक हेलिकॉप्टर पाकिस्तानी सेना की मिसाइल का शिकार बन गया। बावजूद बाकी तीन हेलिकॉप्टर अपने मिशन में लगे रहे और तोलोलिंग में पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को तबाह कर दिया।

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