सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट-जुवेनाइल बोर्ड का आदेश बदला: कहा- नाबालिग को जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता; सालभर से हिरासत में था

नई दिल्ली41 मिनट पहले

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कोर्ट ने कहा- JJB को नाबालिगों की निगरानी और उसके आचरण पर रिपोर्ट देने वाले प्रोबेशन ऑफिसर को जरूरी निर्देश देने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि नाबालिग को जमानत देने से तब तक इनकार नहीं किया जा सकता, जब तक नाबालिग के किसी बड़े अपराधी के साथ जुड़ने की आशंका न हो।

जस्टिस अभय एस ओक और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने 14 अगस्त को अपने फैसले में राजस्थान हाईकोर्ट और जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) के आदेश को खारिज किया। कोर्ट ने अपने आदेश में 2015 के JJ एक्ट की धारा 12(1) हवाला दिया है।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नाबालिग को बिना किसी सिक्योरिटी डिपॉजिट के रिहा किया जाए। नाबालिग पिछले एक साल से सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोप में हिरासत में था।

SC बोला- जमानत न देने का कारण दर्ज करना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- JJB को नाबालिगों की निगरानी और उसके आचरण पर रिपोर्ट देने वाले प्रोबेशन ऑफिसर को जरूरी निर्देश देने चाहिए। नाबालिग को जमानत मिलनी चाहिए। इसके लिए उसे प्रोबेशन ऑफिसर या किसी योग्य व्यक्ति की देखरेख में रखा जाना चाहिए।

कोर्ट ने आदेश दिया कि कि JJB जमानत से इनकार करने के कारणों को भी दर्ज करेगा और इसकी ठोस वजह बताएगा। अदालत ने JJB, विशेष अदालत और हाईकोर्ट के सभी आदेशों विशेष रूप से JJB के 11 दिसंबर 2023 के आदेश का रिव्यू किया।

सुप्रीम कोर्ट बोला- बेल न देना मौलिक अधिकार का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को भी एक अन्य मामले में कुछ इसी तरह का फैसला दिया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि जमानत नियम है और जेल अपवाद, यह कानूनी सिद्धांत UAPA जैसे स्पेशल केस में भी लागू होता है। जिन मामलों में जमानत मिलनी चाहिए, अगर अदालतें उनमें बेल से मना करने लगेंगी तो यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

अदालत ने यह कमेंट करते हुए आरोपी जलालुद्दीन खान को जमानत दी थी। जलालुद्दीन पर UAPA के तहत केस दर्ज था। उस पर आरोप थे कि वह 2022 में PM मोदी के बिहार दौरे के समय उनके काफिले में बवाल करना चाहता था।

उस दिन भी जस्टिस अभय ओक और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने ही सुनवाई की थी। बेंच ने कहा था, “प्रॉसीक्यूशन के आरोप गंभीर हो सकते हैं, लेकिन यह अदालत का कर्तव्य है कि वो कानून को ध्यान में रखते हुए जमानत पर विचार करे।” पूरी खबर पढ़ें…

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