कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत का अल्टीमेटम: सिद्धू अपने सलाहकारों को हटाएं वर्ना मैं हटा दूंगा; कश्मीर व पाकिस्तान पर विवादित टिप्पणी से खफा हाईकमान

जालंधर9 मिनट पहले

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हरीश रावत व नवजोत सिद्धू। – फाइल फोटो

पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू को दो-टूक कह दिया है कि वो अपने सलाहकारों को हटाए वर्ना मैं हटा दूंगा। सिद्धू के सलाहकार मालविंदर माली व प्यारे लाल गर्ग ने कश्मीर, पाकिस्तान व अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जे को लेकर विवादित टिप्पणियां की थी। जो न केवल देश विरोधी थी बल्कि कांग्रेस के स्टैंड के भी विपरीत हैं। जिसका कांग्रेस के भीतर ही विरोध हो गया था। अभी तक पंजाब के मामले में कांग्रेस हाईकमान नवजोत सिद्धू के साथ चल रहा था। अब कैप्टन अमरिंदर सिंह के तख्तापलट की कोशिश देख उन पर आक्रामक हो गया है। बगावत में सिद्धू भले ही फ्रंट पर नहीं थे लेकिन पूरी स्क्रिप्ट उन्हीं की मानी जा रही है। यही आरोप कैप्टन की सांसद पत्नी परनीत कौर ने भी बुधवार को लगाया था।

हरीश रावत बोले- पार्टी को शर्मिंदा करने वाले लोगों की हमें जरूरत नहीं

हरीश रावत ने कहा कि पाकिस्तान व कश्मीर को लेकर सलाहकार की टिप्पणियों पर इसके या उसके विरोध की बात नहीं है। पूरी कांग्रेस पार्टी का स्टैंड स्पष्ट है कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। यह सलाहकार कांग्रेस पार्टी ने नियुक्त नहीं किए हैं। हमने सिद्धू को कहा है कि उन्हें डिसमिस करे। अगर सिद्धू नहीं करते तो फिर मैं करूंगा। हमें ऐसे लोगों की जरूरत नहीं है जिनकी वजह से पार्टी को शर्मिंदगी झेलनी पड़े।

विवादित टिप्पणियां करने वाले सलाहकार मालविंदर माली के साथ नवजोत सिद्धू।

विवादित टिप्पणियां करने वाले सलाहकार मालविंदर माली के साथ नवजोत सिद्धू।

माली व गर्ग के विवादित बोल से भड़का विवाद

नवजोत सिद्धू के सलाहकार मालविंदर माली व प्यारे लाल गर्ग के विवादित बोल से यह पूरा विवाद भड़का। प्यारे लाल गर्ग ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पाकिस्तान की आलोचना का विरोध किया। गर्ग ने कहा कि इससे पंजाब के हितों का नुकसान होगा। वहीं, मालविंदर माली ने पहले अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का स्वागत किया। फिर कश्मीर को अलग देश बता दिया। यहां तक कहा कि भारत को उसे आजाद कर देना चाहिए। यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की खोपड़ियों के ढ़ेर पर खड़ी व हाथ में खोपड़ी टंगी बंदूक वाली फोटो शेयर कर दी, जो सीधे 1984 में सिख कत्लेआम से जुड़ी थी।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह।

कैप्टन ने फटकार लगाई तो माली ने व्यक्तिगत हमले शुरू कर दिए

यह देख मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गर्ग व माली को कड़ी फटकार लगाते हुए सिद्धू को इन्हें काबू में रखने को कहा। कैप्टन ने कहा कि वो पार्टी प्रधान को सलाह देने तक सीमित रहें। देश व पंजाब के हालात बिगाड़ने वाली टिप्पणियां न करें। इसके बाद भी माली नहीं रुके और कैप्टन पर व्यक्तिगत हमले करते हुए पाकिस्तानी महिला पत्रकार अरुसा आलम को लेकर टिप्पणियां शुरू कर दी। माली अब भी सोशल मीडिया के जरिए सिद्धू की आड़ में कैप्टन के खिलाफ लिख रहे हैं।

सिद्धू से मिलने के बाद भी माली के तेवर बरकरार

कैप्टन की फटकार के बाद नवजोत सिद्धू की मालविंदर माली व प्यारे लाल गर्ग से बैठक हुई। इसके बाद प्यारे तो यह कहकर चुप हो गए कि सही को सही व गलत को गलत कहते रहेंगे लेकिन माली ने तेवर बरकरार रखे। माली ने कहा कि यह बैठक तो पहले से तय थी और इसमें कैप्टन की फटकार की कोई चर्चा ही नहीं हुई। माली ने कहा कि कैप्टन ने उनके बहाने सिद्धू के पंजाब एजेंडे को निशाना बनाया है।

कैप्टन को मिला था तिवारी का साथ, बागी मंत्रियों ने भी जताया विरोध

सिद्धू के सलाहकारों की टिप्पणियों के विरोध में कैप्टन को सांसद मनीष तिवारी का साथ मिला। तिवारी ने भी हरीश रावत को ट्वीट कर कहा कि क्या ऐसे लोगों को कांग्रेस पार्टी में रहना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि जो कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं, उन्हें भारत में ही रहने का हक नहीं है। यहां तक कि कैप्टन के विरोध में बागी हुए मंत्रियों तृप्त राजिंदर बाजवा व सुखजिंदर रंधावा ने भी माली की टिप्पणियों का विरोध किया।

हाईकमान के फुल सपोर्ट के बाद प्रधान बने सिद्धू ने साध रखी चुप्पी

नवजोत सिद्धू को पहले कांग्रेस हाईकमान का पूरा साथ मिला। उन्होंने सिद्धू को पंजाब प्रधान बनाने के लिए कैप्टन के विरोध को भी दरकिनार कर दिया। कैप्टन बड़ा दिल दिखा सिद्धू की ताजपोशी में गए। इसके बाद जब पंजाब में विस चुनाव 2022 से कुछ महीने पहले कैप्टन का तख्तापलट करने की कोशिश हुई तो अब कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू को टारगेट किया है। बुधवार को देहरादून में पंजाब इंचार्ज हरीश रावत ने स्पष्ट कहा कि सिद्धू को सिर्फ पंजाब में कांग्रेस का प्रधान बनाया है, पूरी पार्टी नहीं दी। साफ है कि सिद्धू को मनमानी रोकने के संकेत दे दिए गए हैं। हैरत की बात यह है कि अपनी सरकार को निशाना बनाने वाले सलाहकारों की विवादित टिप्पणियों सिद्धू अभी तक चुप हैं। ?

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