हरियाणा में AAP-कांग्रेस गठबंधन टूटने की कगार पर: सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं, 50 पर अकेले लड़ेगी AAP; अखिलेश का चुनाव लड़ने से किनारा – Haryana News

हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर हो रहे चुनाव को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) में बातचीत टूटने के कगार पर है। दोनों के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन रही। ये दोनों पार्टियां नेशनल लेवल पर विपक्ष के I.N.D.I.A. ब्लॉक में सहयोगी हैं।

.

सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी 10 सीटें मांग रही है लेकिन कांग्रेस 3 सीटें देने पर राजी है। इसके बाद AAP 7 सीटों पर आ गई थी। कांग्रेस ने 3 सीटों में भी यह शर्त लगाई कि AAP शहरी क्षेत्रों की सीटों पर चुनाव लड़े। मगर, आम आदमी पार्टी कह रही थी कि उनकी पंजाब और दिल्ली में सरकार है। इसलिए उन्हें इनके बॉर्डर से सटी सीटें दी जाएं। जिस पर कांग्रेस राजी नहीं हुई। इसके अलावा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा भी इसके पक्ष में नहीं हैं।

कांग्रेस के रुख को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने 50 सीटों पर लड़ने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए रविवार को उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी जाएगी।

वहीं अब इस मामले में अंतिम फैसला राहुल गांधी पर आकर टिक गया है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इस पर आज शुक्रवार शाम को ही फैसला हो सकता है।

दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने हरियाणा में चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया है। अखिलेश यादव ने कहा कि सपा हरियाणा चुनाव नहीं लड़ेगी।

अखिलेश यादव बोले- भाजपा को हराने वालों का देंगे साथ समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया X पर लिखा कि हरियाणा चुनाव में ‘I.N.D.I.A.’ की एकजुटता नया इतिहास लिखने में सक्षम है। हमने कई बार कहा है और एक बार फिर दोहरा रहे हैं व आगे भी दोहरायेंगे कि ‘बात सीट की नहीं जीत की है’। हरियाणा के विकास व सौहार्द की विरोधी ‘भाजपा की नकारात्मक, साम्प्रदायिक, विभाजनकारी राजनीति’ को हराने में ‘इंडिया अलायंस’ की जो भी पार्टी सक्षम होगी, हम उसके साथ अपने संगठन और समर्थकों की शक्ति को जोड़ देंगे।

बात दो-चार सीटों पर प्रत्याशी उतारने की नहीं है, बात तो जनता के दुख-दर्द को समझते हुए उनको भाजपा की जोड़-तोड़ की भ्रष्टाचारी सियासत से मुक्ति दिलाने की है, साथ ही हरियाणा के सच्चे विकास और जनता के कल्याण की है। पिछले 10 सालों में भाजपा ने हरियाणा के विकास को बीसों साल पीछे ढकेल दिया है।

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव।

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव।

हरियाणा के हित में त्याग-परित्याग को तैयार हम मानते हैं कि हमारे या इंडिया एलायंस के किसी भी दल के लिए, ये समय अपनी राजनीतिक संभावना तलाशने का नहीं है बल्कि त्याग और बलिदान का है। जनहित के परमार्थ मार्ग पर स्वार्थ के लिए कोई जगह नहीं होती। कुटिल और स्वार्थी लोग कभी भी इतिहास में अपना नाम दर्ज नहीं करा सकते हैं। ऐसे लोगों की राजनीति को हराने के लिए ये क्षण, अपने से ऊपर उठने का ऐतिहासिक अवसर है। हम हरियाणा के हित के लिए बड़े दिल से, हर त्याग-परित्याग के लिए तैयार हैं।

ये कांग्रेस का गठबंधन प्लान पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने साफ किया था कि वह सहयोगी दलों को सिंगल डिजिट सीट ही दे सकते हैं। गठबंधन फॉर्मूले के तहत कांग्रेस AAP को 5 और सीपीआई, सीपीएम, सपा और NCP को एक-एक सीट देने को राजी है।

