सुप्रीम कोर्ट ने ED को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फटकारा: कहा- 5 हजार से ज्यादा केस, सजा केवल 40 में; एजेंसी साइंटिफिक सबूत भी जुटाए

नई दिल्ली27 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (7 अगस्त) को PMLA से जुड़े एक मामले की सुनवाई की। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने ED से कहा कि PMLA के 5 हजार मामलों में केवल 40 में दोष साबित हुए हैं। आपको (ED) केवल गवाहों के बयानों पर निर्भर रहने के बजाय साइंटिफिक सबूत जुटाने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट छत्तीसगढ़ के व्यापारी सुनील कुमार अग्रवाल के जुड़े PMLA मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनील को कोयला ट्रांसपोर्ट के लिए लेवी टैक्स देने के मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था। मई महीने में कोर्ट ने सुनील को जमानत भी दी थी।

स्पेशल लीव पिटिशन पर सुनवाई करते हुए बेंच ने ED से पूछा कि क्या PMLA की धारा 19 के तहत सुनील की गिरफ्तारी सही है। बेंच ने अपने आदेश में स्पेशल लीव पिटिशन का निपटारा किया। साथ ही कहा कि सुनील अग्रवाल ने जमानत देने मांगी थी, बशर्ते कि उन्हें बांड प्रस्तुत करना होगा।

सुनवाई में किसने क्या कहा…

जस्टिस सूर्यकांत- आपको (ED) केस की गुणवत्ता पर गौर करने की जरूरत है। ये गंभीर आरोप हैं, जो इस देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे हैं। यहां आप कुछ व्यक्तियों के दिए गए बयानों पर जोर दे रहे हैं। ऐसे मौखिक सबूतों से क्या होगा? भगवान जाने कि वे कल इस पर कायम रहेंगे या नहीं। कुछ साइंटिफिक सबूत तो होने ही चाहिए।

जस्टिस भुइयां- PMLA के तहत 5 हजार मामलों में केवल 40 में सजा हुई है। अब आप (ED) कल्पना कर सकता है कि ऐसे केस में सजा की दर क्या है।

जस्टिस दत्ता- क्या धारा 19 के तहत यह गिरफ्तारी आदेश टिकाऊ है? आप यह नहीं कह सकते कि खुद को निर्दोष साबित करने का भार आरोपी पर है, जब आप खुद साबित नहीं कर सकते हैं कि वह दोषी है। घोड़े के आगे गाड़ी मत लगाओ।

(सुनील के वकील) सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी- पिटिशन का विरोध केवल जमानत नहीं देने के लिए किया जा रहा है।

6 अगस्त को गृह राज्य मंत्री ने संसद ने बताया था आंकड़ा
6 अगस्त को संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में प्रश्न का लिखित उत्तर में कहा था कि 2014 से अबतक ED ने 5200 से ज्यादा मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज किए हैं। इनमें से 40 में दोष साबित हुए हैं। जबकि, 3 तीन मामलों में जिन पर आरोप थे वे बरी हुए हैं।

क्या है PMLA कानून?
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA को आम भाषा में समझें तो इसका मतलब है- दो नंबर के पैसे को हेरफेर कर ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ कानून। ये एक्ट मनी-लॉन्ड्रिंग को रोकने, मनी-लॉन्ड्रिंग से प्राप्त या उसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों के लिए प्रावधान करने के लिए है।

PMLA, 2002 में NDA के शासनकाल में बना था। ये कानून लागू हुआ 2005 में कांग्रेस के शासनकाल में, जब पी. चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे। PMLA कानून में पहली बार बदलाव भी 2005 में चिदंबरम ने ही किया था।

PMLA के तहत ED को आरोपी को अरेस्ट करने, उसकी संपत्तियों को जब्त करने, उसके द्वारा गिरफ्तारी के बाद जमानत मिलने की सख्त शर्तें और जांच अधिकारी के सामने रिकॉर्ड बयान को कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य होने जैसे नियम उसे ताकतवर बनाते हैं।

यह खबर भी पढ़ें…
मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में गिरफ्तारी पर SC का फैसला, कहा- मामला कोर्ट में हो, आरोपी समन पर पेश हुआ तो ED अरेस्ट नहीं कर सकती

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अगर स्पेशल कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग का केस पहुंच गया है, तो प्रवर्तन निदेशालय (ED) आरोपी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तार नहीं कर सकता। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने यह आदेश पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले पर दिया है, जिसमें हाईकोर्ट ने आरोपियों की प्री-अरेस्ट बेल याचिका खारिज कर दी थी। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…