सिद्धू पर सख्त कांग्रेस हाईकमान: पार्टी का काम करें या जाएं, एक हफ्ते में फैसला करें; पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद से इस्तीफा वापस लेंगे सिद्धू

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जालंधर3 मिनट पहले

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पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद से इस्तीफा देने वाले नवजोत सिद्धू पर कांग्रेस हाईकमान सख्त हो गया है। सूत्रों के मुताबिक हाईकमान ने सिद्धू को एक हफ्ते वक्त दिया है। उन्हें कहा गया है कि वो पार्टी का काम करें या बाहर जाएं, फैसला कर लें। इसके बाद हाईकमान इस्तीफा मंजूर कर सकता है। इसे देखते हुए सिद्धू के तेवर भी ठंडे पड़ गए हैं। सिद्धू फिर से सक्रिय हो गए हैं। जिसके बाद पहले गवर्नर हाउस के बाहर धरना देने गए। उसके बाद बुधवार को सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस प्रधान की हैसियत से ही मीटिंग बुलाई। आज जीरकपुर से उत्तर प्रदेश रोष मार्च निकाल रहे हैं। इन हालातों के बाद सिद्धू पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद पर बने रहेंगे। सिद्धू जल्द ही इस्तीफा वापस लेने की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।

नवजोत सिद्धू ने करीब 10 दिन पहले अचानक इस्तीफा दे दिया था। वह नई बनी चरणजीत चन्नी सरकार की नियुक्तियों को लेकर नाराज थे। जिसके बाद सुलह की कोशिश हुई। सिद्धू फिर भी नहीं माने। इसके बाद कांग्रेस हाईकमान उनसे नाराज हो गया।

कांग्रेस हाईकमान की नाराजगी की बड़ी वजहें

  • कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध के बावजूद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाया।
  • सिद्धू के कहने पर अमरिंदर सिंह को CM की कुर्सी से हटा दिया।
  • सिद्धू के विरोध पर सुखजिंदर रंधावा को CM नहीं बनाया।सिद्धू नए CM चरणजीत चन्नी से भी नाराज हो गए।
  • सिद्धू को मनाने के लिए सुलह का फॉर्मूला निकाला लेकिन वो उस पर भी राजी नहीं हुए।
  • सिद्धू ने पार्टी का अनुशासन तोड़ा। पहले इस्तीफा और फिर नाराजगी की वजह सार्वजनिक माध्यम से जारी की।
  • 23 जुलाई को ताजपोशी के बावजूद पंजाब में अभी तक संगठन नहीं बनाया। जनवरी 2020 से पंजाब कांग्रेस के संगठन भंग हैं।
मांगें न माने जाने से सिद्धू अधर में लटक रहे हैं।

मांगें न माने जाने से सिद्धू अधर में लटक रहे हैं।

सिद्धू के उठाए मुद्दे सियासी तौर पर गलत नहीं, इसलिए नया प्रधान लगाने में रुके

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू की जिद देख नया प्रधान लगाने की तैयारी कर दी थी। इसके लिए CM चन्नी के साथ सांसद रवनीत बिट्‌टू और वर्किंग प्रधान कुलजीत नागरा को दिल्ली बुलाया गया। दोनों में से किसी एक को प्रधान लगाने की तैयारी थी। हालांकि तब कुछ वरिष्ठ नेताओं ने हाईकमान को सलाह दी कि सिद्धू जो मुद्दे उठा रहे हैं, वो सियासी तौर पर गलत नहीं हैं। यह मामले श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी और ड्रग्स से जुड़े हैं। जिनके ऊपर पंजाब की पूरी सियासत गर्माई हुई है। हालांकि अगर अचानक ही डीजीपी इकबालप्रीत सहोता और एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल को हटा दिया जाता है तो सरकार कमजोर नजर आएगी। खासकर, पंजाब के पहले अनुसूचित जाति के CM के ऊपर सिद्धू की भूमिका सुपर-CM की बन जाएगी। जिससे सियासी नुकसान होगा। इसलिए हाईकमान ने सिद्धू पर ही पीछे हटने का दबाव डाला है।

राहुल गांधी UP में लखीमपुर खीरी गए तो छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी को भी ले गए।

राहुल गांधी UP में लखीमपुर खीरी गए तो छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी को भी ले गए।

राहुल ने भी इशारा दिया, सरकार में चन्नी की ही चलेगी

राहुल गांधी ने भी सिद्धू को इशारा कर दिया है कि सरकार में CM चरणजीत चन्नी की ही चलेगी। राहुल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में चन्नी को अपने साथ ले गए। कांग्रेस किसी भी सूरत में पंजाब का पहला अनुसूचित जाति का सीएम बनाने के दांव को फेल नहीं करना चाहती। इसी वजह से राहुल इस फैसले को राष्ट्रीय स्तर पर भी भुना रहे हैं।

सिद्धू प्रियंका के जरिए बना रहे थे दबदबा

सिद्धू प्रियंका गांधी के जरिए चन्नी सरकार पर दबाव बनाना चाहते थे। हालांकि राहुल गांधी सीधे तौर पर चन्नी के समर्थन में आ गए। सिद्धू ने प्रियंका को उत्तर प्रदेश में हिरासत में रखने पर ताबड़तोड़ ट्वीट भी किए। इसके बावजूद हरीश रावत को छोड़ हाईकमान की तरफ से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिला।

मंत्री रजिया का इस्तीफा भी होगा नामंजूर

सिद्धू के समर्थन में विधायक रजिया सुल्ताना ने मंत्रीपद छोड़ दिया था। पंजाब कांग्रेस के भीतर पैदा हुए हालात की वजह से वो मंत्री बनी रहेंगी। सरकार उनका इस्तीफा नामंजूर करेगी, ताकि वो अपने मंत्रालय का कामकाज देखते रहें। CM चरणजीत चन्नी ने उनके इस्तीफे पर अभी काेई फैसला नहीं लिया है।

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