क्या पाठ्यचर्या में ‘सत्य’ नहीं होना चाहिए? और किसका सच? हाल के विलोपन और परिवर्धन ‘विरासत’ के लिए एक चिंता में लिपटे हुए हैं, लेकिन धर्म से परे-जाति और लिंग-विरोध के अन्य क्षेत्रों पर भी गहरी बेचैनी में रंगे हुए हैं।
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क्या पाठ्यचर्या में ‘सत्य’ नहीं होना चाहिए? और किसका सच? हाल के विलोपन और परिवर्धन ‘विरासत’ के लिए एक चिंता में लिपटे हुए हैं, लेकिन धर्म से परे-जाति और लिंग-विरोध के अन्य क्षेत्रों पर भी गहरी बेचैनी में रंगे हुए हैं।
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