ग्वालियर2 घंटे पहले
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‘मैं 28 साल तक पेशी पर जाता रहा, लेकिन संगठन के किसी व्यक्ति ने ये तक नहीं पूछा कि तुम्हारे पास ट्रेन का किराया है या नहीं है? जाने की व्यवस्था है या नहीं? सुरक्षा की दृष्टि से क्या व्यवस्था है? कोई पूछने वाला नहीं था। मैं तो राम के भरोसे रहा। राम ने ही मेरा केस लड़ा। जो भी है, सब उनकी ही कृपा से संभव हुआ।’
ये कहते हुए धर्मेंद्र गुर्जर के चेहरे पर गुस्से के भाव