राहुल का वायनाड को पत्र, लिखा-आप मेरे परिवार का हिस्सा: मैं अजनबी था, फिर भी मुझ पर विश्वास किया; आपसे दूर होते हुए उदास हूं

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नई दिल्ली3 घंटे पहले

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इस पत्र में उन्होंने वायनाड सीट छोड़ने के पीछे की अपनी तकलीफ और वहां के लोगों से मिले प्यार के बारे में लिखा है। (तस्वीर वायनाड में राहुल के चुनाव प्रचार की है)

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केरल में अपनी लोकसभा सीट वायनाड के नाम पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने वायनाड सीट छोड़ने के पीछे की अपनी तकलीफ और वहां के लोगों से मिले प्यार के बारे में लिखा है। उन्होंने कहा कि मैं पांच साल पहले आपसे मिला था। मैं आपके पास आपके समर्थन की उम्मीद लेकर आया था। तब मैं आपके लिए एक अजनबी था, फिर भी आपने मुझ पर विश्वास किया।

राहुल ने आगे लिखा कि जब मैं रोजाना अपमान सह रहा था, तब आपके बिना शर्त प्यार ने मेरी रक्षा की। आप मेरे लिए शरण, घर और परिवार बने। इसलिए आपसे अलग होने का फैसला मीडिया को सुनाते वक्त आपने मेरी आंखों में उदासी देखी होगी।

दरअसल, राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली- दो लोकसभा सीटों से जीते हैं, लेकिन कानून के मुताबिक उन्हें एक सीट खाली करनी होगी। राहुल रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे और वायनाड लोकसभा सीट खाली करेंगे। वायनाड सीट से राहुल की बहन और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से चुनाव लड़ेंगी।

राहुल गांधी का पत्र…

राहुल में पत्र में क्या लिखा, विस्तार से पढ़िए…

प्रिय वायनाड के बहनों और भाइयों,

मुझे उम्मीद है कि आप अच्छे होंगे। आपने मीडिया के सामने खड़े होकर मेरे फैसले के बारे में बताते हुए मेरी आंखों में उदासी जरूर देखी होगी।

तो मैं दुखी क्यों हूं?

मैं आपसे पांच साल पहले मिला था। पहली बार जब मैं आपके पास आया, तो आपका समर्थन पाने की उम्मीद लेकर आया था। मैं आपके लिए अजनबी था, फिर भी आपने मुझ पर विश्वास किया। आपने मुझे बेइंतेहा प्यार और स्नेह से गले लगाया। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा कि आपने कौन सी राजनीतिक विचारधारा का समर्थन किया, आप किस समुदाय से थे या आप किस धर्म को मानते थे या आप कौन सी भाषा बोलते थे।

जब मैं रोजाना अपमान सह रहा था, तब आपके बिना शर्त प्यार ने मेरी रक्षा की। आप मेरे लिए शरण, घर और परिवार बने। मुझे एक पल के लिए भी नहीं लगा कि आपने मुझ पर संदेह किया।

मैंने बाढ़ के दौरान जो देखा उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। परिवार दर परिवार ने सब कुछ खो दिया था। जीवन, संपत्ति, दोस्त सब कुछ खो गया, लेकिन फिर भी आप में से एक भी, यहां तक कि सबसे छोटे बच्चे ने भी अपनी गरिमा नहीं खोई।

मैं उन अनगिनत फूलों को याद रखूंगा , आपने मुझे जो अनगिनत बार गले लगाया मैं उसे याद रखूंगा। आपके दिए हुए फूल और आपका मुझे गले लगाना सच्चे प्यार और कोमलता से भरा था। और हजारों लोगों के सामने मेरे भाषणों का अनुवाद करने वाली लड़कियों का साहस, सौंदर्य और आत्मविश्वास मैं कैसे भूल सकता हूं।

संसद में आपकी आवाज बनना वास्तव में खुशी और सम्मान की बात थी।

मैं दुखी हूं, लेकिन मुझे यह सोचकर सांत्वना मिलती है कि मेरी बहन प्रियंका आपकी प्रतिनिधि बनने के लिए वहां होंगी। मुझे विश्वास है कि अगर आप उन्हें मौका देते हैं तो वह आपकी सांसद बनकर शानदार काम करेंगी।

मुझे यह सोचकर भी सांत्वना मिलती है कि रायबरेली के लोगों में मेरा एक प्यारा परिवार है और एक बंधन है जिसे मैं गहराई से संजोता हूं। मेरा प्रमुख संकल्प आप और रायबरेली दोनों के लोगों के प्रति है कि हम देश में फैल रही नफरत और हिंसा को हराएंगे।

मुझे नहीं पता कि मैं आपको कैसे धन्यवाद दूं कि आपने मेरे लिए क्या किया। जब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी तब आपने मुझे जो प्यार और सुरक्षा दी, उसके लिए धन्यवाद। आप मेरे परिवार का हिस्सा हैं और मैं हमेशा आप में से प्रत्येक के लिए वहां रहूंगा।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

