AAP सांसद संजय सिंह के घर ED का छापा: दिल्ली स्थित घर पर चल रही तलाशी, आबकारी नीति केस की चार्जशीट में है नाम

नई दिल्ली11 मिनट पहले

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यह विजुअल संजय सिंह के दिल्ली वाले घर के हैं। ईडी की टीम सुबह से यहां छानबीन कर रही है।

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के घर बुधवार सुबह ED की टीम पहुंची। यह छापेमारी संजय सिंह के दिल्ली वाले घर में हो रही है। बताया जा रहा है, यह तलाशी आबकारी नीति केस के सिलसिले में हो रही। आबकारी नीति केस की चार्जशीट में संजय सिंह का भी नाम है।

इससे पहले 24 मई को इसी केस में संजय सिंह के करीबियों के यहां ED ने छापा मारा था। तब संजय सिंह ने कहा था- मैंने ED की फर्जी जांच को पूरे देश के सामने उजागर किया। आज मेरे सहयोगियों अजीत त्यागी और सर्वेश मिश्रा के घर ED ने छापा मारा है। सर्वेश के पिता कैंसर से पीड़ित हैं। ये जुर्म की इंतिहा है। चाहे जितना जुर्म करो लड़ाई जारी रहेगी।

24 मई को संजय सिंह ने एक वीडियो मैसेज जारी करके बताया था कि ED ने उनके दो करीबियों के घर छापा मारा है।

24 मई को संजय सिंह ने एक वीडियो मैसेज जारी करके बताया था कि ED ने उनके दो करीबियों के घर छापा मारा है।

जनवरी में ED की चार्जशीट में जुड़ा था संजय सिंह का नाम
इसी साल जनवरी में ED ने अपनी चार्जशीट में संजय सिंह का नाम जोड़ा था। इसको लेकर संजय सिंह ने काफी हंगामा मचाया था। दरअसल मई में संजय सिंह ने दावा किया कि ईडी ने उनका नाम गलती से जोड़ दिया है। जिस पर ईडी ने जवाब दिया कि, हमारी चार्जशीट में संजय सिंह का नाम चार जगह लिखा गया है। इनमें से तीन जगह नाम सही लिखा गया है। सिर्फ एक जगह टाइपिंग की गलती हो गई थी।

जिसके बाद ईडी ने संजय सिंह को मीडिया में बयानबाजी न करने की सलाह दी थी क्योंकि मामला कोर्ट में लंबित है।

संजय सिंह पर क्या है आरोप
ED की चार्जशीट में संजय सिंह पर 82 लाख रुपए का चंदा लेने का जिक्र है। इसको लेकर ही ईडी बुधवार को उनके घर पहुंची और उनसे पूछताछ कर रही है। दिल्ली शराब नीति केस में ED की दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट 2 मई को जारी की गई थी। जिसमें में आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद राघव चड्ढा का भी नाम सामने आया था। हालांकि उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है।

CBI ने 26 फरवरी को लंबी पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था।

CBI ने 26 फरवरी को लंबी पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था।

क्या है शराब नीति घोटाला, सिसोदिया पर टेंडर फीस माफ करने का आरोप
दिल्ली में पुरानी नीति के तहत L1 और L10 लाइसेंस रिटेल वेंडर को दिया जाता था। इसमें L1 दुकानें DDA के अप्रूव्ड मार्केट, लोकल शॉपिंग सेंटर, कन्वीनिएंट शॉपिंग सेंटर, डिस्ट्रिक्ट सेंटर और कम्युनिटी सेंटर में चला करती थीं।

दिल्ली में 17 नवंबर 2021 को शराब के लिए नई आबकारी नीति लागू होने तक 849 शराब की दुकानें थीं। इनमें से 60% दुकानें सरकारी और 40% निजी थीं।

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर को नई शराब नीति को मंजूरी दी। इसके तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया। नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था।

हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं। इन दुकानों का मालिकाना हक जोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया था। हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई।

उपराज्यपाल और दिल्ली के सीएम को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना शराब नीति में बदलाव किया। जैसे कि कोरोना महामारी के नाम पर 144.36 करोड़ रुपए की टेंडर लाइसेंस फीस माफ करना।

आरोप है कि इससे शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचा। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इससे मिले कमीशन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया।

नई शराब नीति में तमाम खामियों के बाद चार महीन के भीतर ही नई शराब नीति को वापस ले लिया गया था।

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