नई दिल्ली6 मिनट पहले
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मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एस.क्यू.आर इलियास ने कहा कि मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में जानबूझकर यूनिफॉर्म सिविल कोड की जगह सेक्युलर सिविल कोड का इस्तेमाल किया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि यूनिफॉर्म या सेक्युलर सिविल कोड मुसलमानों को मंजूर नहीं है। वे शरिया कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) से कभी समझौता नहीं करेंगे। मुस्लिम लॉ बोर्ड ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी का धार्मिक पर्सनल कानूनों को सांप्रदायिक कहना आपत्तिजनक है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यूआर इलियास ने एक प्रेस बयान में कहा, “मोदी ने जानबूझकर यूनिफॉर्म सिविल कोड की जगह सेक्युलर सिविल कोड का इस्तेमाल किया। पीएम देश को गुमराह कर रहे हैं।
डॉ. एस.क्यू.आर इलियास ने कहा कि यूनिफॉर्म का मतलब है कि यह पूरे देश, सभी धार्मिक और गैर-धार्मिक लोगों पर लागू होगी। इसमें किसी वर्ग या जाति, यहां तक कि आदिवासियों को भी बाहर करने की कोई गुंजाइश नहीं होगी। हालांकि, मोदी सिर्फ शरिया कानून को निशाना बना रहे हैं।
इलियास ने कहा कि मोदी दूसरी कम्युनिटी को नाराज नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने धर्मों पर आधारित कानूनों को सांप्रदायिक बताकर न केवल पश्चिम देशों की नकल की है, बल्कि धर्म का पालन करने वाले भारत के बहुसंख्यक लोगों का भी अपमान किया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रेस रिलीज में आगे लिखा गया, भारत के मुसलमानों ने कई बार यह बताया है कि उनके फैमिली लॉ शरिया पर आधारित हैं। कोई भी मुसलमान किसी भी कीमत पर इसे नहीं तोड़ सकता है। देश की विधायिका ने खुद इसे मंजूरी दी है।
शरीयत एप्लीकेशन एक्ट, 1937 और भारत के संविधान ने अनुच्छेद 25 के तहत धर्म का प्रचार और अमल को एक मौलिक अधिकार घोषित किया है। दूसरे समुदायों के फैमिली लॉ भी उनकी अपनी धार्मिक और प्राचीन परंपराओं पर आधारित हैं। इसलिए, उनके साथ छेड़छाड़ करना और सभी के लिए धर्मनिरपेक्ष कानून बनाने की कोशिश करना धर्म तोड़ने और पश्चिम की नकल है।
इलियास ने आगे बताया कि जो लोग अपना पारिवारिक जीवन किसी भी धार्मिक बंधन से अलग होकर जीना चाहते हैं, उनके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 और इंडियन सक्सेशन एक्ट 1925 पहले से ही मौजूद हैं।
मोदी ने लाल किले से कहा था- देश में सेक्युलर सिविल कोड हो
15 अगस्त को 78वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले पर तिरंगा फहराया। अपने 103 मिनट के भाषण में PM ने कहा कि आजादी के बाद देशवासियों को माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा था। हमने गर्वनेंस के इस मॉडल को बदला है। देश में 75 सालों से कम्युनल सिविल कोड है। अब देश को सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है।
मोदी ने कहा कि जो कानून धर्म के आधार पर समाज को बांटते हैं, वे आधुनिक समाज नहीं बनाते। यूनिफॉर्म सिविल कोड से धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्ति मिलेगी। मोदी के पूरे भाषण की खबर पढ़ें…