हमीदिया हादसे में सरकारी झूठ उजागर: मंत्री ने कहा था केवल 4 बच्चों की जान गई, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पांचवीं मौत की बात साबित

भोपाल12 घंटे पहलेलेखक: आनंद पवार

भोपाल के हमीदिया अस्पताल में वेंटिलेटर में शार्ट सर्किट से 8 नवंबर की रात आग लगने के हादसे में बच्चों की मौत काे लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। अब तक हादसे में सरकार 4 बच्चों की मौत बता रही थी, लेकिन एक और मृत नवजात की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि उसकी मौत भी धुएं से दम घुटने के चलते ही हुई थी।

यह केस उन 4 मृत बच्चों के साथ दर्ज नहीं किया गया है। ऐसे में सरकार के दावे पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी उसी अस्पताल के डॉक्टर ने बनाई है, जहां ये हादसा हुआ था। हादसे की रात खुद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने 4 बच्चों की मौत की पुष्टि की थी। वहीं, मामले में जिम्मेदार अब कह रहे हैं कि उनको पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की जानकारी नहीं है।

40 में से 17 बच्चों की गई थी जान
अस्पताल प्रबंधन पहले भी बता चुका है कि हादसे के वक्त अस्पताल में मौजूद 40 में से 17 बच्चों की मौत हुई थी। हालांकि इसमें से सिर्फ चार की मौत की वजह आग को बताया है, जबकि अन्य मौतों का कारण सामान्य बताया है।

हादसे में खोईं जुड़वां बेटियां
काजीपुरा जैन मंदिर रोड निवासी अंकुश यादव की शादी बीना निवासी रचना यादव से अप्रैल 2019 में शादी हुई थी। शादी के बाद दोनों का पहला बच्चा मिसकैरेज हो गया था। दूसरी बार दिवाली के चार दिन बाद 8 नवंबर 2021 को सुबह 8 बजे उनके घर जुड़वां बेटियों का जन्म हुआ था। कमजोर होने के चलते दोनों नवजातों को पीडियाट्रिक वार्ड के SNCU (गहन शिशु रोग चिकित्सा इकाई) में भर्ती किया गया था।

पीएम रिपोर्ट के साथ बच्ची के परिजन।

अंकुश ने बताया कि रात 8 बजे वह अस्पताल में मौजूद थे। अचानक पीडियाट्रिक वार्ड में आग लगने से अफरातफरी मच गई। वह SNCU की तरफ भागे, लेकिन धुआं ज्यादा होने से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। वह चाह कर भी अपने बच्चों को बचा नहीं सके। जन्म के 12 घंटे बाद ही उनकी दोनों बेटियां हादसे की शिकार हो गईं। उन्होंने बताया कि हादसे की रात 2:30 बजे उनको अन्य तीन परिवारों के साथ डॉक्टरों ने अंदर बुलाया। जहां उनको एक बच्ची की मौत की सूचना दी गई। सरकारी रिपोर्ट में दर्ज चार मौतों में ये बच्ची शामिल है। डॉक्टरों ने बताया दूसरी बच्ची अभी जीवित है।

मृत बच्ची को रखा था वेंटिलेटर पर
अंकुश ने बताया कि उनकी दूसरी बच्ची को डॉक्टरों को दिखाया गया। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। अगले दिन सुबह दोबारा उन्हें बुलाकर बताया गया कि उसको बचाने के पूरे प्रयास कर रहे हैं। दोपहर में डॉक्टर ने बताया कि उसके बचने के चांस 10% भी नहीं हैं। अंकित ने बताया कि दूसरे दिन डॉक्टरों ने बताया कि वह अब नहीं रही। अंकित ने बताया कि उस समय पहले दिन की ही तरह उनकी बेटी की सांस चल रही थी। जब डॉक्टरों से इस संबंध में पूछा तो बोले कि हम मशीन से ऑक्सीजन दे रहे हैं। अंकित बोले कि घटना के दिन ही मेरी दोनों बच्चियों की मौत हो चुकी थी। मशीन पर रखकर हमें अस्पताल और अधिकारी बेवकूफ बना रहे थे।

नैचुरल डेथ बताकर ले रहे थे स्वीकृति
अंकुश ने बताया कि जब उनकी दूसरी बेटी की मौत हुई तो अस्पताल प्रबंधन एक कागज पर हस्ताक्षर करा रहा था। उसमें लिखा था कि बच्ची की मौत सामान्य कारणों से हुई थी। जब हमने इसका विरोध कर पोस्टमॉर्टम कराने की मांग की तो पहले टालने लगे। हमने शव लेने से इनकार किया तो पोस्टमॉर्टम कराने पर राजी हुए। अब रिपोर्ट में मौत धुएं से दम घुटने के कारण होने की बात सामने आ रही है।

बच्चों के परिजन को अस्पताल के अंदर नहीं जाने दिया गया था।

बच्चों के परिजन को अस्पताल के अंदर नहीं जाने दिया गया था।

मुआवजे के लिए कोई नहीं आया
अंकुश ने बताया कि सरकार की तरफ से मुआवजा राशि की घोषणा की गई थी। इस मामले में अब तक उनके पास न तो कोई अधिकारी आया और न ही उनसे कोई बातचीत की। घटना की रात उनसे जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उनसे जानकारी जरूर ली थी। उसके बाद से अब तक कोई भी उनसे मिलने नहीं आया है। न ही उनको कोई मुआवजा मिला है।

दोषियों पर हो कार्रवाई
अंकुश का कहना है कि पूरे मामले में दोषियों को बचाया जा रहा है। सरकार की जांच रिपोर्ट भी खानापूर्ति है। उन्होंने मांग की इस मामले में निष्पक्ष जांच की जाए, ताकि छोटे बच्चों की मौत के जिम्मेदारों को सजा मिले। अंकित का कहना है कि मौतों की संख्या कहीं ज्यादा है।

HOD बोली, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की जानकारी नहीं
इस मामले में हमीदिया अस्पताल की पीडियाट्रिक विभाग की फेंकना डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव ने कहा कि बाकी बच्चों के माता-पिता ने पोस्टमॉर्टम कराया है। उनको अभी रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है।

आग लगने के बाद लपटें कम, धुआं ज्यादा था।

आग लगने के बाद लपटें कम, धुआं ज्यादा था।

कलेक्टर ने कहा, जल्द खाते में पहुंचेगा मुआवजा
वहीं, भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने मुआवजा के सवाल पर कहा कि अंकुश के परिजनों से SDM ने मुलाकात की है। उनके अकाउंट नंबर समेत जरूरी जानकारी ली गई। टेक्निकल वजह से पैसा अकाउंट में नहीं गया है। जल्द ही राशि ट्रांसफर हो जाएगी। वहीं, उन्होंने दूसरी मौत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण धुएं के कारण दम घुटना होने के सवाल पर कहा कि SDM को अस्पताल से अभी रिपोर्ट नहीं मिली है।

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जवाब देने से बचते रहे डीन-अधीक्षक
वहीं, चार बच्चों के अलावा दूसरे बच्चे के पोस्टमॉर्टम नहीं कराने के मामले में पूछे गए सवाल पर डीन डॉ. अरविंद राय ने कहा कि वह अधीक्षक से जानकारी लेकर ही कुछ बता पाएंगे। जब अधीक्षक डॉ. दीपक मरावी से बात की तो उन्होंने कहा कि वह डीन के जानकारी मांगने पर दे देंगे।

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