370 हटाने को सही ठहराने की याचिका खारिज: CJI ने पूछा- हमें यह घोषणा क्यों करनी चाहिए, आपके क्लाइंट को किसने राय दी

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नई दिल्ली10 घंटे पहले

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आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही है।

कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35-ए हटाने को सही ठहराने की मांग करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि ये कैसी याचिका है? हमें आपकी याचिका पर वह घोषणा क्यों करनी चाहिए? याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से कोर्ट ने पूछा आपके क्लाइंट को किसने राय दी है?

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आर्टिकल 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता का मुद्दा पहले से ही शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के समक्ष लंबित है। बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को हटाने की संवैधानिक वैधता का मुद्दा संविधान पीठ के समक्ष पेंडिंग है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट में अगस्त में अब तक हुई सुनवाई :

16 अगस्त: जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटते समय अनुच्छेद 239ए का पालन नहीं किया गया जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के वकील राजीव धवन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में परिवर्तित करते समय संविधान के अनुच्छेद 239ए का पालन नहीं किया गया। अनुच्छेद 239ए के मुताबिक कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्थानीय विधानसभाओं या मंत्रिपरिषद या दोनों के निर्माण की शक्ति संसद के पास है। पढ़ें पूरी खबर…

10 अगस्त: विशेष दर्जा देने वाला 370 स्थायी था, ये कहना मुश्किल
सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त की सुनवाई के दौरान कहा था कि अक्टूबर 1947 में पूर्व रियासत के विलय के साथ जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का भारत को समर्पण पूरा हो गया था और यह कहना मुश्किल था कि 370 जो उसे विशेष दर्जा प्रदान करता था, स्थायी था। यह नहीं कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में संप्रभुता के कुछ तत्वों को अनुच्छेद 370 के बाद भी बरकरार रखा गया था। पढ़ें पूरी खबर…

9 अगस्त: बुधवार को चार घंटे 40 मिनट सुनवाई

बुधवार को सीनियर एडवोकेट सुब्रमण्यम ने कहा क‍ि विलय के समय जम्मू-कश्मीर किसी अन्य राज्य की तरह नहीं था। उसका अपना संविधान था। हमारे संविधान में विधानसभा और संविधान सभा दोनों को मान्यता प्राप्त है। मूल ढांचा दोनों के संविधान से निकाला जाएगा। डॉ. अंबेडकर ने संविधान के संघीय होने और राज्यों को विशेष अधिकार की बात कही थी। पढ़ें पूरी खबर…

8 अगस्त: मंगलवार को 5 घंटे 18 मिनट सुनवाई

8 अगस्त को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 370 खुद कहता है कि इसे खत्म किया जा सकता है। इस पर सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा था, 370 में आप बदलाव नहीं कर सकते, इसे हटाना तो भूल ही जाइए। फिर CJI ने कहा- आप सही हैं, इसलिए सरकार के पास स्वयं 370 में बदलाव करने की कोई शक्ति नहीं है। सिब्बल बोल- ये व्याख्या (अपने शब्दों में समझाना, इंटरप्रिटेशन) करने वाला क्लॉज है, यह संविधान में संशोधन करने वाला क्लॉज नहीं है। पढ़ें पूरी खबर…

3 अगस्त: गुरुवार को 5 घंटे 11 मिनट सुनवाई

3 अगस्त को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि आर्टिकल 370 को छेड़ा नहीं जा सकता। इसके जवाब में जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस आर्टिकल का सेक्शन (c) ऐसा नहीं कहता। इसके बाद सिब्बल ने कहा, मैं आपको दिखा सकता हूं कि आर्टिकल 370 स्थायी है। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, अभी तक जम्मू-कश्मीर की सहमति की आवश्यकता है और अन्य राज्यों के लिए विधेयक पेश करने के लिए केवल विचारों की जरूरत है। पढ़ें पूरी खबर…

2 अगस्त: बुधवार को 4 घंटे 25 मिनट सुनवाई

इसके पहले 2 अगस्त को सुनवाई के दौरान CJI ने याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि आर्टिकल 370 खुद ही अपने आप में अस्थायी और ट्रांजिशनल है। क्या संविधान सभा के अभाव में संसद 370 को निरस्त नहीं कर सकती? इस पर जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा था कि संविधान के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर से 370 को कभी हटाया नहीं जा सकता। पढ़ें पूरी खबर..

10 जुलाई को केंद्र ने मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था
इस मामले को लेकर आखिरी सुनवाई 11 जुलाई को हुई थी। इससे एक दिन पहले 10 जुलाई को केंद्र ने इस मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था। केंद्र ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर 3 दशकों तक आतंकवाद झेलता रहा। इसे खत्म करने का एक ही रास्ता था आर्टिकल 370 हटाना।

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