एक घंटा पहले
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योगगुरु बाबा रामदेव के कोरोना महामारी के दौरान एलैपैथिक दवाओं पर दिए बयान से जुड़े मामले पर 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने मामले में केंद्र, बिहार और छत्तीसगढ़ सरकार से जवाब मांगा। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को भी नोटिस जारी कर चार हफ्तों के भीतर उनसे जवाब मांगा है।
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने बाबा रामदेव की एक याचिका पर सुनवाई की।
आज कोर्ट में क्या-क्या हुआ…
रामदेव के वकील सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे- रामदेव ने साल 2021 में कहा था कि वे एलोपैथी दवाओं पर भरोसा नहीं करते हैं। इसके बाद कुछ डॉक्टर्स ने उनके बयान पर आपत्ति जताई थी और रामदेव के खिलाफ कई केस दर्ज कराए।
SC- क्या आप चाहते हैं कि हम FIR रद्द कर दें या सभी FIR को एक साथ जोड़ दें? आप दोनों एक साथ नहीं चाह सकते। यदि आप FIR रद्द कराना चाहते हैं, तो इसका उपाय अलग मंच पर है।
एडवोकेट सिद्धार्थ दवे- ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें अगर किसी बयान को लेकर आपराधिक कार्रवाई शुरू की जाती है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जा सकती है, जिसमें FIR को क्लब करने का आग्रह किया जा सकता है।
एडवोकेट सिद्धार्थ दवे- एक बयान को लेकर अलग-अलग राज्यों में लोगों ने इससे बुरा माना है। एक FIR पटना में है, दूसरी छत्तीसगढ़ में है। कई जगहों पर डॉक्टरों और एसोसिएशनों ने शिकायतें की हैं। इसके लिए अलग-अलग हाईकोर्ट्स से संपर्क करना मुश्किल होगा। रामदेव का कमेंट क्रिमिनल ऑफेंस नहीं है, उन्होंने अगले ही दिन अपने बयान के लिए माफी मांग ली थी।
IMA के वकील पीएस पटवालिया- दिल्ली में कोई मामला लंबित नहीं है, लेकिन रामदेव ने पटना और रायपुर में दर्ज FIR को एक साथ जोड़ने और उन्हें नई दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है। महामारी के दौरान रामदेव कोरोनिल नामक दवा लेकर आए और दावा किया कि यह COVID-19 को ठीक कर सकती है।
एडवोकेट सिद्धार्थ दवे- IMA इस मामले में बिना किसी ऑफिशियल नोटिस के पेश हो रहा है। किसी भी राज्य ने इस मामले में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है।
कोर्ट- केंद्र, बिहार, छत्तीसगढ़ और IMA समेत मामले से जुड़े सभी पक्ष अपना जवाब दाखिल करें।
अब रामदेव का बयान पढ़ लीजिए, जिस पर विवाद हुआ
योगगुरु बाबा रामदेव ने 22 मई 2021 को कहा था कि ‘एलोपैथी बकवास विज्ञान है’। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने उनके इस बयान पर नाराजगी जताई थी और रामदेव से बयान वापस लेने की मांग की थी।
23 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने रामदेव के बयान को गलत बताते हुए दो पन्नों की चिट्ठी लिखी। इसके 10 घंटे के अंदर बाबा रामदेव ने अपने ट्विटर एकाउंट (जो अब एक्स है) पर एक लेटर जारी कर बयान वापस ले लिया। शाम 6 बजे रामदेव ने अपने ट्विटर एकाउंट पर एक पन्ने की चिट्ठी जारी की। इसमें उन्होंने एक बार फिर एलोपैथ को निशाने पर लेते हुए IMA और फार्मा कंपनियों से 25 सवाल पूछे। बाबा ने सवाल किया कि हिंसक, क्रूर और हैवान को इंसान बनाने वाली एलोपैथी में कोई दवाई बताएं?
रामदेव ने कोरोनिल बेच कमाए 1 हजार करोड़: DMA
इस बीच, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) ने मामले में एक पक्ष बनने की अनुमति मांगी है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि रामदेव ने एलोपैथी का अपमान किया और लोगों को टीकों और उपचार प्रोटोकॉल की अवहेलना करने के लिए “उकसाया” है। DMA ने दावा किया है कि रामदेव की पतंजलि ने कोरोनिल किट बेचकर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक कमाए, जो कि उचित अथॉरिटी से अप्रूव्ड नहीं थी।