सिद्धू खेमे के विरोध से कटा ब्रह्म महिंद्रा का पत्ता: सबसे ज्यादा सीटों वाले मालवा के अधिकतर कांग्रेसी MLA कैप्टन के करीबी, इसलिए माझा को दिए 2 डिप्टी CM; कैबिनेट मंत्रियों से हो सकती है पूर्ति

लुधियानाकुछ ही क्षण पहले

  • कॉपी लिंक

पंजाब में पहले दलित मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने सोमवार को दो उपमुख्यमंत्रियों सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी के साथ शपथ ली। पहले रंधावा के साथ ब्रह्म महिंद्रा का नाम डिप्टी CM के लिए सामने आया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ब्रह्म महिंद्रा का पत्ता भी नवजोत सिद्धू खेमे के विरोध के कारण कटा। पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि सिद्धू खेमा अब भी कैप्टन अमरिंदर सिंह के किसी भी करीबी को चन्नी सरकार में जगह न देने पर अड़ा हुआ है।

यह भी पहली बार है कि माझा रीजन को इतने बड़े स्तर पर जिम्मेदारी दी गई है। सुखजिंदर सिंह रंधावा डेरा बाबा नानक से विधायक हैं और ओपी सोनी अमृतसर सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। 57 साल पहले माझा से प्रताप सिंह कैरों मुख्यमंत्री बने थे, इसके बाद माझा रीजन को इतने बड़े स्तर पर पंजाब में नेतृत्व का मौका नहीं मिला था।

पंजाब में सीटों का गणित
पंजाब विधानसभा की कुल 117 सीटों में से 69 सीटें मालवा में हैं। माझा में कुल 25 और दोआबा में 23 विधानसभा सीटें हैं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने मालवा क्षेत्र से 40, माझा से 22 और दोआबा से 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

कैबिनेट मंत्री बनाकर हो सकती है पूर्ति
पंजाब के राजनीति में यह बात काफी महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस ने मालवा क्षेत्र से मुख्यमंत्री के बाद दो डिप्टी CM माझा रीजन से बनाए हैं। मालवा के ज्यादातर नेता कैप्टन अमरिंदर के नजदीकी रहे हैं। यही सबसे बड़ा कारण है कि सिद्धू खेमा उन्हें दरकिनार कर रहा है। माझा और दोआबा से डेढ़ गुणा सीटें मालवा की हैं। कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें देने वाले मालवा रीजन की अनदेखी भी नहीं हो सकती। ऐसे में कांग्रेस यहां से कैबिनेट मंत्री बनाकर इसकी पूर्ति कर सकती है। देखने वाली बात यह है कि इन मंत्रियों की संख्या कितनी होगी।

ब्रह्म महिंद्रा के साथ आशु का भी आया था नाम
रविवार को चले सियासी ड्रामे के बाद देर शाम चरणजीत सिंह चन्नी का नाम मुख्यमंत्री के लिए तय हुआ। इसके बाद सुखजिंदर रंधावा और ब्रह्म महिंद्रा के उपमुख्यमंत्री बनने पर सहमती बनी। हालांकि डिप्टी CM के लिए कैबनिट मंत्री रहे भारत भूषण आशू का नाम भी चर्चा में आया। उनके घर तो ढोल भी बजे और बधाइयां भी मिलीं। लेकिन कुछ ही देर में उनका नाम कट गया।

कैप्टन के नजदीक रहे सोनी, अब दूरियां
अमृतसर के बिलोवाल में जगत मित्र सोनी के घर 3 जुलाई 1957 को ओमप्रकाश सोनी का जन्म हुआ था। पार्षद बनने के बाद 1991 में अमृतसर के मेयर चुने गए। 1997 में सोनी पहली बार अमृतसर सेंट्रल से विधायक बने। अब वह 5वी बार विधायक चयनित हुए हैं। सोनी पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेहद करीबी माने जाते रहे। नवजोत सिंह सिद्धू के अध्यक्ष बनने के बाद वह उनके करीब आ गए और कैप्टन विरोधी खेमे में शामिल हुए। सिद्धू के विरोध के कारण ही ब्रह्म महिंद्रा का पत्ता कटा और ओपी सोनी पंजाब के उपमुख्यमंत्री बने।

खबरें और भी हैं…

.