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- साढ़े चार साल पहले ही कांग्रेस में आए सिद्धू ने इस तरह तैयार की जमीन, आलाकमान ने दी ताकत और एंटी कैप्टन कैंप को मिला समर्थन
लुधियाना9 घंटे पहलेलेखक: दिलबाग दानिश
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पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू।
पंजाब कांग्रेस में छिड़े घमासान का पटाक्षेप होता साफ नजर आ रहा है। हाईकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा और वह इस्तीफा देने को तैयार हो चुके हैं। इतना बड़ा फैसला एक ही दिन में नहीं हो गया। इसके पीछे बड़ी सुनियोजित पृष्ठभूमि ने काम किया है। आइए जानते हैं कि सिर्फ साढ़े 4 साल पहले ही भारतीय जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने किस तरह फील्डिंग लगाई और कैप्टन को क्लीन बोल्ड करने में कामयाब हो सके हैं।
सिद्धू की तरफ से कैप्टन की मुखालफत की कहानी तब शुरू हुई, जब वो पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बने अपने पूर्व क्रिकेटर दोस्त इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए थे। वहां पाकिस्तान के आर्मी चीफ के गले लगने को लेकर विवादों में आ गए। इस बात को गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का रास्ता खोलने की बात पर भावुक हो जाने की बात कहकर सिद्धू ने संभालने की कोशिश की। फिर यह बात उस वक्त और बिगड़ गई, जब सिद्धू करतारपुर कॉरिडोर के पाकिस्तान वाली साइड के शिलान्यास समारोह में बिना पार्टी की हाईकमान की परमीशन के पाकिस्तान चले गए। वहां पीओके प्रेसिडेंट के बगल में बैठने और आतंकी गोपाल चावला के साथ फोटो को लेकर फिर विवाद में आ गए।
इसी बीच एक और पहलू जुड़ गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने अमरिंदर के खिलाफ नाराजगी जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें अमरिंदर सिंह की वजह से अमृतसर से लोकसभा का टिकट नहीं मिला। सिद्धू ने भी पत्नी का समर्थन किया था। पटियाला में वोट डालने के बाद इस पर पलटवार करते हुए कैप्टन ने कहा था-सिद्धू के साथ कोई जुबानी जंग नहीं है। वह महत्वाकांक्षी हैं, यह ठीक है। लोगों की बहुत सी महत्वाकांक्षाएं होती हैं। मैं सिद्धू को बचपन से जानता हूं। मेरा उनके साथ कोई मतभेद भी नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। मुझे हटाना ही उनका मुख्य उद्देश्य है।
यहां और बढ़ी तल्खियां
इसके बाद तो नाराजगी यहां तक बढ़ गई कि 2019 के मध्य में सिद्धू से स्थानीय निकाय मंत्रालय लेकर उन्हें बिजली मंत्रालय दे दिया गया। इसे सिद्धू ने अस्वीकार करते हुए जुलाई 2019 में मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और वह पार्टी की गतिविधियों से दूरी बनाने लग गए।
यहीं से सिद्धू अपने लिए जमीन तैयार करनी शुरू कर दी। सभी को लग रहा था कि सिद्धू साइड लाइन कर दिए गए हैं। मगर ऐसा नहीं था वह साइड पर बैठकर अफसरशाही से नाराज, कैप्टन से नहीं मिलने से नाराज और काम नहीं हो पाने के कारण नाराज चल रहे नेताओं से मिलते रहे और लॉबिंग करते रहे। यही नहीं वह हर उस नेता से नजदीकी बढ़ा रहे थे, जो कैप्टन से नाराज चल रहा था।
गांधी परिवार से नजदीकियों ने बनाया अध्यक्ष
नवजोत सिद्धू राहुल गांधी के जरिए ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। 2017 के चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से जाट महासभा के माध्यम से जब हाईकमान के सामने अपना शक्ति प्रदर्शन किया तो वह कैप्टन के खिलाफ बड़ा नेता खड़ा करना चाहते थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बठिंडा में अमरिंदर सिंह ने राजा वडिंग की चुनावी सभा में विरोधी बोल बोले थे। इसके बाद उन्होंने कहा था कि मेरा कैप्टन राहुल गांधी है। इसके बाद प्रदेशभर में मेरा कैप्टन कैप्टन अमरिंदर सिंह के बोर्ड लगे तो इसका फायदा भी सिद्धू को ही हुआ। वह गांधी परिवार के और भी नजदीक हो गए। इसका फायदा मिला 18 जुलाई 2021 को जब उन्हें कांग्रेस का अधयक्ष लगा दिया गया। यहीं से ही कैप्टन के खिलाफ वह जमीन तैयार करने में लग गए थे।
बावजा के घर मीटिंग के बाद तैयार हुई थी तख्तापलट की तैयारी
नवजोत सिद्धू के अध्यक्ष बनते ही उनका गुट सामने आने लगा था। प्रधान बदलते ही तृपत राजिंदर सिंह बाजवा और सुखविंदर सिंह रंधावा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ झंडा उठा लिया था। 25 अगस्त को तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के घर पर 28 विधायकों और चार मंत्रियों की बैठक हुई और कैप्टन को कटाने की मांग उठी। इसके बाद ही चार सदस्य पहले देहरादून हरीष रावत से मिलने पहुंचे और इसके बाद वह दिल्ली पहुंचे और हाईकमान से मिलने का समय नहीं मिला। जब बात नहीं बनी तो दोनों मंत्रियों ने कैप्टन से सुलह की कोशिश करते हुए बटाला को जिला बनाने की मांग करते हुए पत्र लिखा और मिलने का समय मांगा। मगर कैप्टन मिले नहीं तो इसके बाद ही सभी ने मिलकर 40 विधायकों के साइन वाला पत्र हाईकमान को भेज दिया और विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग की और आज मीटिंग बुला ली गई है।
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