DSP जियाउल हक हत्याकांड…बार-बार शक राजा भैया पर क्यों?: जेल में बंद आरोपी ने कहा था-राजा के शूटर ने मारा; बाकी पुलिसवालों को चोट भी नहीं लगी

एक घंटा पहलेलेखक: राजेश साहू

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रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया…30 साल से कुंडा के विधायक हैं। प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक प्रमुख तक वही बनता है, जिसे राजा चाहते हैं। जमीन का विवाद हो या फिर पारिवारिक झगड़ा, लोग थाने जाने के बजाय राजा के दरबार में जाते हैं। राजा ने जो फैसला सुना दिया, वही मान्य हो जाता है। यहां राजा भैया से जुड़ी अपराध की कहानियां भी खूब चलती हैं, लेकिन इसे बताने से पहले ‘कहा जाता है कि’ लाइन का प्रयोग होता है।

रघुराज प्रताप सिंह के रुतबे, दबदबे या फिर कहें प्रभाव के बीच एक केस उनके गले की फांस बन गया है। वह केस है DSP जियाउल हक हत्याकांड। सीबीआई जांच पूरी करने के बाद कहती है कि इसमें राजा का हाथ नहीं। कोर्ट कहता है कि फिर से जांच करिए। 3 महीने में रिपोर्ट दीजिए। आखिर ये केस था क्या? हत्या की स्थिति कैसे बनी? आरोपी क्यों राजा के खास व्यक्ति का नाम ले रहे? आइए सब कुछ एक तरफ से जानते हैं…

एक जमीन के दो मालिक, जो विवाद की वजह बना
साल 2013…तारीख 2 मार्च। प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर गांव में प्रधान नन्हें यादव और कामता पाल जमीन के एक विवाद को सुलझाने के लिए पंचायत कर रहे थे। नन्हें ने कुछ वक्त पहले बबलू पांडे से जमीन खरीदी थी। बकायदा रजिस्ट्री करवा रखी थी। लेकिन इस जमीन पर कामता ने भी दावा कर रखा था। उन्हें गुड्डू सिंह का समर्थन था। गुड्डू राजा के खास थे। पहले उनके ड्राइवर हुआ करते थे। कामता कहते थे कि यह जमीन मेरी है। इसी बात का विवाद था कि जमीन का असली मालिक कौन है? पंचायत आगे बढ़ रही थी। एक-दूसरे को कागज दिखाकर दावा किया जा रहा कि जमीन पर मेरा अधिकार है।

बलीपुर में नन्हें यादव का परिवार सपा समर्थक था। वहीं कामता राजा भैया की तरफ थे। यह उसी गांव की फोटो है।

बलीपुर में नन्हें यादव का परिवार सपा समर्थक था। वहीं कामता राजा भैया की तरफ थे। यह उसी गांव की फोटो है।

पंचायत के बीच लोगों की आवाज ऊंची हो गई। एक-दूसरे को गालियां दी जाने लगीं। बैठक में कामता पटेल के बेटे अजय और विजय भी मौजूद थे। विजय ने पिस्टल निकाली और नन्हें को गोली मार दी। प्रधान को गोली मारने की बात गांव में आग की तरह फैली। आरोपी बाइक से भाग गए। नन्हें को लेकर लोग अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। यहीं हथिगवां थाने की पुलिस प्रशासन से चूक हो गई। उन्होंने नन्हें के शव का पोस्टमॉर्टम करवाने के बजाय परिवार को सौंप दिया। परिवार शव लेकर बलीपुर पहुंचा, तो प्रधान के समर्थक उग्र हो गए। कामता पाल के घर में आग लगा दी।

गांव में हिंसा की भड़की तो सीओ जियाउल हक और एसएचओ सर्वेश मिश्रा अपनी टीम के साथ रात करीब 8 बजे बलीपुर गांव पहुंचे। गांव के मुख्य रास्ते पर भीड़ उग्र थी। फायरिंग हो रही थी। इसलिए नन्हें के घर तक पहुंचना आसान नहीं था। जियाउल हक ने तय किया कि गांव में पीछे के रास्ते से एंट्री लेंगे। जियाउल हक के साथ उनके गनर इमरान और कुंडा के एसआई विनय कुमार सिंह थे। ये दोनों खेत में ही छिप गए। सीओ और एसएचओ बाकी टीम के साथ गांव में पहुंचे।

नन्हें के घर तक जाने के लिए एक गली थी। जियाउल हक सबसे आगे थे। तभी गली से उग्र भीड़ पुलिस की तरफ दौड़ी। जो आगे थे, वह पीछे हो गए। नन्हें के भाई सुरेश के हाथ में लोडेड बंदूक थी। उसने बट से जियाउल हक पर हमला कर दिया। तभी गोली चली और सुरेश के पेट में लगी। सुरेश तड़पने लगा। तभी नन्हें का बेटा बबलू, पवन, सुधीर पहुंचे और जियाउल हक को पीटना शुरू कर दिया। इसके बाद बबलू ने बगल में पड़ी बंदूक उठाई और जियाउल हक को गोली मार दी। सारे पुलिस जान बचाकर भाग चुके थे। जियाउल को हॉस्पिटल ले जाने वाला कोई नहीं था। कुछ देर में उनकी मौत हो गई।

