वन नेशन वन इलेक्शन का खाका तैयार: सभी दल सहमत तो 2029 से लागू, 2026 तक 25 राज्यों में चुनाव कराने होंगे

नई दिल्ली21 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार कर रही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी के पास इसका खाका तैयार है। विधि आयोग के इस प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से लागू होगा।

लेकिन, इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे। मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम इसमें शामिल नहीं हैं, क्योंकि इन राज्यों में इसी महीने चुनावी नतीजे आए हैं।

इसलिए इनकी विधानसभाओं का कार्यकाल 6 महीने बढ़ाकर जून 2029 तक किया जाएगा। उसके बाद सभी राज्यों में एक साथ विधानसभा-लोकसभा होंगे। ‘एक देश-एक चुनाव’ का सिद्धांत लागू करने के लिए कई राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल घटेगा।

5 राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल सबसे ज्यादा घटेगा
2029 में लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ हों, इसके लिए 2026 तक 25 राज्यों में चुनाव होंगे। विधानसभाओं का मौजूदा कार्यकाल घटेगा और बाद का भी घटाना होगा।

वन नेशन वन इलेक्शन लागू करने के तीन स्टेज…

एक देश-एक चुनाव' का सिद्धांत लागू करने के लिए कई राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल घटेगा।

एक देश-एक चुनाव’ का सिद्धांत लागू करने के लिए कई राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल घटेगा।

पहला चरणः 8 राज्य, वोटिंग जून 2024 में
आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किमः इनका कार्यकाल जून 2024 में ही पूरा हो रहा है। हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्लीः इनके कार्यकाल में 5-8 महीने कटौती करनी होगी। फिर जून 2029 तक इन राज्यों में विधानसभाएं पूरे 5 साल चलेंगी।

दूसरा चरणः 6 राज्य, वोटिंगः नवंबर 2025 में
बिहारः मौजूदा कार्यकाल पूरा होगा। बाद का साढ़े तीन साल ही रहेगा। असम, केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल और पुद्दुचेरीः मौजूदा कार्यकाल 3 साल 7 महीने घटेगा। उसके बाद का कार्यकाल भी साढ़े 3 साल होगा।

तीसरा चरणः 11 राज्य, वोटिंगः दिसंबर 2026 में
उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब व उत्तराखंडः मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा। उसके बाद सवा दो साल रहेगा। गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुराः मौजूदा कार्यकाल 13 से 17 माह घटेगा। बाद का सवा दो साल रहेगा।

इन तीन चरणों के बाद सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त होगा। सूत्रों के अनुसार, कोविंद कमेटी विधि आयोग से एक और प्रस्ताव मांगेगी, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनावों को भी शामिल करने की बात कही जाएगी।

23 सितंबर को हुई थी वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई थी। कमेटी अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत बाकी सदस्य शामिल हुए। पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में 2 सितंबर को बनी इस कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

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