कैप्टन की कांग्रेस छोड़ने के बाद आगे क्या: राजनाति से सन्यास या BJP में जाएंगे कैप्टन?; कृषि कानून रद्द करवा पंजाब की सियासत में दिखा सकते हैं दबदबा

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जालंधर11 मिनट पहले

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कैप्टन अमरिंदर सिंह।

पंजाब के CM की कुर्सी से हटाए जाने पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ने की धमकी दे दी। पंजाब कांग्रेस के मौजूदा हालात को देख कैप्टन की रवानगी तय मानी जा रही है। जिसके बाद बड़ा सवाल यह है कि क्या कैप्टन राजनीति से सन्यास लेंगे। हालांकि कैप्टन ने जिस तरीके से पंजाब में सियासी दमखम दिखाया है, सियासी माहिर इससे सहमत नहीं। दूसरा बड़ा रास्ता भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ जाता है। कैप्टन पहले भी कह चुके हैं कि पंजाब कांग्रेस में उन्हें नजरअंदाज किए जाने की वजह से वो भाजपा में जाने के बारे में सोच रहे थे। यह भी चर्चा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कैप्टन से संपर्क साधा है।

कैप्टन और BJP के एक-दूसरे पर दांव खेलने का यह सबसे मुफीद समय भी है। केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली बार्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। अकाली दल ने मंत्री पद छोड़ गठबंधन तक तोड़ा लेकिन केंद्र ने कोई कदम नहीं उठाया। इसके उलट कैप्टन शुरु से किसानों के पक्ष में रहे हैं। वह हमेशा केंद्र पर किसानों को लेकर हमलावर रहे हैं। पंजाब में इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा कृषि सुधार कानून है। इसका विरोध ही पंजाब से शुरु हुआ था। अगर कैप्टन कानून रद्द करा दें तो फिर विरोधी कैप्टन के सियासी दबदबे के आगे टिक नहीं पाएंगे।

पीएम मोदी के करीबी कैप्टन

कैप्टन अमरिंदर सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। वह जब भी दिल्ली जाते हैं तो उन्हें पीएम से मुलाकात का वक्त आसानी से मिल जाता है। इसके अलावा वह अक्सर मोदी के साथ गृहमंत्री शाह को भी मिलते रहते हैं। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि कैप्टन भाजपा की टॉप लीडरशिप से संपर्क कर BJP का दामन थाम सकते हैं।

सिद्धू को प्रधान बनाने के बाद से ही नाराज कैप्टन

कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में नवजोत सिद्धू को पार्टी प्रधान बनाने के बाद हाईकमान से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने हाईकमान को भी नाराजगी बताई थी। इसके बावजूद उनकी बात नहीं सुनी गई। कैप्टन ने कहा कि सिद्धू उन पर लगाए आरोपों की माफी मांगे, लेकिन इस पर भी बात नहीं बनी। इसके बाद पंजाब में सरकार व संगठन के तालमेल के बजाय आपसी मुकाबला शुरु हो गया। कैप्टन भी इसको लेकर अड़े रहे।

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