  • यह बातें हमने आपको जांच कर रही पुलिस, सीबीआई और राजा भैया के बताए बयानों के आधार पर बताई। अब आगे की कहानी जानते हैं।

डीएसपी की पत्नी ने राजा भैया को साजिशकर्ता बताया
बलीपुर में 3 घंटे के भीतर तीन हत्या का मामला लखनऊ पहुंच गया। तुरंत एक्शन शुरू हुआ। सबसे पहले जियाउल हक को गांव में छोड़कर भागने वाले एसएचओ सहित 8 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। कुल 4 एफआईआर दर्ज हुईं। पहली एफआईआर नन्हें यादव हत्याकांड की। दूसरी सुरेश यादव हत्याकांड की। तीसरी जियाउल हक हत्याकांड की और चौथी पुलिस पर हमला करने की। नन्हें यादव मामले में कामता और उसके बेटों को आरोपी बनाया गया। जियाउल हक मामले में नन्हें यादव के बेटे समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया गया।

नन्हें और सुरेश की हत्या के बाद उस वक्त सीएम अखिलेश यादव पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे।

नन्हें और सुरेश की हत्या के बाद उस वक्त सीएम अखिलेश यादव पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे।

डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद ने जो एफआईआर दर्ज करवाई, उसमें 5 आरोपी बनाए। इसमें संजय सिंह उर्फ गुड्डू, रोहित सिंह, हरिओम यादव, गुलशन यादव और राजा भैया का नाम शामिल किया। इन सबके खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 504, 506, 120बी, 147, 148, 149 और सीएलए एक्ट की धारा 7 के तहत मामला दर्ज हुआ। जब यह हत्याकांड हुआ और मामला दर्ज हुआ तब लखनऊ में विधानसभा की कार्रवाई चल रही थी। राजा वहीं थे।

3 मार्च को विपक्ष खासकर बीजेपी और बीएसपी ने सपा सरकार पर हमला बोल दिया। उस वक्त राजा भैया सपा सरकार में खाद्य एवं रसद मंत्री थे। वह बोलने के लिए खड़े हुए। इस मामले से खुद को दूर बताया और सीबीआई जांच की मांग की। मामला हाई प्रोफाइल था। सरकारी अफसर की हत्या, मंत्री पर साजिश का आरोप। इसलिए सरकार इस मामले में बैकफुट पर नजर आई। अगले दिन यानी 4 मार्च को राजा भैया ने इस्तीफा दे दिया। सरकार ने इस केस को सीबीआई को सौंप दिया।

सीबीआई ने कहा- राजा भैया इसमें शामिल नहीं
सीबीआई ने जांच शुरू की। नन्हें को गोली मारने वाले विजय पाल और उसके भाई अजय को गिरफ्तार कर लिया। जियाउल हक पर गोली चलाने वाले नन्हें के बेटे बबलू को भी गिरफ्तार कर लिया। लेकिन असली चुनौती डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद के आरोपों की जांच की थी। उसमें उन्होंने राजा को साजिशकर्ता बताया था। सीबीआई ने राजा भैया से करीब 48 घंटे की लंबी पूछताछ की। उनका पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया गया। राजा और उनके साथियों का लाई डिटेक्टर टेस्ट हुआ।

यह फोटो जियाउल हक और परवीन की उस वक्त की है, जब उनकी शादी हुई थी।

यह फोटो जियाउल हक और परवीन की उस वक्त की है, जब उनकी शादी हुई थी।

सीबीआई ने 1 अगस्त, 2013 को बयान जारी करते हुए कहा, राजा भैया और उनके साथ के चार करीबियों का जियाउल हक हत्याकांड से कोई नाता नहीं। इसलिए हम इनके खिलाफ केस नहीं चला सकते। सीबीआई ने बताया कि जिस वक्त यह हत्याकांड हुआ उस वक्त राजा भैया, गुड्डू सिंह, रोहित सिंह लखनऊ में थे। गुलशन यादव और हरिओम श्रीवास्तव कुंडा में थे। सीबीआई ने केस खारिज कर दिया। कुल मिलाकर राजा को इस मामले से क्लीनचिट मिल गई। सपा ने उन्हें फिर से खाद्य और रसद मंत्री बना दिया।

डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद सीबीआई के इस फैसले से संतुष्ट नहीं थी। उन्होंने इस फैसले को चैलेंज किया। जुलाई 2014 में सीबीआई की ही विशेष कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया। जज श्रद्धा तिवारी ने कहा कि अफसरों ने इस मामले में कई तथ्यों को ध्यान में नहीं रखा। जांच के नाम पर खानापूर्ति हुई। फिर से जांच की जाए।

  • अब सवाल है कि परवीन ने किस आधार पर इसे चैलेंज किया और क्यों उन्हें लगता था कि राजा ने उनके पति की हत्या करवाई? आइए अब इसे जानते हैं…

दलित लड़की से रेप के बाद मुस्लिमों के घर जला दिए गए
जून 2012..कुंडा का अस्थान गांव। यहां एक दलित बच्ची से रेप हुआ। उसके बाद उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। हत्या का आरोप गांव के ही कुछ मुस्लिम व्यक्तियों पर लगा। भीड़ उग्र हो गई। उसने मुस्लिम बस्ती पर धावा बोल दिया। जो मिला, उसे पीटना शुरू कर दिया। अंसारी समुदाय के 46 घरों को आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस ने किसी तरह से स्थिति पर काबू पाया, तो राजनीति शुरू हो गई। अलग-अलग पार्टियों के नेता पीड़ित परिवार से मिलने अस्थान गांव पहुंचने लगे। इसी बीच विश्व हिन्दू परिषद के नेता प्रवीन तोगड़िया भी गांव के लिए निकले, लेकिन उन्हें रोक दिया गया।

इस मामले की जांच पहले सीओ खलीकुज्जमा ने की। उनका ट्रांसफर हुआ, तो जियाउल हक को जांच सौंप दी गई। घर जलाने के मामले में जिन लोगों का नाम आया, वे राजा भैया के करीबी थे। सीओ की पत्नी परवीन इसी आधार पर कहती हैं कि उनके पति ने जब उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की, तो वह राजा की नजर में चुभ गए। परवीन इसी घटना को बलीपुर से जोड़ते हुए राजा को अपने पति की हत्या के मामले में आरोपी बताती हैं।

आरोपी पवन ने जेल से जो चिट्ठी भेजी, उसमें कहा कि डीएसपी की हत्या राजा के इशारे पर हुई।

आरोपी पवन ने जेल से जो चिट्ठी भेजी, उसमें कहा कि डीएसपी की हत्या राजा के इशारे पर हुई।

आरोपी की चिट्ठी में राजा के आदमी का नाम
2016 में डीएसपी हत्याकांड के आरोपी नन्हें यादव के बेटे पवन ने जेल से ही परवीन को 3 पन्ने की चिट्ठी भेजी। इस चिट्ठी में उसने दावा किया कि जियाउल हक की हत्या राजा भैया के पुराने मैनेजर और शूटर नन्हें सिंह ने की। जिस वक्त जियाउल हक को गोली मारी गई उस वक्त वह खड़े थे, इसके बाद उन्हें सड़क पर लिटा दिया गया। यह हत्या राजा के इशारे पर हुई थी। चिट्ठी में दावा किया गया कि जांच कर रही सीबीआई के लिए राजा के समर्थक शराब और मीट की व्यवस्था करते हैं, हर जरूरी सुविधाएं देते हैं। इन लोगों को पूछताछ के नाम पर सीबीआई दिनभर बैठाए रहती है और फिर शाम को घर भेज देती है।

इस चिट्ठी के मिलने के बाद परवीन ने इसे आधार बनाया और जांच की मांग की। परवीन एक और आरोप लगाती हैं। वह कहती हैं कि मेरे पति अवैध खनन की भी जांच कर रहे थे। जिसमें राजा के लोगों का नाम शामिल था। परवीन कोर्ट गईं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा- परवीन अफवाहों पर बात कर रही हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को मान्यता दे दी। यह सब दिसंबर, 2022 में हुआ।

परवीन जांच से संतुष्ट नहीं हुई। वह हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती हैं। वहां जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने राजा भैया को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि सीबीआई ने उनसे जुड़े तथ्यों पर ठीक से जांच नहीं की। साथ ही पुलिसवालों पर भी सवाल किया कि जियाउल हक को अकेला छोड़कर कैसे चले गए? किसी और पुलिसवाले को कोई चोट क्यों नहीं आई?

  • इन्हीं बातों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को आदेश दिया कि सीबीआई राजा भैया से जुड़े तथ्यों की फिर से जांच करे। 90 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।

फिलहाल राजा इस वक्त विधायक हैं। इस मामले में उनके साथ आरोपी बनाए गए गुलशन यादव अब उनके साथ नहीं हैं। अब उनके प्रतिद्वंदी बन चुके हैं। बाकी के सारे आरोपी जेल में बंद हैं। अब देखना होगा कि 90 दिन बाद इस मामले पर सीबीआई जो रिपोर्ट पेश करेगी, उसमें क्या होगा।