पंजाब कैबिनेट विस्तार पर कनफ्यूज कांग्रेस हाईकमान: राहुल गांधी के घर रात 2 बजे तक फिर बैठक, पुराने मंत्री हटाने से कैप्टन ग्रुप मजबूत होने का खतरा, वापस लौट रहे CM

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जालंधर2 घंटे पहले

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राहुल गांधी व हरीश रावत के साथ CM चरणजीत सिंह चन्नी। – फाइल फोटो

पंजाब कैबिनेट के विस्तार को लेकर कांग्रेस हाईकमान कनफ्यूज हो गया है। 3 बार बैठक के बाद भी मंत्रियों की लिस्ट फाइनल नहीं हो सकी। राहुल गांधी के घर शुक्रवार रात फिर 2 बजे तक 4 घंटे मंथन चला। इसमें सबसे बड़ा खतरा अब कैप्टन अमरिंदर सिंह बने हुए हैं। हाईकमान इस बात से आशंकित है कि अगर पुराने मंत्रियों को हटाया तो वे कैप्टन के साथ मिल सकते हैं। इससे कैप्टन का ग्रुप मजबूत हो जाएगा। नई सरकार के खिलाफ भी बगावत शुरू हो जाएगी। चुनाव में करीब 3 महीने बचे हैं। बगावत हुई तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है। इसलिए बैठकों का दौर जारी है।

दिल्ली में हुई बैठक में राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी, हरीश रावत, अजय माकन व केसी वेणुगोपाल भी मौजूद रहे। इस बैठक में पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू, डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा और ओपी सोनी को नहीं बुलाया गया। इस सबके बावजूद माना जा रहा है कि आज मंत्रियों की सूची फाइनल हो सकती है। चुनाव में थोड़ा समय बचा होने की वजह से कांग्रेस हाईकमान भी दबाव में है। गुटबाजी खत्म करने के साथ जातीय समीकरण साधने पर मंथन चल रहा है।

यहां फंसा पेंच

सिद्धू ग्रुप चाहता है कि कैप्टन के करीबी राणा गुरमीत सोढ़ी, शाम सुंदर अरोड़ा, गुरप्रीत कांगड़, साधु सिंह धर्मसोत और अरुणा चौधरी को कैबिनेट में न लाया जाए। इनमें अरुणा चौधरी चन्नी की करीबी रिश्तेदार हैं। बाकी 4 मंत्री रहे नेता कैप्टन के खासमखास है। कांग्रेस हाईकमान को चिंता है कि अगर इन सभी को बाहर किया तो ये कैप्टन के साथ चले जाएंगे। यही इंतजार कैप्टन भी कर रहे हैं। जिससे नई सरकार और खासकर सिद्धू के खिलाफ बड़ी बगावत का खाका तैयार किया जा सके।

राजा वड़िंग को लेकर मनप्रीत नाखुश

यह भी चर्चा है कि अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को मंत्री बनाने से मनप्रीत बादल खुश नहीं हैं। वड़िंग गिद्दड़बाहा से विधायक हैं। यह मनप्रीत बादल का भी गढ़ है। पिछली बार उन्हें बठिंडा से आना पड़ा। अगर वड़िंग विधायक बने तो गिद्दड़बाहा में मनप्रीत की वापसी मुश्किल हो जाएगी। बठिंडा में उनके लिए बादल परिवार बड़ी चुनौती है। मनप्रीत ने चन्नी को CM बनाने के मामले में हाईकमान को राजी करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए उनके विरोध को चन्नी दरकिनार नहीं करना चाहते।

संगठन और सरकार में पद पर भी असमंजस

सिद्धू CM नहीं बन सके, लेकिन उनके वर्किंग प्रधान कुलजीत नागरा व संगत सिंह गिलजियां मंत्री बनना चाहते हैं। परगट सिंह संगठन महासचिव हैं, लेकिन वे भी मंत्री पद की दौड़ में हैं। अगर इन्हें सरकार में लाया जाता है तो फिर 2 पद हो जाएंगे। अगर इन्हें हटाया जाएगा तो संगठन कमजोर होगा। वैसे भी, अभी तक पूरे पंजाब में कांग्रेस का संगठन नहीं बना है, ऐसे में चुनाव में परेशानी हो सकती है।

फिलहाल यह दौड़ में

मंत्रियों की सूची पर अभी मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि पुराने मंत्रियों में से मनप्रीत बादल, विजयेंद्र सिंगला, रजिया सुल्ताना, ब्रह्ममोहिंदरा, भारत भूषण आशु, तृप्त राजिंदर बाजवा और सुख सरकारिया की वासी तय हैं। नए चेहरों में राजा वड़िंग, राजकुमार वेरका, गुरकीरत कोटली, सुरजीत धीमान, रणदीप नाभा का नाम चल रहा है। गुरकीरत कोटली तो दिल्ली में ही डटे हुए हैं। उनके साथ परमिंदर पिंकी, कुलबीर जीरा और लखबीर लक्खा ने भी दिल्ली में डेरा डाला हुआ था।

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