मोबाइल की रोशनी में लखवीर का संस्कार: पंचायत, सत्कार कमेटी और ग्रामीणों के विरोध के चलते सिर्फ परिवार रहा मौजूद, अंतिम अरदास भी नहीं हुई

हरदयाल सिंह/तरनतारन39 मिनट पहले

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चीमा गांव में शनिवार शाम को अंधेरे में ही लखवीर का संस्कार कर दिया गया।

सिंघु बॉर्डर पर निहंगों की बर्बरता का शिकार हुए लखवीर सिंह की बॉडी शनिवार शाम को तरनतारन जिले में उनके गांव चीमा पहुंच गई। हरियाणा से बॉडी लेकर आई एम्बुलेंस को सीधे गांव के श्मशान घाट ले जाया गया जहां पहले से ही लखवीर के परिवार के सदस्य और पुलिसवाले मौजूद थे। लखवीर के संस्कार के समय श्मशान घाट में पर्याप्त रोशनी नहीं थी। ऐसे में मोबाइल फोन की रोशनी में संस्कार किया गया। चीमा गांव की पंचायत, सत्कार कमेटी और ग्रामीणों ने सुबह ही लखवीर के संस्कार में न जाने की बात कह दी थी इसलिए शाम को श्मशानघाट में सिर्फ लखवीर की पत्नी, बहन और परिवार के दूसरे सदस्य ही मौजूद रहे। संस्कार के समय होने वाली अंतिम अरदास भी नहीं की गई।

शनिवार शाम को लखवीर की बॉडी चीमा गांव पहुंचने के बाद श्मशानघाट में विलाप करती उसकी पत्नी जसप्रीत कौर और बहन राज कौर।

शनिवार शाम को लखवीर की बॉडी चीमा गांव पहुंचने के बाद श्मशानघाट में विलाप करती उसकी पत्नी जसप्रीत कौर और बहन राज कौर।

गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी से लोगों में रोष

सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन स्थल के पास जिस बर्बर तरीके से लखवीर को मारा गया, उसका सभी ने विरोध किया। लखवीर पर आरोप था कि उसने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की। इसे देखते हुए चीमा गांव के लोगों और पंचायत सदस्यों ने ऐलान कर दिया कि लखवीर का शव जब भी गांव आएगा, उसका विरोध किया जाएगा। चीमा गांव की पंचायत के सदस्य सतनाम सिंह, सर्बजीत सिंह, आशीष पाल सिंह चीमा, गुरदयाल सिंह, कंवलजीत सिंह, राजिंदर सिंह, रतन सिंह, जसपाल सिंह और सुखवंत सिंह ने कहा कि वह नहीं चाहते कि लखवीर का शव उनके गांव आए। वह न ही यहां लखवीर का संस्कार होने देंगे। प्रशासन यदि जबरदस्ती करेगा तो उसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। ग्रामीणों और पंचायत ने कहा कि लखबीर पर जो आरोप लगे हैं, वह शर्मसार करने वाले हैं। उसने गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी की है। पंचायत सदस्यों ने कहा कि इस बात की भी संभावना है कि लखवीर से यह बेअदबी किसी ने करवाई हो।

सत्कार कमेटी के सदस्य और गांव की पंचायत अपना फैसला सुनाते हुए।

सत्कार कमेटी के सदस्य और गांव की पंचायत अपना फैसला सुनाते हुए।

सत्कार कमेटी ने कहा-शव गांव आने दें मगर सिख मर्यादा से नहीं होगा संस्कार
दोपहर बाद सत्कार कमेटी के सदस्य चीमा गांव पहुंचे। उन्होंने कहा कि लखवीर का संस्कार सिख मर्यादा के साथ नहीं होने दिया जाएगा। संस्कार से पहले कोई अरदास नहीं होगी। अखंड पाठ भी नहीं रखा जाएगा और न ही अंतिम अरदास होगी। हालांकि सत्कार कमेटी ने यह भी कहा कि चूंकि लखवीर की मौत हो चुकी है इसलिए उसकी बॉडी को गांव आने दिया जाए और संस्कार भी यहीं करने दिया जाए। इसके बाद चीमा गांव की पंचायत और ग्रामीणों ने सत्कार कमेटी के फैसले को मानते हुए लखवीर का संस्कार गांव में करने पर रजामंदी दे दी। हालांकि ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया कि गांव का कोई भी आदमी लखवीर के संस्कार में नहीं जाएगा।

लखबीर को तो दूसरे के गांवों का भी नहीं पता था

चीमा गांव की पंचायत के मेंबर सतनाम सिंह ने बताया कि लखवीर ऐसा इंसान था, जिसे तरनतारन जिले के ही सारे गांवों का पता नहीं था। ऐसे में उसे मोहरा बनाकर सियासत खेली गई। अगर उसने बेअदबी करनी ही होती तो वह गांव में ही बने गुरुद्वारा साहिब में भी कर सकता था।

तरनतारन के गांव चीमा में वह घर, जहां लखवीर रहता था।

तरनतारन के गांव चीमा में वह घर, जहां लखवीर रहता था।

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