AMU के माइनॉरिटी स्टेटस पर SC ने फैसला सुरक्षित रखा: 7 जस्टिस की बेंच ने 8 दिन तक सुनवाई की; 2006 में अल्पसंख्यक दर्जा हटा था

नई दिल्ली13 मिनट पहले

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिर्वसिटी के माइनॉरिटी स्टेटस पर 8 दिनों तक चली बहस के बाद गुरुवार (1 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जस्टिस की बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जेबी पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। बेंच ने 8 दिन तक इस मामले में दलीलें सुनीं।

AMU के माइनॉरिटी स्टेटस का मुद्दा कई दशकों से बना हुआ है। शीर्ष अदालत ने 12 फरवरी 2019 को विवादास्पद मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में भेजा था। 1967 में एस अजीज बाशा बनाम भारत संघ मामले में पांच जस्टिस की संविधान पीठ ने कहा था कि AMU सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। इसलिए इसे माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन नहीं माना जा सकता है।

हालांकि, संसद ने जब 1981 में AMU (संशोधन) एक्ट पारित किया था तो इस AMU को माइनॉरिटी स्टेटस वापस मिल गया था।इसके बाद जनवरी 2006 में इलाहाबाद HC ने 1981 के कानून के उस प्रावधान को रद्द कर दिया, जिसके आधार पर AMU को माइनॉरिटी स्टेटस दिया गया था।

इसके बाद केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने इलाहाबाद HC के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। यूनिवर्सिटी ने इसके खिलाफ अलग से याचिका भी दायर की थी।

भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने साल 2016 में SC को बताया कि वह UPA सरकार की दायर अपील वापस ले लेगी। इसने बाशा मामले में शीर्ष अदालत के 1967 के फैसले का हवाला देते हुए दावा किया था कि AMU माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन नहीं है। क्योंकि इसे केंद्र सरकार फंड करती है, यह सेट्रल यूनिवर्सिटी है।

किसी यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा मिलने का मतलब क्या है?
भारतीय संविधान के आर्टिकल 30(1) में कहा गया है कि भाषा और धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक लोगों को अपने पसंद की शैक्षणिक संस्थान बनाने और उसे चलाने का अधिकार है। इस कानून के आधार पर कई संस्थानों ने अल्पसंख्यक दर्जे का दावा किया।

1970 में सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार वर्सेस मदर प्रोविंशियल केस में कहा कि अगर अल्पसंख्यक समुदाय का कोई शख्स अल्पसंख्यकों के हित में शिक्षण संस्थान शुरू करता है तो उसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलेगा। राज्य शैक्षिक संस्थाओं को सहायता देते समय भेदभाव नहीं करेगा।

इस तरह के संस्थानों में अल्पसंख्यकों की भाषा, संस्कृति की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान किया जाता है। इसके साथ ही एडमिशन में अल्पसंख्यकों के लिए निश्चित सीटें रिजर्व होती है।

भारत सरकार ने 2004 में ‘राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग अधिनियम’ कानून बनाकर इन संस्थानों के लिए एक गाइडलाइन बनाई। इस कानून की धारा 2(G) के मुताबिक वो संस्थान जिसे किसी अल्पसंख्यक ने बनाया हो और उसे चला रहा हो। इस तरह के संस्थान अल्पसंख्यक के लिए दावा कर सकते हैं।

अब मामला यहां अटका कि अल्पसंख्यक समुदाय कौन है? भाषाई या धार्मिक आधार पर कोई समुदाय एक राज्य में अल्पसंख्यक है, जबकि दूसरे राज्य में बहुसंख्यक हो सकता है। ऐसे में ये फैसला कौन और कैसे करेगा कि वास्तव में अल्पसंख्यक कौन है?

2002 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में इस समस्या का भी समाधान कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अल्पसंख्यक का दर्जा किसी समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बल्कि राज्य स्तर पर तय होगा।

17 अक्टूबर 1963 को क्लिक की गई ये तस्वीर AMU यूनिवर्सिटी की है। जहां एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए देश के पीएम जवाहर लाल नेहरू पहुंचे थे।

17 अक्टूबर 1963 को क्लिक की गई ये तस्वीर AMU यूनिवर्सिटी की है। जहां एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए देश के पीएम जवाहर लाल नेहरू पहुंचे थे।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कब और किसने बनवाई?

  • 1817 में दिल्ली के सादात (सैयद) खानदान में सर सैयद अहमद खान का जन्म हुआ। 24 साल की उम्र में सैयद अहमद मैनपुरी में उप-न्यायाधीश बन गए। इस समय ही उन्हें मुस्लिम समुदाय के लिए अलग से शिक्षण संस्थान की जरूरत महसूस हुई।
  • अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी शुरू करने से पहले सर सैयद अहमद खान ने मई 1872 में मुहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज फंड कमेटी बनाया। इस कमेटी ने 1877 में मुहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की शुरुआत की।
  • इस बीच अलीगढ़ में एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग तेज हो गई। जिसके बाद मुस्लिम यूनिवर्सिटी एसोसिएशन की स्थापना हुई। 1920 में ब्रिटिश सरकार की मदद से कमेटी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक्ट बनाकर इस यूनिवर्सिटी की स्थापना की।
  • अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाए जाने के बाद पहले से बनी सभी कमेटी को भंग कर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से एक नई कमेटी बनी। इसी कमेटी को सभी अधिकार और संपत्ति सौंपी गई।
  • ABVP और दूसरे दक्षिण पंथी संगठनों का कहना है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने इस यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए 1929 में 3.04 एकड़ जमीन दान दी थी। ऐसे में इस यूनिवर्सिटी के संस्थापक सिर्फ सर अहमद खान को नहीं बल्कि हिंदू राजा महेंद्र प्रताप सिंह भी हैं।

कितनी बड़ी है यूनिवर्सिटी
15 विभागों से शुरू हुए AMU में आज 108 विभाग हैं। करीब 1200 एकड़ में फैली यूनिवर्सिटी में 300 से ज्यादा कोर्स हैं। यहां आप नर्सरी में एडमिशन लेकर पूरी पढ़ाई कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड 7 कॉलेज, 2 स्कूल, 2 पॉलिटेक्निक कॉलेज के साथ 80 हॉस्टल हैं। यहां 1400 का टीचिंग स्टाफ है और 6000 के करीब नॉन टीचिंग स्टाफ है।

AMU का माइनॉरिटी स्टेटस से जुड़ा पूरा मुद्दा समझने के लिए नीदे दी गई लिंक पर क्लिक करें…

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ये तस्वीर साल 1872 की है, जहां मुहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज फंड कमेटी का दफ्तर बना था। बाद में यहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शुरुआत हुई।

ये तस्वीर साल 1872 की है, जहां मुहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज फंड कमेटी का दफ्तर बना था। बाद में यहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शुरुआत हुई।

14 साल बाद 1981 में केंद्र सरकार ने AMU एक्ट में संशोधन करके यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल कर दिया। इसके बाद 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में AMU के अल्पसंख्यक दर्जे को दोबारा खत्म कर दिया। पूरी खबर पढ़ें

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