DU के लॉ कोर्स में मनुस्मृति पढ़ाने का सुझाव: एकेडमिक काउंसिल की बैठक में आज चर्चा होगी; फैकल्टी बोली- ये महिलाओं को पीछे ले जाएगा

नई दिल्ली19 मिनट पहले

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​​​​​​​लेफ्ट समर्थित सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (SDTF) ने इस कदम का विरोध किया है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के LLB छात्रों को मनुस्मृति (लॉज ऑफ मनु) पढ़ाने के प्रस्ताव पर आज चर्चा हो सकती है। इसे एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पेश किया जाएगा। शिक्षकों का एक वर्ग इसके खिलाफ है। कुछ फैकल्टी ने कहा कि ये महिलाओं और पिछड़े तबकों को और पीछे ले जाएगा।

लॉ फैकल्टी ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था से अपने फर्स्ट और थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स के सिलेबस में बदलाव करने की इजाजत मांगी है ताकि उन्हें ‘मनुस्मृति’ पढ़ाई जा सके। दरअसल न्यायशास्त्र पेपर के सिलेबस में बदलाव LLB के पहले और छठे सेमेस्टर से संबंधित हैं।

मनुस्मृति के पाठ सिलेबस में शामिल किए जा सकते हैं
संशोधनों के अनुसार, मनुस्मृति के दो पाठ- जी एन झा की लिखी ‘मनुस्मृति विद द मनुभास्य ऑफ मेधातिथि’ और टी कृषणस्वामी अय्यर द्वारा लिखी- ‘कमेंटरी ऑफ मनु स्मृति- स्मृतिचंद्रिका’ छात्रों के पढ़ने के लिए प्रस्तावित किए गए हैं।

24 जून को दिल्ली यूनिवर्सिटी की डीन अंजू वली टिक्कू की अध्यक्षता में हुई फैकल्टी की कोर्स कमेटी की बैठक में इस बदलाव का सुझाव देने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था।

24 जून को दिल्ली यूनिवर्सिटी की डीन अंजू वली टिक्कू की अध्यक्षता में हुई फैकल्टी की कोर्स कमेटी की बैठक में इस बदलाव का सुझाव देने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था।

सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने DU के कुलपति को पत्र लिखा
लेफ्ट समर्थित सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (SDTF) ने इस कदम का विरोध किया है। SDTF ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति योगेश सिंह को पत्र लिखकर कहा कि यह किताब महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों के प्रति पिछड़े नजरिए को बढ़ावा देती है और प्रगतिशील शिक्षा प्रणाली के खिलाफ है।

SDTF के जनरल सेक्रेटरी एसएस बरवाल और चेयरपर्सन एसके सागर ने इस पत्र में कहा कि छात्रों को सजेस्टिड रीडिंग के तौर पर मनुस्मृति पढ़ने की सलाह देना बेहद आपत्तिजनक है क्योंकि यह किताब भारत में महिलाओं और अधिकारविहीन समुदायों की प्रगति और शिक्षा के खिलाफ है।

इस पत्र में लिखा है कि मनुस्मृति के कई वर्गों में महिलाओं की शिक्षा और समान अधिकारों के विरोध में बातें लिखी हैं। मनुस्मृति के किसी भी खंड या भाग का परिचय हमारे संविधान की बुनियादी संरचना और सिद्धांतों के खिलाफ है।

SDTF ने इस प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने और 12 जुलाई को होने वाली एकेडमिक काउंसिल की बैठक में स्वीकृत न करने की मांग की है। इस पत्र में कुलपति से अनुरोध किया गया है कि कि वे लॉ फैकल्टी और संबंधित स्टाफ सदस्यों को मौजूदा सिलेबस के आधार पर न्यायशास्त्र पेपर पढ़ाते रहने का आदेश जारी करें।

यह बदलाव फर्स्ट और थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स के सिलेबस में किया जाएगा।

यह बदलाव फर्स्ट और थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स के सिलेबस में किया जाएगा।

जयराम रमेश बोले- यह RSS की दशकों पुरानी रणनीति को पूरा करने की कोशिश
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे लेकर कहा कि RSS दशकों से संविधान और डॉ. अंबेडकर की विरासत पर हमला करता आया है। DU में मनुस्मृति पढ़ाना इन्हीं कोशिशों को पूरा करने के लिए नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की सलामी रणनीति का हिस्सा है।

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NCERT की किताब में हुए बदलाव:’भारत चीन सैन्‍य संघर्ष’ को ‘चीन की घुसपैठ’ लिखा, ‘आजाद पाकिस्‍तान’ शब्‍द भी हटा

NCERT की पॉलिटिकल साइंस की किताब में ‘चीन के साथ भारत के संबंध और स्थिति’ से जुड़े चैप्टर में बदलाव किया गया है। 12वीं में कंटेंपरेरी वर्ल्ड पॉलिटिक्स के दूसरे चैप्टर में भारत-चीन टाइटल के कंटेंट में भी बदलाव कर दिया गया है।

पहले किताब के पेज नंबर 25 पर लिखा था कि भारत-चीन के बीच के ‘सैन्य संघर्ष’ ने उम्मीद को खत्म कर दिया है। अब इस वाक्य की जगह लिखा है – भारतीय सीमा पर ‘चीन की घुसपैठ’ ने उम्मीद को खत्म कर दिया है।

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