3 अप्रैल 2014 को वायनाड में नामांकन दाखिल करने से पहले राहुल ने रोड शो किया था। प्रियंका भी उनके साथ थीं। तस्वीर उसी दिन की है।

3 अप्रैल 2014 को वायनाड में नामांकन दाखिल करने से पहले राहुल ने रोड शो किया था। प्रियंका भी उनके साथ थीं। तस्वीर उसी दिन की है।

17 जून को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया था ऐलान
कांग्रेस की 17 जून को हुई बैठक में तय किया गया था कि राहुल गांधी वायनाड सीट छोड़ेंगे और रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। उनकी जगह वायनाड से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की घोषणा की गई।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने कहा था- वायनाड और रायबरेली से मेरा भावनात्मक रिश्ता है। मैं पिछले 5 साल से वायनाड से सांसद था। मैं लोगों को उनके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं। प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड से चुनाव लड़ेंगी, लेकिन मैं समय-समय पर वायनाड का दौरा भी करूंगा। मेरा रायबरेली से पुराना रिश्ता है, मुझे खुशी है कि मुझे फिर से उनका प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा, लेकिन यह एक कठिन निर्णय था।

3 वजह, क्यों राहुल ने रायबरेली नहीं छोड़ी

1- सोनिया की अपील, जनता ने रिकॉर्ड वोटों से जिताया
17 मई को सोनिया गांधी इस लोकसभा चुनाव की पहली रैली में रायबरेली पहुंची थीं। उन्होंने मंच से कहा- ‘मैं आपको बेटा सौंप रही हूं। जैसे मुझे माना, वैसे ही मानकर रखना। राहुल आपको निराश नहीं करेंगे। राहुल ने 3.90 लाख वोटों से जीत दर्ज की, जबकि 2019 में सोनिया गांधी ने 1.67 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।

2- कांग्रेस को केंद्र में आना है तो UP में मजबूत पैठ जरूरी
कांग्रेस को UP में इस बार 9.4 फीसदी वोट मिले। यह कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह है। 2019 में 6.36% वोट शेयर और एक सीट ही मिली थी। 2022 UP विधानसभा चुनाव में 2.33% वोट और दो सीटें मिली थीं।

3- दक्षिण के बाद हिंदी पट्‌टी को मजबूत करना चाहते हैं
राहुल ने 2019 में पहली बार अमेठी के साथ वायनाड से चुनाव लड़ा पर अमेठी हार गए। वायनाड से जीतकर संसद पहुंचे। राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत भी कन्याकुमारी से की थी, इसके बाद कांग्रेस लगातार दक्षिण में मजबूत हुई। खासकर केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में। कर्नाटक में कांग्रेस ने सरकार भी बना ली।

इस चुनाव में केरल में कांग्रेस को 20 में से 14 सीटें, तमिलनाडु में 9 और कर्नाटक में 9 सीटें मिलीं। अब राहुल गांधी नॉर्थ इंडिया खासकर हिंदी पट्‌टी को मजबूत करने पर फोकस करना चाहते हैं। यही वजह है कि दूसरी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने जो रूट चुना उसमें ज्यादातर समय इसी इलाके को दिया। यूपी के बाद कांग्रेस का राजस्थान में भी अच्छा प्रदर्शन रहा।

अब कांग्रेस यूपी में अपनी एक्टिविटी और बढ़ा सकती है। अमेठी में किशोरी लाल के साथ 4 अन्य सीट जीतने पर कांग्रेस का कॉन्फिडेंस भी काफी बढ़ा है। वहीं राहुल को यह भी पता है कि अगर वे यूपी छोड़ देंगे, तो अखिलेश का उन्हें हमेशा सहारा लेना पड़ेगा और कांग्रेस कभी अपने दम पर यूपी में खड़ी नहीं हो पाएगी।

कोई व्यक्ति एक साथ दो सदनों का सदस्य नहीं हो सकता
संविधान के तहत कोई व्यक्ति एक साथ संसद के दोनों सदनों या संसद और राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता। न ही एक सदन में एक से ज्यादा सीटों का प्रतिनिधित्व कर सकता है। संविधान के अनुच्छेद 101 (1) में जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 68 (1) के तहत अगर कोई जनप्रतिनिधि 2 सीटों से चुनाव जीतता है, तो उसे रिजल्ट घोषित होने के 14 दिन के भीतर एक सीट छोड़नी होती है। अगर एक सीट नहीं छोड़ता है, तो उसकी दोनों सीटें रिक्त हो जाती हैं।

लोकसभा सीट छोड़ने के यह हैं नियम…

• अगर कोई सदस्य लोकसभा या किसी सीट से इस्तीफा देना चाहता है तो उसे सदन के स्पीकर को इस्तीफा भेजना होता है।

• नई संसद के गठन में अगर स्पीकर या डिप्टी स्पीकर नहीं है तो ऐसी स्थिति में प्रत्याशी इलेक्शन कमीशन को त्यागपत्र सौंपता है।

• इसके बाद इलेक्शन कमीशन रेजिग्नेशन लेटर की एक कॉपी सदन के सचिव को भेज देता है।

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