सेहत – वायरल बुखार ने बढ़ाई अस्पतालों में मरीजों की संख्या, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय – INA News Agancy

अनुज गौतम/सागर. मौसम में बदलाव होने की वजह से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वायरल बुखार तेजी से अपना पैर पसार रहा है. यह सबसे ज्यादा बच्चों और उम्र दराज लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. अस्पतालों में आने वाले करीब 60% लोग वायरल बुखार से ग्रसित हैं. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में भी रोजाना 400 से अधिक वायरल बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं. हर दूसरे घर में वायरल बुखार के मरीज हैं. यह वायरस एक बार घर में आने के बाद परिवार के ज्यादातर सदस्यों को प्रभावित कर रहा है.

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी लैब के प्रभारी डॉक्टर सुमित रावत ने बताया कि मौसम चेंज होने की वजह से दो-तीन प्रकार की बीमारियां बढ़ जाती हैं, जिसमें वायरल, डेंगू, चिकनगुनिया शामिल है. इस तरह के फीवर अचानक से बढ़ जाते हैं. ऐसा अक्सर इसलिए होता है क्योंकि बारिश की वजह से नालियों का गंदा पानी सड़कों का आ जाता है, मक्खियां बढ़ जाती हैं और इन्हीं सब की वजह से वायरल बुखार होता है.

मेडिकल कॉलेज में सैंपल पर रिसर्च
मेडिकल कॉलेज में सैंपल पर रिसर्च की गई, इसमें तीन अलग-अलग प्रकार के वायरस पाए गए हैं. इसमें जो सबसे ज्यादा ह्यूमन बॉडी को प्रभावित करता है उसमें आरएसवी हैं, जिसे रेस्पिरेटरी सीनसीटियल वायरस (आरएसवी) कहते हैं. यह सबसे तेजी से फैलने वाले वायरसों में से एक है. इसका इलाज ना होने पर कभी-कभी यह जानलेवा भी साबित हो जाता है, क्योंकि यह वायरस हीमोग्लोबिन को कम करने के साथ ही प्लेटलेट्स को भी तेजी से कम करता है. इस वायरस ने पिछले साल अमेरिका में घातक रूप ले लिया था.

डॉक्टर की सलाह के बगैर दवाई ना लें
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सुमित रावत ने बताया कि अगर आपको बुखार आ रहा है. पेरासिटामोल लेने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा तो आप अपने नजदीकी डॉक्टर को दिखाएं. एंटी एलर्जिक कोई भी दवाई खुद से ना लें. अगर किसी बच्चे में इसके सिम्टम्स पाए जाते हैं तो उसे अलग कमरे में आइसोलेट करने की कोशिश करें, ताकि यह परिवार के अन्य सदस्यों में न फेल पाए. बार-बार हाथ धोते रहें. अगर कहीं कोई खांसी कर रहा है, छींक रहा है तो मास्क का इस्तेमाल करें.

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