रक्षा मामलों की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट: कहा- शहीद अग्निवीरों के परिवारों को भी मिले नियमित सैनिक के शहीद होने पर मिलने वाले लाभ

नई दिल्ली45 मिनट पहले

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रक्षा मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने एक रिपोर्ट पेश की है। समिति ने रक्षा मंत्रालय से सिफारिश की है कि ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले अग्निवीरों के परिवारों को भी वही लाभ मिलना चाहिए जो नियमित सैन्य कर्मियों के शहीद होने पर उनके परिवारों को मिलता है।

समिति ने कहा है कि मौजूदा प्रावधानों के तहत ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले अग्निवीरों के परिवारों को पेंशन जैसे नियमित लाभ नहीं मिलता है। अग्निवीरों के परिवार की स्थिति को देखते हुए प्रावधान में बदलाव किए जाएं।

समिति ने कहा है कि ड्यूटी के दौरान मरने वाले सैनिकों के परिवारों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को प्रत्येक श्रेणी में 10 लाख रुपए तक बढ़ाई जाए।

रक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया है कि मुआवजे की राशि सैनिक किस स्थिति में शहीद हुआ है उसके आधार पर दी जाती है।

  • ऑन ड्यूटी दुर्घटना होने, आतंकवादियों, असामाजिक तत्वों द्वारा की गई हिंसा के कोई सैनिक शहीद होता है तो 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है।
  • सीमा पर होने वाली झड़पों, उग्रवादियों-कट्टरपंथियों से मुठभेड़, समुद्री डाकुओं आदि के खिलाफ कार्रवाई में शहीद होने पर 35 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है।
  • युद्ध में दौरान दुश्मन की कार्रवाई में किसी सैनिक की शहीदी होती है तो मुआवजे में 45 लाख रुपए की राशि दी जाती है।

मुआवजा राशि में 10 लाख रुपए का इजाफा हो
समिति ने रक्षा मंत्रालय से कहा है कि सरकार को सभी स्थितियों में सैनिक के शहीद होने पर मुआवजे की राशि 10 लाख रुपए तक बढ़ाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। किसी भी श्रेणी के तहत न्यूनतम मुआवजा राशि 35 लाख रुपए और अधिकतम मुआवजा राशि 55 लाख रुपए होनी चाहिए।

अग्निपथ योजना क्या है और इसे क्यों शुरू किया गया?

  • सरकार ने 2022 में अग्निपथ योजना लॉन्च की। इसके तहत आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में चार साल के लिए नौजवानों को कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती किया जाता है। चार साल में छह महीने की ट्रेनिंग भी शामिल है। चार साल बाद जवानों को उनकी कार्यक्षमता के आधार पर रेटिंग दी जाएगी। इसी मेरिट के आधार पर 25% अग्निवीरों को परमानेंट सर्विस में लिया जाएगा। बाकी लोग वापस सिविल दुनिया में आ जाएंगे।
  • इस स्कीम में ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की भर्ती होगी। यानी इनकी रैंक पर्सनल बिलो ऑफिसर रैंक यानी PBOR के तौर पर होगी। इन सैनिकों की रैंक सेना में अभी होने वाली कमीशंड ऑफिसर और नॉन-कमीशंड ऑफिसर की नियुक्ति से अलग होगी। साल में दो बार रैली के जरिए भर्ती की जाएगी। अग्निवीर बनने के लिए 17.5 साल से 21 साल का होना जरूरी है। साथ ही कम से कम 10वीं पास होना जरूरी है। 10वीं पास भर्ती होने वाले अग्निवीरों को 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद 12वीं के समकक्ष सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
  • वर्तमान में मेडिकल को छोड़कर हर कैडर में इस योजना के तहत भर्ती की जा रही है। इन्हें आर्मी, नेवी, वायुसेना कहीं भी तैनात किया जा सकता है। अग्निवीरों की सेवा कभी भी समाप्त की जा सकती है। चार साल के पहले सेवा नहीं छोड़ सकते, लेकिन विशेष मामलों में सक्षम अधिकारी की अनुमति से ऐसा संभव है।
  • सरकार का कहना है कि इस योजना से सिविल सोसाइटी के प्रतिभावान युवाओं को रोजगार मिलेगा और सेवारत सैनिकों की औसत आयु कम की जा सकेगी। सरकार का ये भी तर्क है कि नई पीढ़ी के आने से हमारी फोर्सेज तकनीकी रूप से समृद्ध होंगी और हमारे सुरक्षा बल आधुनिक होंगे। जब ये अग्निवीर चार साल बाद सेवा खत्म करके सामाजिक जीवन में जाएंगे तो समाज को एक डिसिप्लिन और स्किल्ड यूथ की फौज मिलेगी।
  • हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सरकार ने ये योजना साल दर साल बढ़ते डिफेंस पेंशन अमाउंट को कम करने के लिए लॉन्च की है। नई परमानेंट भर्तियों के चलते हर साल सरकार पर पेंशन का बोझ बढ़ता जा रहा था।

परमानेंट जवान और अग्निवीर को मिलने वाली सुविधाओं में कितना फर्क

  • दोनों में सबसे बड़ा अंतर पेंशन का है। रिटायरमेंट के बाद परमानेंट सैनिक को हर महीने सेना की ओर से पेंशन मिलती है। वहीं चार साल तक सेवा देने के बाद अग्निवीर को कुछ नहीं मिलेगा। हां इतना जरूर होगा कि 25% अग्निवीर सेना में परमानेंट जॉब के लिए क्वालिफाइड होंगे, जिन्हें बाद में सारे बेनिफिट मिलेंगे।
  • युद्ध में हताहत होने की स्थिति में, एक नियमित सैनिक के परिवार को उदारीकृत पारिवारिक पेंशन मिलती है, जो ताउम्र मिलने वाली सैलरी के बराबर होती है। इस अमाउंट पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता है। जबकि अग्निवीर का परिवार केवल 48 लाख रुपए की गैर-अंशदायी बीमा राशि के लिए पात्र है। परमानेंट सैनिक को प्रतिवर्ष सेवा के लिए 15 दिन की ग्रेच्युटी मिलती है और 50 लाख का बीमा होता है।
  • अगर कोई परमानेंट सैनिक किसी ऑपरेशन के दौरान विकलांग हो जाता है तो उसके ग्रेजुएशन लेवल तक के बच्चों को शिक्षा भत्ता दिया जाता है। अग्निवीरों को ऐसा कोई बेनिफिट नहीं मिलता है। आर्मी में एक सैनिक की शुरुआती सैलरी 40 हजार रुपए प्रतिमाह होती है, जबकि अग्निवीरों को 30 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं।
  • अगर अग्निवीर ड्यूटी के दौरान विकलांग होता है तो उसे विकलांगता के स्तर के आधार पर मुआवजा राशि और चार साल में जितनी नौकरी बची है उसके आधार पर राशि का भुगतान होता है। वहीं परमानेंट सैनिक को पात्रता के आधार पर पेंशन और कई तरह के लाभ मिलते हैं।
  • सेना के शहीदों की पत्नियों या परिजनों के लिए पुनर्वास महानिदेशालय (DGR) कई योजनाएं चलाता है। उन्हें पेट्रोल पंप का आवंटन होता है। शहीद के परिजन को LPG गैस एजेंसी लेने पर भी छूट मिलती है, लेकिन अग्निवीरों को ऐसी कोई योजना का लाभ नहीं मिलता। पूरी खबर पढ़ें…

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