भास्कर ओपिनियन: आखिर वसुंधरा राजे के अचानक सक्रिय होने के मायने क्या हैं?

11 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अचानक सक्रिय हो गई हैं। हालाँकि सवाल किया जा सकता है कि झालरापाटण उनका चुनाव क्षेत्र है और वे वहाँ सक्रिय नहीं होंगी तो कहाँ होंगी? लेकिन जब वे मोहल्ले – मोहल्ले जाएँ, घर- घर जाएँ, लोगों से उनकी समस्याएँ पूछें, गली- गली स्कूटर पर घूमकर उन्हें स्वस्थ जीवन के लिए, साफ- सफ़ाई के लिए हिदायतें दें तो यह बात अचानक सामान्य तो नहीं ही लगती।

राजनीति क़यासों का जंगल है। अटलजी की भाषा में कहा जाए तो बियाबान है। यहाँ कभी भी, कुछ भी हो सकता है। इसलिए क़यास लगाए जा रहे हैं कि वसुंधरा राजे की सक्रियता में गंगा से होकर आई बयार का असर तो नहीं है? गंगा से होकर आई बयार का सीधा- सा मतलब उत्तर प्रदेश से ही है। वही उत्तर प्रदेश जिसके पास अपनी समस्याओं का कोई उत्तर हो, न हो, लेकिन राजनीति में बाक़ी देश का उत्तर वहीं से निकलता है।

तस्वीर 15 दिसंबर 2023 की है। भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद वसुंधरा ने उन्हें आशीर्वाद दिया था।

तस्वीर 15 दिसंबर 2023 की है। भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद वसुंधरा ने उन्हें आशीर्वाद दिया था।

कहते हैं – चर्चाओं में ही सही, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की गद्दी फिलहाल कुछ हिलती नज़र आ रही है। ऐसे में राजस्थान वाले यह सोचें कि हिंडोले यहाँ तक भी आ सकते हैं तो इसमें बुराई क्या है? हो सकता है पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी यही सोच रही हों।

वैसे भी राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की बयार नए मुख्यमंत्री के बनने के बाद से ही चल रही है। चुपके से ही सही, दबे पाँव ही सही, हर कोई यह बात तो पहले दिन से ही कर रहा है। कोई कह रहा था लोकसभा चुनाव से पहले कुछ हो सकता है। फिर जब यह नहीं हो सका, तो कहा जाने लगा कि लोकसभा चुनाव के बाद कुछ न कुछ ज़रूर हो सकता है। हालाँकि अब तक नहीं हुआ। पर राजनीति में कब क्या हो जाए, यह तो कहा नहीं ही जा सकता!

तस्वीर 12 दिसंबर 2023 की है। भजनलाल शर्मा को विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद वसुंधरा और भजनलाल एक साथ बैठे थे।

तस्वीर 12 दिसंबर 2023 की है। भजनलाल शर्मा को विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद वसुंधरा और भजनलाल एक साथ बैठे थे।

पहले कहा जा रहा था कि वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को केंद्र में राज्य मंत्री बनाया जा सकता है लेकिन यह संभव नहीं हो सका। लेकिन राजस्थान में वरिष्ठ विधायकों को सँभालने और एक मज़बूत कमान देने के लिए वसुंधरा राजे की ज़रूरत को कोई नकार भी तो नहीं सकता!

यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अचानक अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। राजनीति में अगर कुछ चाहिए तो आप चुप नहीं बैठ सकते। शांत भी नहीं रह सकते। वसुंधरा राजे यह बात अच्छी तरह जानती भी हैं और समझती भी हैं। झालरापाटण में उनकी सक्रियता के कई मायने हो सकते हैं। हो सकता है ऊपर से कोई संकेत मिले हों, या हो सकता है कोई संकेत ऊपर तक पहुँचाना चाहती हों! इतना ज़रूर है कि उत्तरप्रदेश की तरह राजस्थान में भी, कहीं न कहीं कुछ पक रहा हो। कुछ तप रहा हो!

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