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- What Is Happening In Doda, Pirpanjal? Why Are Terrorist Activities Increasing?
52 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर
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कहा जा रहा है कि जम्मू- कश्मीर में पिछले ढाई साल में पचास जवानों की जान जा चुकी है। स्थानीय प्रशासन, सरकार, रक्षा मंत्रालय आख़िर कर क्या रहे हैं? सिपाहियों, सेना के अफ़सरों के शहीद होने के बाद संवेदना व्यक्त कर देना ही तो सरकारों का काम नहीं हो सकता। सुरक्षा तंत्र को मज़बूत करने और आतंकियों को करारा जवाब देने के लिए आपने क्या किया, यह देश को बताने की ज़रूरत है।
एक तरफ़ अर्द्ध सैनिक बलों के सिपाही इसलिए लड़ रहे हैं कि उन्हें शहीद का दर्जा तक नहीं दिया जाता। दूसरी तरफ हैं अग्निवीर। कुछ शहीद अग्निवीरों के परिजनों का कहना है कि पैसों का हम क्या करें? कम से कम बेटे को शहीद का दर्जा तो दे दीजिए!
15 जुलाई को डोडा में हुए हमले में सेना के कैप्टन समेत 5 जवान शहीद हुए।
हाल में अलवर जिले का एक अग्निवीर शहीद हो गया था। उसके परिजनों को अब तक मात्र 48 लाख रुपए मिले। जबकि हाल ही में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि शहीद अग्निवीर के परिवार को एक करोड़ रुपए दिए जाते हैं। अलवर जिले के शहीद अग्निवीर के भाई ने अकाउंट में आया मेसेज तक बताया है और वह 48 लाख रुपए की आवक ही बता रहा है। फिर एक करोड़ रुपए देने वाले रक्षा मंत्रालय के दावे का क्या हुआ?
कुल मिलाकर सरकार जो कह रही है या कहना चाहती है और जो हक़ीक़त है, उसमें कुछ फ़र्क़ है। कुछ विरोधाभास हैं। इसे ठीक करना चाहिए। इसकी सबसे बड़ी ज़रूरत इसी वक्त है। इसलिए भी कि राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि समूचा विपक्ष इस वक्त अग्निवीर योजना के खिलाफ मशाल उठाए हुए हैं।
राहुल गांधी ने 3 जुलाई को X पर वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि संसद में रक्षा मंत्री ने शिव जी की तस्वीर के सामने शहीद अग्निवीर के परिवार को सहायता मिलने के बारे में झूठ बोला।
कहा जा सकता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में अग्निवीर योजना के सख़्त विरोध का कई राज्यों में विपक्ष को फ़ायदा भी मिला है। हरियाणा और राजस्थान के परिणामों को देखकर तो यह निश्चित रूप से कहा ही जा सकता है। निश्चित ही इस मामले को मौजूदा केंद्र सरकार गंभीरता से लेगी और कम से कम शहीद सिपाहियों के परिजनों के साथ तो न्याय ज़रूर करेगी। चाहे वे रेगुलर सैन्य कर्मी हों या अग्निवीर नौजवान।