शहीद के पिता बोले-बहू ने कीर्ति चक्र छूने नहीं दिया: मैंने उसे बेटी की तरह माना, छोटे बेटे से शादी की बात की…लेकिन उसे पैसा चाहिए था – Lucknow News

देवरिया के शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता और बहू का विवाद सुर्खियों में हैं। पिता रवि प्रताप सिंह ने दैनिक भास्कर से कहा- बहू ने बेटे को मिला कीर्ति चक्र छूने तक नहीं दिया। 3-4 दिन तक साथ रही, लेकिन बात नहीं की। कीर्ति चक्र मिलने की कोई निशानी

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बहू स्मृति ने बेटे का एड्रेस बदलवाकर मेरी पहचान छीनने की कोशिश की। उसे बेटे से जुड़ी यादों से कोई मतलब नहीं। मैंने तो उसे बेटी माना था। छोटे बेटे से उसकी शादी के लिए तैयार था, लेकिन सोचा नहीं था, ऐसा करेगी। उसने हम लोगों को छोड़ दिया। उसे सिर्फ पैसा चाहिए था।

5 जुलाई को अंशुमान सिंह को कीर्ति चक्र मिला। 3 दिन बाद माता-पिता ने राहुल गांधी से रायबरेली में मुलाकात की। फिर विवाद सामने आया। इस मामले में भास्कर ने अंशुमान के पिता रवि प्रताप, मां मंजू और पत्नी स्मृति से बात की। चलिए, पढ़ते हैं…

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति और मां मंजू ने राष्ट्रपति से कीर्ति चक्र लिया था।

सबसे पहले पिता रवि प्रताप सिंह से बातचीत…

सवाल- कीर्ति चक्र अभी किसके पास है?
जवाब: सम्मान समारोह में पत्नी-बहू साथ थीं, लेकिन बहू ने उनसे बात तक नहीं की। पत्नी ने सिर्फ प्रेसिडेंट के सामने मेडल को हाथ लगाया। मैं तो मेडल को छू भी नहीं पाया। प्रेसिडेंट हाउस के बाहर फोटो के वक्त मेडल को देखा था। 3-4 दिन तक साथ रही, लेकिन उसने बात नहीं की। अभी कीर्ति चक्र बहू के पास है।

मेडल मिलने के अगले दिन 6 जुलाई को मानिक शाह सेंटर में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने सम्मान के लिए बुलाया था। हम लोग वहां गए। बहू भी अपने माता-पिता के साथ पहुंची। उस दौरान भी हम लोगों से बात नहीं की। हम लोग रक्षा मंत्री से मिलने चले गए। लौटकर आया तो बहू और उसकी मां अशोका होटल से जा चुकी थीं।

सवाल- आपकी बहू से कब से बात नहीं हुई?
जवाब- देखिए, बहू से हम लोगों की बात नहीं होती है। वह घर छोड़ चुकी है। उसने बिना बताए बेटे का परमानेंट एड्रेस बदलवा लिया, ताकि आर्मी से जुड़ी सारी चीजें उसके पास पहुंचे। ये बात मुझे प्रेसिडेंट हाउस में पता चली। मैंने रिकॉर्ड ऑफिसर से बात की। उसने कहा कि आपने तो हमारी पहचान ही छीन ली।

सरकार से गुजारिश है कि मुझे मेरी पहचान से वंचित न किया जाए। बहुएं हैं छोड़कर भाग जाती हैं। इसलिए शहीद के ‘निकटतम परिजन’ की परिभाषा बदलनी चाहिए। नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए।

सवाल- आपने बहू स्मृति से बात करने की कोशिश की?
जवाब- हमने कई बार कोशिश की। कीर्ति चक्र मिलने से पहले रिहर्सल होता है। उस दिन 10 बजे प्रेसिडेंट हाउस में पत्नी जा रही थी। तब मेरी बेटी ने बहू से कहा कि हमें तो बातचीत करनी चाहिए। उसने जवाब में कहा- डोंट वांट टू यानी मुझे जरूरत नहीं।

सवाल- आपकी बहू कहां रहती हैं और क्या करती हैं?
जवाब: शादी के वक्त बहू ICICI लोंबॉर्ड में जॉब करती थी। अब शायद छोड़ दिया। बहू अभी माता-पिता के साथ पंजाब के गुरदासपुर में है। फरवरी के बाद हमसे कोई बात नहीं की। सम्मान के लिए आर्मी ने ही हमारी बातचीत कराई थी।

कैप्टन के लखनऊ वाले घर की दीवार पर उनकी तस्वीर लगी है।

कैप्टन के लखनऊ वाले घर की दीवार पर उनकी तस्वीर लगी है।

सवाल- आपके आरोपों पर स्मृति ने कहा-जिसकी जैसी सोच, वो वैसा ही कहेगा, क्या कहेंगे?
जवाब: देखिए, मेरे पास सबूत है। बेटे के शहीद होने के 3 महीने बाद लेह के आर्मी मेडिकल यूनिट से कॉल आई। कहा कि आपके बेटे का पर्सनल सामान है। आपकी बहू के पास कॉल की थी, लेकिन उनका रिस्पॉन्स नहीं आया, फिर हम लोगों ने बेटे का सामान मंगवाया। बेटे के सामान से बहू को कोई मतलब नहीं था। उसे सिर्फ मेडल, पैसों और कागजातों से मतलब है।

सवाल- आप मेडल क्यों चाहते हैं?
जवाब: देखिए, मेरे बेटे की लखनऊ में प्रतिमा लग रही है। हम लोगों ने बहू से अनुरोध किया था कि कीर्ति चक्र मुझे दे दो। जिससे उद्घाटन वाले दिन अंशुमान के सीने पर सुशोभित हो सके, इसके बाद वापस कर देंगे। उसने कोई जवाब नहीं दिया। दिल्ली में भी वह हमसे पहले ही होटल से निकल गई। फोन भी नहीं उठाया और न पलटकर कॉल की।