AAP से गठबंधन को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया कह चुके हैं- “हम उनसे बात कर रहे हैं। कोई भी समझौता तभी संभव है जब दोनों पक्षों के लिए जीत वाली स्थिति हो। हम ऐसे समाधान पर काम कर रहे हैं जिससे दोनों पक्षों को फायदा हो। एक दो दिन में इस पर स्थिति साफ होगी। यदि बात नहीं बनती है तो छोड़ देंगे।

3 मेंबरी कमेटी बना चुकी कांग्रेस

इस गठबंधन की पहल लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने की थी। एक दिन पहले यानी मंगलवार को राहुल गांधी ने AAP से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई। जिसमें पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान को भी रखा गया है।

वहीं गठबंधन की पहल से हरियाणा में कांग्रेस के लिहाज से राहुल गांधी ने 3 बड़े मैसेज दिए हैं। पहला मैसेज पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के लिए है कि अपने स्तर पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कहकर वह खुद को कांग्रेस से बड़ा नेता न समझें।

विस्तार से पढ़ें, गठबंधन से राहुल गांधी के 3 निशाने

1. भूपेंद्र हुड्‌डा को भी इशारा किया

हरियाणा में कांग्रेस के भूपेंद्र हुड्‌डा और सांसद कुमारी सैलजा-रणदीप सुरजेवाला के 2 गुट हैं। संगठन पर अभी हुड्‌डा की पकड़ है। प्रधान चौधरी उदयभान भी हुड्डा के करीबी हैं। हुड्डा लगातार कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने की पैरवी करते रहे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के वक्त भी कहा कि विधानसभा में AAP से गठबंधन नहीं होगा।

हुड्डा के हाईकमान को इग्नोर कर सीधे दावे करने के बाद राहुल गांधी का गठबंधन की तरफ बढ़ना उनके लिए बड़ा झटका है। यह भी मैसेज दिया गया कि हुड्डा खुद को हरियाणा कांग्रेस न समझें, बल्कि पार्टी उनसे ऊपर है। यह भी माना जा रहा है कि पिछले दिनों कुमारी सैलजा के CM पद पर दावा ठोकना भी हुड्डा को झटका देने की रणनीति का ही हिस्सा है। खास बात यह है कि सैलजा जहां उनके चुनाव लड़ने से लेकर सीएम चुनने तक का फैसला हाईकमान पर छोड़ती रही हैं, वहीं हुड्‌डा अपने स्तर पर किसी भी पार्टी से गठबंधन की बात को नकारते आ रहे हैं।

2. एंटी इनकंबेंसी वाले वोटों का बिखराव रोकेंगे

भाजपा 10 साल से प्रदेश में सरकार चला रही है। ऐसे में सत्ता के प्रति एक स्वाभाविक एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) नजर आ रही है। अगर कांग्रेस और AAP अलग-अलग लड़ते हैं तो वोटों का बिखराव होना तय है। खास तौर पर पंजाब में कांग्रेस के प्रति एंटी इनकंबेंसी का सीधा फायदा AAP को पहुंचा। आप ने वहां 117 में से 92 सीटें जीत ली। कांग्रेस 18 पर सिमट गई। सत्ता के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के वोट का विकल्प आप बनी तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है। ऐसे में राहुल गांधी गठबंधन से इसे भी रोकना चाहते हैं।

3. भाजपा की गैर जाट पॉलिटिक्स का तोड़

हरियाणा में भाजपा गैर जाट पॉलिटिक्स करती है। 10 साल में पहले पंजाबी CM मनोहर लाल खट्‌टर और अब लोकसभा चुनाव से पहले OBC चेहरे नायब सैनी को सीएम बना दिया। भाजपा इस चुनाव में भी गैर जाट वोट बैंक के लिए ग्राउंड लेवल पर रणनीति बना रही है। इसके उलट कांग्रेस की पॉलिटिक्स जाट वोट बैंक पर निर्भर है। हुड्‌डा हरियाणा में सबसे बड़े जाट चेहरे हैं। हालांकि जाट वोट बैंक भी एकमुश्त कांग्रेस को मिले, यह भी संभव नहीं है।

