- Hindi News
- Opinion
- There Is A Lot Of Election Noise Going On, It Will Stop This Evening In MP And Chhattisgarh.
एक घंटा पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर
- कॉपी लिंक
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में धूम मची है। चुनावी धूम। धूम इसलिए कि भाजपा और कांग्रेस के तमाम बड़े नेता अचानक इन दो राज्यों पर टूट पड़े हैं। रैलियाँ, सभाएं और रोड शो। अपने- अपने वादों, घोषणाओं और कार्यों का सभी प्रचार कर रहे हैं। जनता इन्हें कितना सुन रही है, कितना ध्यान दे रही है, इससे इन नेताओं और इनके कार्यकर्ताओं को कोई लेना- देना नहीं है। जनता अपनी धुन में है और ये नेता या राजनीतिक कार्यकर्ता अपनी धुन में। बस, एक के बाद एक सभा करते जाना है। इन्हें फ़िक्र है तो सिर्फ़ इतनी, कि कोई क्षेत्र छूट न जाए। कोई सभा चूक न जाए। कोई इलाक़ा रह न जाए। लोग मुट्ठी बांधे बैठे हैं। तरह- तरह के ऑफर्स का इंतज़ार भी कर रहे हैं और जिनकी घोषणा हो चुकी, उन पर व्यंग्य कसकर मज़े भी ले रहे हैं। बहरहाल, इतना सारा शोर, इतना ज़्यादा हल्ला, केवल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसलिए हो रहा है क्योंकि 15 नवंबर को यहाँ चुनाव प्रचार थम जाने वाला है।
PM नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के बैतूल, शाजापुर और झाबुआ में चुनावी सभाओं को संबोधित किया।
15 नवंबर की शाम के पाँच बजे बाद इन दोनों राज्यों में न तो कोई सभा या रैली हो सकेगी और न ही कोई रोड शो। बिना हल्ला किए फिर ये नेता केवल मतदाताओं के घर- घर ही जा सकते हैं। इससे ज़्यादा कुछ नहीं कर पाएँगे। 17 नवंबर को दोनों राज्यों में वोटिंग है। 15 को प्रचार के थम जाने की वजह यही है। ख़ैर, यहाँ प्रचार थमते ही सारी पार्टियों के तमाम नेता फिर राजस्थान जा धमकेंगे। वहाँ अभी वोटिंग में काफ़ी वक्त है। राजस्थान में वोटिंग 25 नवंबर को है।
हो सकता है मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बड़े स्थानीय नेताओं का इस्तेमाल दोनों पार्टियाँ राजस्थान में भी करें। हालाँकि ऐसा कम ही होता है क्योंकि थकाऊ प्रचार सभाओं से आजिज़ आकर स्थानीय नेता, चुनाव परिणाम आने तक किसी खोह- ख़ंदक में जाकर आराम फ़रमाना पसंद करते हैं।
PM नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के इंदौर में रोडशो किया। यहां उन्होंने देवी अहिल्या बाई होलकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।
परिणाम जो भी हों, बहरहाल, मध्य प्रदेश में काँटे की टक्कर बताई जा रही है। काँटे की टक्कर कहने में गुरेज़ भी नहीं होता क्योंकि यह तो हमेशा रहती ही है और दोनों पार्टियों को यह शब्द पसंद भी है।
चुनाव परिणाम आने से पहले आप किसी को आगे या किसी को पीछे बता भी नहीं सकते। इसका कोई निश्चित पैमाना भी नहीं है। इसलिए फ़िलहाल सब के सब भ्रम में हैं और तीन दिसंबर तक भ्रम में ही रहें तो ज़्यादा अच्छा है।