संदिग्ध चांदीपुरा वायरस से 4 और बच्चों की मौत: मौतों की संख्या 19 पर पहुंची, अब तक 31 मामले दर्ज; 5 बच्चों का इलाज चल रहा – Gujarat News

ग्रामीण इलाकों तक सीमित रहने वाले वायरस का असर इस बार बड़े शहरों में भी देखा जा रहा है।

गुजरात में चांदीपुरा वायरस से संक्रमित मरीजों के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। आज राजकोट में 3 और पंचमहल जिले में 1 बच्चे की मौत हो गई। इससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 19 हो गई है। राज्य में अभी तक चांदीपुरा वायरस के 31 संदिग्ध केस सामने आए है, ज

.

राजकोट जिले में अब तक 5 बच्चों की मौत

घरों में दवा का छिड़काव करते स्वास्थ्य कर्मी।

राजकोट जिले में ही अब तक 5 संदिग्ध मरीजों की मौत हो चुकी है। इसमे मोरबी के राशि प्रदीप सहरिया को 12 जुलाई को राजकोट सिविल में भर्ती कराया गया था, जिसकी 14 जुलाई को मौत हो गई। पडधारी के हड़मतिया के 2 वर्षीय प्रदीप गोविंदभाई राठौड़ को 9 जुलाई को भर्ती कराया गया था और 15 जुलाई को उसकी मौत हो गई।

जेतपुर के हुमाया गांव के 8 वर्षीय कालू चंपूलाल को 15 जुलाई को भर्ती कराया गया था और उसी दिन उसकी मौत हो गई थी। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के 13 वर्षीय सुजाकुमार धनकन को 16 जुलाई को भर्ती कराया गया था और उसी दिन मौत हो गई थी। जबकि 3 वर्षीय रितिक राजाराम मुखिया को 14 जुलाई को भर्ती कराया गया था और 17 जुलाई को उसने दम तोड़ दिया।

वायरस से हुई थी 6 जुलाई को हुई बच्ची की मौत

स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा- अब तक 44,000 से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है।

स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा- अब तक 44,000 से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है।

बीती 6 जुलाई को पंचमहाल के घोघंबा के लालपुरी गांव में 4 साल की बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। बच्ची की रिपोर्ट कल आई, जिसमें उसके चांदीपुरा वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट आने के बाद डीडीओ समेत जिला स्वास्थ्य टीम और स्वास्थ्य कर्मी कोटड़ा गांव पहुंची। सभी घरों में आवश्यक दवा का छिड़काव किया गया है।

हिम्मतनगर में संदिग्ध वायरस से 6 मौत
इस संदर्भ में हिम्मतनगर सिविल अस्पताल के असिस्टेंट आरएमओ डॉ विपुल जानी ने टेलिफोनिक बातचीत में बताया कि हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में 27 जून से अभी तक रास्थान, अरवल्ली और साबरकांठा जिले से संदिग्ध चांदीपुरा वायरस के 8 बच्चों के केस आए थे, जिसमें से 6 बच्चों की मौत हो गई है।

दो बच्चों का इलाज चल रहा है और उनके स्वस्थ होने की जानकारी मिली है। राज्यभर में अभी तक चांदीपुरा वायरस के 13 संदिग्ध केस सामने आए है, जिसमें से 5 मरीजों का इलाज चल रहा है।

चांदीपुरा वायरस क्या है?

घरों में दवा का छिड़काव करते स्वास्थ्य कर्मी।

घरों में दवा का छिड़काव करते स्वास्थ्य कर्मी।

इस वायरस का पहला मामला 1965 में महाराष्ट्र के नागपुर जिले के चांदीपुर में सामने आया था। इस वायरस से महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाके प्रभावित हुए थे। वायरस से रोगी मस्तिष्क ज्वर (एन्सेफलाइटिस) का शिकार हो जाता है। वायरस मच्छरों और मक्खियों के काटने से फैलता है।

वायरस किसे संक्रमित कर सकता है?
चांदीपुरा वायरस खासतौर पर बच्चों को अपना शिकार बनाता है। यह मुख्य रूप से 9 महीने से 14 साल के बच्चों को प्रभावित करता है। संक्रमण तब फैलता है, जब वायरस मक्खी या मच्छर के काटने पर उनके लार के जरिए रक्त तक पहुंच जाता है। इससे बच्चों के तेज बुखार और सिरदर्द होता है। गुजरात में हर साल इस वायरस के मामले सामने आते हैं।

2010 में भी 29 मामले सामने आए थे

घर-घर जाकर बीमार लोगों की जानकारी जुटाते हुए स्वास्थ्य कर्मी।

घर-घर जाकर बीमार लोगों की जानकारी जुटाते हुए स्वास्थ्य कर्मी।

1952 में स्थापित पुणे में रॉकफेलर फाउंडेशन के वायरस रिसर्च सेंटर के पीएन कहते हैं- चांदीपुरा वायरस 2004 से गुजरात में कहर बरपा रहा है। भट्ट और एफ.एम. 1966 में रोड्रिग्ज नामक वैज्ञानिक ने चांदीपुरा वायरस को चिन्हित किया था। गुजरात में साल 2010 में भी चांदीपुरा वायरस के 29 मामले सामने आए थे, जिसमें 17 बच्चे संक्रमित हुए थे। उस दौरान इससे 5 साल की एक बच्ची की मौत हो गई थी। साल 2010 में भी यह वायरस का असर मध्य गुजरात के खेड़ा, वडोदरा और पंचमहल में देखा गया था।