करनाल में किसान आंदोलन: लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शनकारियों ने गाड़ना शुरू किया टेंट, कहीं चाय तो कहीं हुक्के के साथ चल रही गपशप

करनाल8 मिनट पहले

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करनाल में लघु सचिवालय के बाहर डटे किसान। बुधवार के दिन की शुरुआत किसानों ने जय किसान नारे से की।

हरियाणा के करनाल जिले में लघु सचिवालय के बाहर हजारों किसान बसताड़ा टोल पर किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में धरने पर बैठे हैं। मंगलवार को महापंचायत और फिर पुलिस से टकराव के बाद भी किसान थके नहीं। रातभर बैठे रहे और बुधवार के दिन की शुरुआत भी नारेबाजी के साथ की। अब धरनास्थल पर टेंट का सामान पहुंच गया है और किसानों ने टेंट गाड़ना शुरू कर दिया है। क्योंकि किसानों के अनुसार यह उनका अनिश्चितकालीन धरना है।

वहीं लघु सचिवालय के गेट पर पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस के जवान तैनात हैं। इन्हें किसानों को किसी भी कीमत पर अंदर न जाने देने के आदेश दिए गए हैं। किसानों ने भी सचिवालय में आवाजाही रोकी हुई है। उनका कहना है कि वे न तो किसी को अंदर जाने देंगे और न ही कोई काम होने देंगे। शहर में आवाजाही सुचारू रूप से बहाल कर दी गई है। अब किसी को कहीं आने-जाने में दिक्कत नहीं होगी, लेकिन लघु सचिवालय न आने की अपील की गई है। क्योंकि यहां होने वाले सभी काम बाधित हो सकते हैं।

दरअसल, किसानों ने किसी भी अधिकारी को लघु सचिवालय में प्रवेश न करने देने का ऐलान किया है। उधर प्रशासन की तरफ से भी अभी तक आमजन व कर्मचारियों के कामकाज को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। लघु सचिवालय में बने कार्यालयों में रोजाना 5000 लोग पहुंचते हैं, लेकिन अपील है कि सचिवालय के कामकाज के लिए जरूरी न हो तो आज न आएं।

लघु सचिवालय में हैं ये कार्यालय
लघु सचिवालय में डीसी कार्यालय, एसपी कार्यालय, एसडीएम कार्यालय, ई-दिशा केंद्र, सीएम विंडो, तहसील कार्यालय, ट्रेजरी, एडीसी कार्यालय, डीआरओ कार्यालय, डीडीपीओ कार्यालय, डीईओ कार्यालय, समाज कल्याण विभाग, जिला कल्याण विभाग, रोजगार विभाग, निर्वाचन आयोग कार्यालय, बैंक, श्रमिक कार्यालय बने हैं।

किसानों ने लघु सचिवालय के सामने सड़क पर बैठकर आवाजाही रोकी हुई है।

किसानों ने लघु सचिवालय के सामने सड़क पर बैठकर आवाजाही रोकी हुई है।

लकड़ियों से बनाई अंगार, सुलगाई चिलम
सुबह 7 बजे सचिवालय के चारों तरफ किसान व पुलिस कर्मचारी-अधिकारी ऐसे टहल रहे थे। जगह-जगह टोलियों में बैठे किसानों के हाथों में चाय की प्याली थी। कई किसानों ने तो लकड़ियों में आग लगाकर अंगार तैयार करके चिलम सुलगाई। अब कहीं चाय तो कहीं हुक्का पर चर्चा चल रही है। वहीं एक बड़ा झुंड जय किसान, भारतीय कियान यूनियन जिंदाबाद और किसान विरोधी नारेबाजी कर रहा है। पैरामिलिट्री फोर्स के साथ-साथ पुलिस की टुकड़ी गेट पर तैनात है, जो केवल किसानों को अंदर जाने से रोकने के लिए खड़ी है।

इंटरनेट सेवा करनाल में बंद, बाकी बहाल
प्रदेश सरकार द्वारा इंटरनेट सेवा को करनाल में 8 सितंबर के दिन भी बंद रखने का ऐलान किया गया है। जबकि बाकी सभी जिलों की इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया है। 7 सितंबर के किसान आंदोलन को देखते हुए करनाल के साथ-साथ कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत व जींद जिले की इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगा दी गई थी।

किसानों ने लकड़ियों में आग लगाकर अंगार तैयार करके चिलम सुलगाई। अब कहीं चाय तो कहीं हुक्का पर चर्चा चल रही है।

किसानों ने लकड़ियों में आग लगाकर अंगार तैयार करके चिलम सुलगाई। अब कहीं चाय तो कहीं हुक्का पर चर्चा चल रही है।

क्यों कर रहे किसान आंदोलन और अब तक क्या हुआ
28 अगस्त को बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने 7 सितंबर को करनाल अनाज मंडी में महापंचायत की। क्योंकि पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी। 30 अगस्त को भाकियू ने घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत करके हरियाणा सरकार से तीन मांगें की थी। साथ ही महापंचायत और लघु सचिवालय का घेराव करने की घोषणा की थी। 6 सितंबर को प्रशासन ने बातचीत के लिए किसानों को बुलाया, लेकिन बात नहीं बनी।

मंगलवार को महापंचायत हुई और किसानों का जमावड़ा देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को प्रशासन ने बातचीत का न्यौता भेजा। दोपहर 12:30 बजे राकेश टिकैत, गुरनाम चढ़ूनी, योगेंद्र यादव व दर्शनपाल आदि के नेतृत्व में 15 सदस्यीय कमेटी लघु सचिवालय पहुंची। 3 दौर की वार्ता के दौरान किसान नेता सिर फोड़ने का आदेश देने वाले तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के निलंबन पर अड़ गए, पर सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। इसके बाद बलबीर सिंह राजेवाल के आदेशों के बाद किसानों ने लघु सचिवालय की ओर कूच किया।

अनाज मंडी से लघु सचिवालय 4 किलोमीटर दूर है और इस रास्ते को तय करने में किसानों को डेढ़ घंटा लगा। इस दौरान हाईवे बंद हो गया। नमस्ते चौक पर किसानों को गिरफ्तार करने के लिए 40 बसें खड़ी की गई थीं। पुलिस ने टिकैत व चढ़ूनी समेत कई नेताओं को हिरासत में लिया तो किसानों ने बसों की हवा निकालते हुए हंगामा किया। पुलिस ने सबको छोड़ दिया। फिर निर्मल कुटिया चौक पहुंचे किसानों पर वाटर कैनन का प्रयोग हुआ। इस तरह तीन जगह बैरिकेड और एक जगह वाटर कैनन की बौछारों को पार करते हुए किसान लघु सचिवालय के बाहर पहुंच गए और धरना लगा दिया।

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