सवाल- सरकार से आपको कितनी मदद मिली?
जवाब: राज्य सरकार से 50 लाख की सहायता मिली थी। बहू को 50 लाख में से 35 लाख मिला। आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस का पैसा मिला था। उसे भी बहू ने लिया था। 50 लाख के अलावा कोई पैसा मुझे भारत सरकार या राज्य सरकार से नहीं मिला।

सवाल- राहुल गांधी से कैसे मुलाकात हुई?
जवाब: राष्ट्रपति भवन में सम्मान समारोह चल रहा था। उस समय मेरी पत्नी के आंसू निकल रहे थे, तभी राहुल गांधी ने वहां से निकलते वक्त इनको ढांढस बंधाया। कहा- हम आपसे बात करेंगे। फिर उन्होंने पत्नी का नंबर लिया। कुछ दिन बाद उनके ऑफिस से फोन आया, आप दिल्ली कब आ सकते हैं।

हमने कहा- हम लखनऊ आ गए हैं। कुछ देर बाद फिर कॉल आई कि 2 दिन बाद राहुल गांधी रायबरेली आ रहे हैं, अगर आपको कोई दिक्कत न हो तो मिल सकते हैं। हमने रायबरेली जाकर राहुल से मुलाकात की। उनसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने मदद का भरोसा दिलाया है।

अब मां मंजू सिंह और पत्नी स्मृति से बातचीत…

मां ने कहा- सम्मान बहू लेकर चली गई, हमसे सिर्फ हाथ लगवाया
अंशुमान की मां मंजू देवी ने कहा- बेटे को बहुत बड़ा सम्मान मिला है। यह गर्व की बात है। इसको तो शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं, लेकिन सम्मान बहू लेकर चली गई। हमें तो बस वहां हाथ लगवाया गया। बेटे की फोटो पर कीर्ति चक्र लगा सकूं, हम इस लायक भी नहीं।

सब कुछ बहू को दे दिया गया। हमने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी से आग्रह किया कि सेना में शहीद होने वाले युवाओं के परिवार में बहू के अलावा माता-पिता का भी ख्याल रखना चाहिए। मेरे पास बेटे की फोटो के अलावा कुछ भी नहीं। यहां तक कि कीर्ति चक्र का बैज भी हमें उसकी (अंशुमान) फोटो पर लगाने के लिए नहीं मिला।

स्मृति बोलीं- जिसकी जैसी सोच, वो वैसा ही कहेगा
हमने स्मृति का पक्ष जानने के लिए उन्हें कॉल किया। कैप्टन अंशुमान के माता-पिता के आरोपों पर स्मृति ने कहा- मुझे अभी कोई जानकारी नहीं है। जिसकी जैसी सोच है, वो वैसा ही कहेगा। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। अभी मैं बाहर आई हूं। पहले वीडियो भेज दीजिए। फिर कॉल करेंगे। पत्नी स्मृति पेशे से इंजीनियर हैं और उनके माता-पिता स्कूल के प्रधानाचार्य हैं।

अंशुमान सिंह और सृष्टि सिंह की शादी के बाद रिसेप्शन पार्टी रखी गई थी। ये तस्वीर उसी दिन की है।

अंशुमान सिंह और सृष्टि सिंह की शादी के बाद रिसेप्शन पार्टी रखी गई थी। ये तस्वीर उसी दिन की है।

स्मृति के पिता ने कुछ भी बोलने से किया इनकार
हमारी टीम पंजाब के दीनानगर स्थित स्मृति के घर पहुंची। वहां उनके पिता राजेश सैनी मिले। स्मृति के सास-ससुर के आरोपों पर राजेश सैनी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा- अभी स्मृति कहीं बाहर गई हुई हैं। स्मृति को इस पूरे मामले में कुछ कहना होगा तो वही अपना पक्ष देंगी।

हमारे परिवार के बाकी किसी मेंबर को स्मृति के सास-ससुर के आरोपों पर कुछ भी नहीं कहना। राजेश सैनी ने यह भी कहा कि स्मृति के सास-ससुर ने जो आरोप लगाए हैं, हमारे परिवार को मीडिया से ही उसके बारे में पता चला है।

फरवरी 2023 में अंशुमान-स्मृति की शादी हुई थी। 5 महीने बाद अंशुमान शहीद हो गए।

फरवरी 2023 में अंशुमान-स्मृति की शादी हुई थी। 5 महीने बाद अंशुमान शहीद हो गए।

जानते हैं कीर्ति चक्र से नवाजे गए शहीद के बारे में
देवरिया के लार विकास खंड के बरडीहा दलपत गांव के रहने वाले कैप्टन अंशुमान सिंह 19 जुलाई, 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हो गए थे। वहां भारतीय सेना के टेंट में आग लग गई थी। कई जवान आग में फंस गए। अपनों को आग से घिरा देख रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह खुद को नहीं रोक सके। साथियों को बचाने की कोशिश में कैप्टन अंशुमान शहीद हो गए।

कैप्टन अंशुमान का लखनऊ में मोहान रोड स्थित पारा कॉलोनी में घर है। यहां कैप्टन का परिवार 2022 में शिफ्ट हुआ था। इसी घर में उनकी और स्मृति की शादी हुई थी। परिवार में पिता रवि, मां मंजू सिंह के अलावा भाई घनश्याम सिंह और बहन तान्या सिंह हैं। बहन-भाई दोनों ही नोएडा में डॉक्टर हैं।

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