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नई दिल्ली2 घंटे पहले
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चुनाव आयोग आज लोकसभा चुनाव के साथ चार राज्यों आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा। इसके लिए नई दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 3 बजे आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। चुनाव के ऐलान के साथ ही राज्यों में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी।
ओडिशा की 147, सिक्किम की 32, अरुणाचल प्रदेश की 60 और आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे। ओडिशा में बीजू जनता दल (BJD) की सरकार है। यहां भाजपा सीधे मुकाबले में है। नवीन पटनायक यहां साल 2000 से मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के नेता जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री हैं। यहां पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेलगु देशम पार्टी (TDP), अभिनेता पवन कल्याण की जनसेना और भाजपा गठबंधन एकसाथ चुनाव लड़ रहे हैं।
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। 2019 में पार्टी ने 60 में से 42 सीटें जीती थीं। इसके अलावा सिक्किम में प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) की सरकार है। यहां भाजपा गठबंधन की सरकार में शामिल है।
आंध्र प्रदेश: YSR कांग्रेस, TDP और भाजपा गठबंधन के बीच मुकाबला
आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 और विधानसभा की 175 सीटें हैं। दोनों के चुनाव एकसाथ होंगे। 5 साल से जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में राज्य में YSRCP की सरकार है। विपक्ष की भूमिका में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) है, जिसका नेतृत्व चंद्रबाबू नायडू कर रहे हैं। वे तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
आंध्र प्रदेश में TDP, भाजपा और जन सेना पार्टी (JSP) मिलकर चुनाव लड़ेंगी। जन सेना पार्टी 175 सीटों में से 21 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा 10 सीटों, जबकि TDP 144 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पीथापुरम सीट में इस बार कड़ा मुकाबला होने वाला है। इस सीट से साउथ एक्टर और JSP प्रमुख पवन कल्याण और फिल्म डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा आमने-सामने होंगे।
राज्य में भाजपा की स्थिति: 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। 2014 में भाजपा ने TDP के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भाजपा के 3 सांसद और 9 विधायक जीतकर आए। 2019 में TDP ने भाजपा से नाता तोड़ लिया। इससे दोनों पार्टियों को नुकसान हुआ। TDP तीन सीट पर आ गई और भाजपा खाता भी नहीं खोल सकी।
ओडिशा: छठी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए मैदान में नवीन पटनायक
ओडिशा में लोकसभा की 21 और विधानसभा की 147 सीटें हैं। नवीन पटनायक के नेतृत्व में राज्य में बीजू जनता दल (BJD) की सरकार है। नवीन पटनायक 5 मार्च 2000 से लगातार मुख्यमंत्री हैं। वो देश के दूसरे सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेता बन गए हैं। वे 24 साल से लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं। अब उनसे आगे सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग हैं, जो 24 साल 166 दिन तक सीएम पद पर रहे।
भाजपा-BJD गठबंधन पर नहीं बनी बात
ओडिशा में भाजपा और BJD के गठबंधन के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग की सहमति नहीं बन पाई। दोनों का गठबंधन 11 साल पहले टूटा था। भाजपा और BJD तीन लोकसभा चुनाव- 1998, 1999 और 2004 और दो विधानसभा चुनाव- 2000 और 2004 में एकसाथ उतरी थीं। उस समय BJD, NDA की सबसे भरोसेमंद पार्टी मानी जाती थी।
हालांकि, 2009 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी। इसके कारण करीब 11 साल का गठबंधन टूट गया था। BJD चाहती थी कि भाजपा विधानसभा चुनाव में 163 सीटों में से 40 पर चुनाव लड़े, जबकि भाजपा 63 सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहती थी।
अरुणाचल प्रदेश: चुनाव से पहले कांग्रेस के 4 में से 3 विधायक भाजपा में, पार्टी अध्यक्ष का भी इस्तीफा
अरुणाचल प्रदेश में सरकार बनने और दल बदल की जबरदस्त कहानी रही है। 2016 में भाजपा ने दो सरकारों को अस्थिर किया। सबसे पहले 2016 में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल को समर्थन देकर कांग्रेस की नबाम तुकी सरकार को गिराया और कालिखो पुल की सरकार बनाई। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
जुलाई 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत कालिखो पुल की सरकार को बर्खास्त कर राज्य में फिर से कांग्रेस की सरकार को बहाल किया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नबाम तुकी की जगह पेमा खांडू को नया CM बनाया।
16 सितंबर 2016 को CM पेमा खांडू के नेतृत्व में सत्तारूढ़ दल के 43 विधायक कांग्रेस से भाजपा की सहयोगी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए। पांचवे दिन यानी 21 दिसंबर को एक हाई ऑक्टेन ड्रामा में खांडू समेत 7 विधायकों को पीपुल्स पार्टी अध्यक्ष ने निलंबित कर दिया।
दिसंबर 2016 में खांडू ने पीपुल्स पार्टी के 43 विधायकों में से 33 के भाजपा में शामिल होने के साथ सदन में बहुमत साबित कर दिया। भाजपा के पहले से ही 11 विधायक थे और उसने दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से आंकड़ा 46 कर लिया। 2003 में 44 दिनों की गेगोंग अपांग के नेतृत्व वाली सरकार के बाद वह अरुणाचल प्रदेश में भाजपा के दूसरे मुख्यमंत्री बने।
कांग्रेस के इकलौते विधायक ने प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ा
अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के 4 विधायक थे, जिनमें से चुनाव से ऐन पहले 3 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। पूर्व सीएम नबाम तुकी कांग्रेस के इकलौते विधायक और प्रदेश अध्यक्ष थे। नबाम ने भी 9 मार्च को पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
इधर, भाजपा ने सभी 60 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू मुक्तो सीट से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले तीन पूर्व कांग्रेसी नेताओं को भी टिकट दिया है।
सिक्किम: सबसे ज्यादा समय तक CM रहे चामलिंग सत्ता की वापसी के इंतजार में
सिक्किम में लोकसभा की 1 और विधानसभा की 32 सीटें हैं। प्रेम सिंह तमांग उर्फ पीएस गोले के नेतृत्व में राज्य में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) की सरकार है। 1994 से लेकर 2019 तक राज्य में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) की सरकार रही। पार्टी के चीफ पवन चामलिंग लगातार 24 साल 166 दिन तक सीएम पद पर रहे। हालांकि, 2019 विधानसभा चुनाव में SKM को 17 सीटें मिली थीं, वहीं चामलिंग की पार्टी को 15 सीटें ही मिली थीं।
BJP को एक भी सीट नहीं, लेकिन SDF से 10 विधायक शामिल हुए
सिक्किम में 2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थीं। 13 अगस्त 2019 को पवन चामलिंग की पार्टी SDF के एक साथ 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। ऐसे में SDF के पास केवल 5 विधायक ही बचे। राज्य में भाजपा और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) का गठबंधन है।