मंत्री पद मिल गए, अब मंत्रालय की बारी: गृह, ट्रांसपोर्ट और लोकल गवर्नमेंट पर सबकी नजर; विस्तार के बाद चन्नी कैबिनेट की पहली बैठक आज

जालंधर18 मिनट पहले

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पंजाब की नई सरकार।

पंजाब कांग्रेस में खींचतान के बाद रविवार को 15 विधायकों को मंत्री पद मिल गए। इसके बाद अब चन्नी सरकार में मुख्यमंत्री समेत 18 सदस्य हो गए हैं और अब सबकी नजर मंत्रालयों पर है। वैसे तो रेवेन्यू, वित्त समेत कई मंत्रालय अहम हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा गृह मंत्रालय, ट्रांसपोर्ट और लोकल गवर्नमेंट की है। विस्तार के बाद CM चरणजीत चन्नी ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक बुला ली है। हालांकि इसको लेकर अभी एजेंडा स्पष्ट नहीं है। पंजाब के चीफ सेक्रेटरी अनिरुद्ध तिवारी ने सभी मंत्रियों को पत्र भेजा है। जिसमें कहा गया है कि कैबिनेट बैठक का एजेंडा वहीं वितरित किया जाएगा।

समझिए… क्यों गृह और लोकल गवर्नमेंट अहम

  • गृह विभाग : पंजाब में पहली बार दो डिप्टी सीएम बने हैं। सुखजिंदर रंधावा CM बनते-बनते रह गए। अब वे चाहते हैं कि गृह विभाग देकर उनको ताकत मिले। वहीं, दूसरे डिप्टी सीएम ओपी सोनी भी अपनी ताकत ज्यादा चाहते हैं। वह पहले ही मुख्यमंत्री के बराबर की सुविधाएं मांग चुके हैं। गृह विभाग इसलिए भी अहम है क्योंकि पंजाब में ड्रग्स तस्करी और श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर कार्रवाई होनी है। वहीं, सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियार व ड्रग्स तस्करी बड़ा मुद्दा है। कैप्टन सरकार में यह विभाग अमरिंदर सिंह ने अपने पास रखा था। इस बार CM चरणजीत चन्नी के साथ रंधावा भी इसकी रेस में हैं।
  • लोकल गवर्नमेंट : कैप्टन अमरिंदर और नवजोत सिद्धू के झगड़े की बड़ी वजह यही मंत्रालय है। जिसका अंत कैप्टन की कुर्सी जाने से हुआ। 2017 में सरकार बनी तो कैप्टन ने सिद्धू को यह मंत्रालय दिया था। शहरों से सीधे जुड़े इस मंत्रालय को बाद में कैप्टन ने सिद्धू से वापस लेकर ब्रह्म मोहिंदरा को दे दिया। सिद्धू ने इसे नाक का सवाल बना लिया। उन्होंने बिजली मंत्रालय का चार्ज नहीं लिया। अब यह मंत्रालय किसे मिलेगा? उसमें सिद्धू की मर्जी चलनी तय है। लुधियाना से मंत्री भारत भूषण आशु भी इसके लिए कोशिश करते रहे हैं।
  • ट्रांसपोर्ट : भ्रष्टाचार के लिए बदनाम ट्रांसपोर्ट मंत्रालय भी अहम है। इसकी बड़ी वजह प्राइवेट ट्रांसपोर्ट माफिया है। जिसको लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। खासकर, बादल परिवार की ट्रांसपोर्ट पर कार्रवाई न करने को लेकर अक्सर कैप्टन पर सवाल उठते रहे हैं। वैसे, इस रेस में गिद्दड़बाहा से युवा मंत्री बनाए अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग भी हैं।

मनप्रीत वित्त मंत्रालय से नाखुश

मनप्रीत बादल कैप्टन सरकार में वित्त मंत्री थे। अब वह यह मंत्रालय वापस नहीं चाहते। यह ख्वाहिश वे पहले भी जता चुके हैं। अक्सर उनको लेकर यह मजाक भी बनता रहा है कि मनप्रीत एक ही बात कहते रहे कि खजाना खाली है। विरोधियों ने भी निशाना बनाया कि उन्हें सरकार चलानी नहीं आ रही, इसलिए खजाना खाली होने की बात कह रहे। अब नई सरकार में भी मनप्रीत को यह जिम्मेदारी मिल सकती है।

सबसे बड़ी चुनौती 2 डिप्टी सीएम के मंत्रालय

पंजाब में पहली बार सुखजिंदर रंधावा और ओपी सोनी दो डिप्टी सीएम बने हैं। ऐसे में उनको अच्छे मंत्रालय देना भी मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी के लिए चुनौती रहेगी। रंधावा कैप्टन सरकार में सहकारिता व जेल मंत्री रहे। वहीं, ओपी सोनी मेडिकल एजुकेशन व रिसर्च मंत्री रहे हैं। इस बार उन्हें कौन-सा अहम विभाग मिलेगा, इस पर सबकी नजर है। रंधावा जहां गृह मंत्रालय चाहते हैं, वहीं सोनी शिक्षा मंत्रालय के इच्छुक हैं। हालांकि शिक्षा मंत्रालय में परफॉर्मेंस की वजह से ही वापस लौटे विजयइंद्र सिंगला के पास यह मंत्रालय वापस जाना तय है।

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