राघव चड्ढा सरकारी बंगले में ही रहेंगे: हाईकोर्ट से ट्रायल कोर्ट का आदेश खारिज, AAP नेता बोले- यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला

नई दिल्ली2 मिनट पहले

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कोर्ट के फैसले पर राघव चड्ढा ने कहा कि यह घर या दुकान के लिए नहीं बल्कि संविधान को बचाने की लड़ाई है, लेकिन आखिर में जीत सत्य और न्याय की हुई।

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को सरकाली बंगला खाली नहीं करना पड़ेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 अक्टूबर को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्यसभा सचिवालय की कार्रवाई पर अंतरिम रोक को हटा दिया गया था।

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अनुप जे भंभानी ने कहा- राज्यसभा सचिवालय के खिलाफ ट्रायल कोर्ट का वह आदेश बहाल रहेगा, जिसमें उसने सचिवालय को राघव से बंगला खाली न करवाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक कि ट्रायल कोर्ट अंतरिम राहत के लिए AAP नेता के आवेदन पर फैसला नहीं कर लेता।

राघव चड्ढा ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला था, जिसका उद्देश्य एक युवा, मुखर सांसद को चुप कराना था। विपक्षी आवाजों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।

AAP सांसद ने एक्स (जो पहले ट्विटर था) पर लिखा- यह घर या दुकान के लिए नहीं बल्कि संविधान को बचाने की लड़ाई है, लेकिन आखिर में जीत सत्य और न्याय की हुई।

अक्टूबर में ट्रायल कोर्ट ने आदेश वापस लिया था
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 6 अक्टूबर अपने उस अंतरिम आदेश को वापस ले लिया, जिसमें उसने राज्यसभा सचिवालय को राघव चड्ढा से बंगला खाली न करवाने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने कहा कि राघव चड्ढा को टाइप-7 बंगले में रहने का विशेषाधिकार दिया गया था। वे बंगले में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकते। राज्यसभा सचिवालय ने 3 मार्च को आप सांसद राघव चड्ढा के टाइप-7 बंगले का अलॉटमेंट रद्द करते हुए बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया था।

इसके खिलाफ राघव चड्ढा कोर्ट पहुंचे थे। आप सांसद ने कोर्ट में बताया था कि बतौर सांसद अभी उनका कार्यकाल चार साल से ज्यादा समय का बचा हुआ है। ऐसे में उन्हें बंगले में रहने का अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया।

कोर्ट के आदेश के बाद राघव चड्ढा ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा- राज्यसभा के 70 साल से ज्यादा समय के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक राज्यसभा सदस्य को उसके आवंटित आवास से हटाने की मांग की जा रही है। आप सांसद ने भाजपा पर उन्हें टारगेट करने का आरोप लगाया।

राघव ने ट्रायल कोर्ट को बताया था- अभी मेरे कार्यकाल में चार साल से ज्यादा समय का बचा है। ऐसे में उन्हें बंगले में रहने का अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया।

राघव ने ट्रायल कोर्ट को बताया था- अभी मेरे कार्यकाल में चार साल से ज्यादा समय का बचा है। ऐसे में उन्हें बंगले में रहने का अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया।

पिछले साल नवंबर में राघव चड्ढा टाइप-7 बंगले में शिफ्ट हुए थे
दरअसल, राघव चड्ढा को 6 जुलाई 2022 को दिल्ली के पंडारा पार्क स्थित टाइप-6 बंगला नंबर C-1/12 अलॉट किया गया था। आप सांसद ने 29 अगस्त 2022 को राज्यसभा चेयरमैन से टाइप-7 बंगला अलॉट करने का आग्रह किया था।

आप सांसद को 3 सितंबर 2022 को राज्यसभा कोटे से पंडारा रोड पर टाइप-7 बंगला नंबर AB-5 अलॉट किया गया। राघव चड्ढा 9 नवंबर 2022 को इस बंगले में शिफ्ट हुए थे।

राघव चड्ढा का आरोप है कि बिना किसी नोटिस के राज्यसभा सचिवालय ने उनके टाइप-7 बंगले का अलॉटमेंट रद्द कर दिया।

राघव चड्ढा का आरोप है कि बिना किसी नोटिस के राज्यसभा सचिवालय ने उनके टाइप-7 बंगले का अलॉटमेंट रद्द कर दिया।

राज्यसभा सचिवालय ने राघव चड्ढा को बंगले के लिए अपात्र बताया
राज्यसभा सचिवालय ने आप सांसद राघव चड्ढा को टाइप-7 बंगले के लिए अपात्र बताया था। सचिवालय ने कोर्ट को बताया कि पहली बार चुने गए सांसदों को टाइप-6 बंगला आवंटित किया जाता है।

टाइप-7 बंगले में रहने का अधिकार उन सांसदों को है, जो पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री या पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं। भाजपा सांसद राधा मोहन दास को भी टाइप-7 बंगले से टाइप-5 बंगले में भेजा गया था।

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