इसमें पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) और अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) की सेंधमारी होगी। दूसरा कांग्रेस को SC वोट बैंक से उम्मीद है। लेकिन उसमें भी इनेलो के बसपा और JJP के चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी से गठबंधन के बाद सेंध लग सकती है। ऐसी सूरत में कांग्रेस आप को साथ लेकर उनके पक्ष के वोट बैंक को साधना चाहती है।

दीपक बाबरिया से गठबंधन को लेकर बातचीत करते बाहर आते हुए आप सांसद राघव चड्‌ढा।

दीपक बाबरिया से गठबंधन को लेकर बातचीत करते बाहर आते हुए आप सांसद राघव चड्‌ढा।

जहां कांग्रेस मजबूत, वहां भी विपक्षी एकता का मैसेज

हरियाणा में गठबंधन से राहुल गांधी की नजर फ्यूचर पॉलिटिक्स पर है। वह इसके जरिए I.N.D.I.A. ब्लॉक में शामिल उन छोटे-बड़े दलों को भरोसा देना चाहते हैं जिनमें कांग्रेस के प्रति भरोसे की कमी है। राहुल इससे सहयोगी दलों में कांग्रेस के साथ के प्रति भरोसा बढ़ाना चाहते हैं। इसके जरिए राहुल दूसरे राज्यों के दलों को भी मैसेज देना चाहते हैं।

वहीं यह भी बताना चाहते हैं कि भले ही हरियाणा में 10 साल से सरकार चला रही BJP के प्रति एंटी इनकंबेंसी से कांग्रेस मजबूत होने का दावा कर रही है। लेकिन वह कमजोर दलों का साथ नहीं छोड़ रही। मध्यप्रदेश चुनाव में कांग्रेस पर इसको लेकर आरोप भी लगे थे कि सपा के साथ आखिरी वक्त तक बातचीत कर भी गठबंधन नहीं किया गया।

दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव में गठबंधन

हरियाणा के जरिए राहुल गांधी अगले साल 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को भी साधना चाहते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस ने शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते 1998 से लेकर 2013 तक सरकार बनाई। इसके बाद 2013 और 2015 में हुए चुनाव में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई। इस बार कांग्रेस हरियाणा में AAP को साथ लेकर दिल्ली में उनके साथ गठबंधन को लेकर दबाव बना सकती है।

दीपक बाबरिया लगातार AAP नेताओं के संपर्क में हैं। उनकी ओर से सिंगल डिजिट में सीटें देने का प्रस्ताव रखा गया है।

दीपक बाबरिया लगातार AAP नेताओं के संपर्क में हैं। उनकी ओर से सिंगल डिजिट में सीटें देने का प्रस्ताव रखा गया है।

पहले निगम में कांग्रेस की सपोर्ट से AAP का मेयर बना

चंडीगढ़ नगर निगम के 35 वार्डों के लिए इसी साल मार्च महीने में चुनाव हुआ था। इसका चुनाव तो AAP और कांग्रेस ने अलग-अलग लड़ा। जिसमें AAP के 13 पार्षद और कांग्रेस के 7 पार्षद जीत गए। भाजपा के 14 और एक पार्षद अकाली दल का बना। मेयर के लिए सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बनी।

हालांकि I.N.D.I.A. ब्लॉक के तहत आप-कांग्रेस ने मेयर चुनाव में गठबंधन कर लिया। जिसके बाद यहां कुलदीप कुमार आम आदमी पार्टी (AAP) के मेयर चुने गए। देश भर में I.N.D.I.A. ब्लॉक के आपस में मिलकर लड़ने और भाजपा को हराने का यह पहला चुनाव था।