संघर्ष: पहले कोरोना ने छीना काम, फिर आड़े आई भाषा, अब घर लौटने को मजबूर आदिवासी महिलाएं

पीटीआई, रांची

द्वारा प्रकाशित: देव कश्यप
अपडेटेड बुध, 06 अक्टूबर 2021 06:51 AM IST

सार

पश्चिमी सिंहभूम जिले के सुदूर इलाकों की रहने वाली सभी महिलाएं एक कंपनी में काम करने के लिए तिरुपुर गई थीं। झारखंड सरकार के एक बयान में कहा गया है कि इन महिलाओं ने श्रम विभाग के तहत राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष से मदद मांगी थी।

आदिवासी महिलाएं (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

तमिलनाडु में भाषा संबंधी पेरशानी के कारण काम करने में मुश्किलें झेल रही झारखंड की दस आदिवासी महिलाएं राज्य सरकार की मदद से मंगलवार को अपने गृह जिले पश्चिमी सिंहभूम लौट आईं।

पश्चिमी सिंहभूम जिले के सुदूर इलाकों की रहने वाली सभी महिलाएं एक कंपनी में काम करने के लिए तिरुपुर गई थीं। झारखंड सरकार के एक बयान में कहा गया है कि इन महिलाओं ने श्रम विभाग के तहत राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष से मदद मांगी थी।

बयान में कहा गया कि ‘मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद महिलाओं को तमिलनाडु के तिरुपुर से झारखंड वापस लाया गया। इन सभी महिलाओं को भाषा की समस्या के कारण वहां काम करने में मुश्किलें हो रही थी।’

मामले की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने श्रम विभाग और नियंत्रण कक्ष को इन महिलाओं को वापस लाने का निर्देश दिया। नियंत्रण कक्ष ने कंपनी के मैनेजर से बात की और महिलाओं की वापसी की व्यवस्था की। बयान में कहा गया है कि ये सभी महिलाएं पांच अक्तूबर को झारखंड (चक्रधरपुर) पहुंची। महिलाओं ने कंपनी में जितने दिनों तक काम किया, उसके लिए उन्हें कुल 90,200 रुपये का वेतन दिया गया।

बता दें कि इस साल जून में दुमका जिले की 36 महिलाओं को भी सोरेन सरकार की मदद से दक्षिणी राज्य से वापस लाया गया था, जो लॉकडाउन के कारण तमिलनाडु में फंसी थीं।मई में राज्य सरकार ने पड़ोसी देश नेपाल में कोरोना लॉकडाउन के कारण फंसे राज्य के 26 प्रवासी कामगारों को वापस लाया था। सरकार ने उन्हें नेपाल सीमा से वापस लाने के लिए एक विशेष बस की व्यवस्था की थी।

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