2024 के लिए मिशन साउथ में बढ़ रहीं चुनौतियां: भाजपा के लिए कर्नाटक में नई साझेदारी से संकट, आंध्र प्रदेश में साथी चुनने की उलझन

नई दिल्ली4 घंटे पहलेलेखक: सुजीत ठाकुर

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फिलहाल भाजपा 5 राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने की तैयारी कर रही है।

आमचुनाव से पहले भाजपा का मिशन साउथ बेपटरी हो रहा है। पार्टी ने चार साल में लोकसभा की 130 सीटों वाले दक्षिण के 6 राज्यों को साधने के जितने सियासी दांव चले, वे परवान चढ़ते नहीं दिख रहे। ताजा झटका कर्नाटक से लगा, जहां राज्य के वरिष्ठ नेता शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी जताते लगे हैं।

दरअसल, हाल ही में भाजपा ने पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा की अध्यक्षता वाले जद-एस से गठबंधन का फैसला किया। इसके खिलाफ कर्नाटक भाजपा के ही नेता बोलने लगे हैं। आमतौर पर अनुशासित पार्टी मानी जाने वाली भाजपा के लिए यह झटके की तरह है।

JDS को चुना तो लिंगायत समर्थक नाराज हुए
भाजपा नेता, कर्नाटक के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने सार्वजनिक रूप से कहा, JDS से गठजोड़ पर राज्य इकाई को विश्वास में नहीं लिया गया। इस बीच सूत्रों ने दावा किया है कि केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले से नाराज भाजपा के कई विधायक, सांसद और पदाधिकारी पार्टी छोड़ने जैसा कदम भी उठा सकते हैं। कर्नाटक भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, JDS के साथ जाने से लिंगायत समर्थक भाजपा से नाराज हैं।

आंध्र प्रदेश: असमंजस में भाजपा, सीएम जगन के साथ जाएं या चंद्रबाबू नायडू को बचाएं…
आंध्र में टीडीपी से गठबंधन की कोशिश में लगी भाजपा को चंद्रबाबू नायडू की भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी से झटका लगा है। वाईएसआरसीपी प्रमुख और राज्य के सीएम जगनमोहन रेड्‌डी ने चुपचाप इस कार्रवाई को हरी झंडी दी। अब भाजपा इस पर असमंजस में है कि वह जगन के साथ जुड़े या चंद्रबाबू को बचाकर उनका साथ ले।

जगन के साथ जाने पर उसे विधानसभा के साथ लोकसभा चुनाव में भी जूनियर पार्टनर रहना होगा। वहीं, टीडीपी के साथ वह कम से कम बराबरी पर सीट शेयर कर सकती है। हालांकि ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा के दावे को झटका लगेगा, क्योंकि नायडू इसी आरोप में जेल में हैं।

दूसरी ओर, भाजपा की सहयोगी रही जनसेना पहले ही कह चुकी है कि वह टीडीपी के साथ चुनाव लड़ेगी।

तेलंगाना: सत्ता विरोधी रुझान कमजोर पड़ा
भाजपा ने जिस मजबूत विपक्ष की भूमिका बनाई, वह कर्नाटक की हार से कमजोर हो गया। कर्नाटक की जीत से उत्साहित कांग्रेस फ्रंटफुट पर है। जानकारों का कहना है कि भाजपा ने राज्य में जो सत्ता विरोधी रुझान बनाया था, पार्टी के कमजोर होने से उसका फायदा कांग्रेस उठा रही है।

केरल और तमिलनाडु का हाल
तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक ने भाजपा से नाता तोड़ लिया। तमाम कोशिशों के बाद भी भाजपा अन्नाद्रमुक को मनाने में सफल नहीं रही। ऐसे में अकेले उसकी राह आसान नहीं दिख रही। वहीं, केरल में भाजपा की सियासत में जमीनी स्तर पर अब तक कोई बड़ा ​बदलाव नहीं हो पाया है।

पार्टी नेताओं का भी मानना है कि एलडीएफ और यूडीएफ के बीच अभी भाजपा के लिए जगह नहीं बन रही। ऐसे में 2024 के आम चुनाव में भाजपा को केरल से बड़ी उम्मीद नहीं है।

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