मेजर आशीष का 10 घंटे खून बहा, जिससे शहीद हुए: उन्हें लेने सेना के जवान पहुंचे तो कहा- आतंकियों को मारकर ही जाऊंगा

पानीपत4 घंटे पहले

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मेजर आशीष धौंचक का शुक्रवार को पानीपत में उनके पैतृक गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

पानीपत के मेजर आशीष धौंचक अनंतनाग में टीम के साथ मिशन पर थे। घने जंगलों के बीच आतंकियों से मुठभेड़ चल रही थी। इसी बीच उनकी जांघ में गोली लग गई। आर्मी की मेडिकल टीम आई और उन्हें इलाज के लिए ले जाना चाहा।

मेजर आशीष ने कहा- मैं आतंकियों को मारकर ही जाऊंगा। वे घायल हालत में ही आतंकियों से भिड़ते रहे। करीब 10 घंटे तक उनके पैर से खून बहता रहा। इससे हालत बिगड़ती चली गई। लड़ते-लड़ते उनकी हालत नाजुक हो गई और वे शहीद हो गए।

मेजर आशीष की दिलेरी और देश सेवा के प्रति इस जज्बे का खुलासा मेजर आशीष के दोस्त विकास ने किया। उन्होंने कहा कि मैंने आशीष के साथ केंद्रीय विद्यालय में 9वीं से 12वीं क्लास तक पढ़ाई की। स्कूल टाइम से ही आशीष के मन में हर वक्त बस देश सेवा का जुनून रहता था। आशीष का गोल क्लियर था कि उन्हें सेना में जाना था।

जीजा को कहा था- दुश्मनों को निपटाकर लौटूंगा
मेजर आशीष धौंचक के जीजा सुरेश दूहन ने कहा- कुछ दिन पहले आशीष से बात हुई। उस वक्त वे बहुत खुश थे। मुझे कह रहे थे कि देश के 4-5 दुश्मन निपटा दिए। बाकियों को भी निपटाकर ही लौटूंगा। 23 अक्टूबर को नए घर में गृह प्रवेश करेंगे। जागरण होगा और हम सब खुशियां मनाएंगे।

असल में मेजर आशीष ने अपने लिए पानीपत की TDI सिटी में नया घर बनवाया था। इसमें वह अपने बर्थडे पर शिफ्ट होने वाले थे लेकिन उससे पहले ही आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए।

यह तस्वीर 2006 की है। 12वीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद फेयरवेल में NFL के केंद्रीय विद्यालय के स्टूडेंट्स मिले थे। इस दौरान अध्यापकों के साथ मेजर आशीष (महिला टीचर के पीछे सफेद शर्ट में) और उनके दोस्त विकास (मेजर के दाईं तरफ कोट पहने हुए)।

यह तस्वीर 2006 की है। 12वीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद फेयरवेल में NFL के केंद्रीय विद्यालय के स्टूडेंट्स मिले थे। इस दौरान अध्यापकों के साथ मेजर आशीष (महिला टीचर के पीछे सफेद शर्ट में) और उनके दोस्त विकास (मेजर के दाईं तरफ कोट पहने हुए)।

मेजर की 2 साल की बेटी, 3 बहनों के इकलौते भाई
मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद की रहने वाली ज्योति से हुई थी। उनकी 2 साल की बेटी वामिका है। पत्नी ज्योति भी गृहिणी हैं। मेजर आशीष 3 बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी तीनों बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं। उनकी मां कमला गृहणी और पिता लालचंद NFL से सेवामुक्त हुए हैं।

मेजर आशीष धौंचक 2 साल की बेटी वामिका के साथ।

मेजर आशीष धौंचक 2 साल की बेटी वामिका के साथ।

25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। इसके बाद वे बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए। ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली।

पत्नी ज्योति, बेटी वामिका, माता-पिता और बहनों के साथ मेजर आशीष धौंचक।

पत्नी ज्योति, बेटी वामिका, माता-पिता और बहनों के साथ मेजर आशीष धौंचक।

मां कमला बोलीं- घुटनों तक बुलेटप्रूफ जैकेट मिले
मेजर आशीष की मां कमला ने कहा कि मैंने तो बेटा पाल कर देश को सौंप दिया। मेरा बेटा देश पर कुर्बान हो गया। लेकिन सरकार क्या कर रही है? सरकार, सीने से लेकर घुटनों तक की बुलेट प्रूफ जैकेट क्यों नहीं देती है। किसानों के बेटे ही शहीद हो रहे हैं। देश सेवा में सरकार का कौन सा बेटा गया हुआ है?

शहीद मेजर आशीष धौंचक की मां कमला। उन्होंने सैनिकों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।

शहीद मेजर आशीष धौंचक की मां कमला। उन्होंने सैनिकों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।

सैन्य सम्मान के साथ मेजर को अंतिम विदाई
शुक्रवार को मेजर आशीष की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव बिंझौल लाई गई। जहां अंतिम दर्शन के बाद वे पंचतत्व में विलीन हो गए। उनकी अंतिम यात्रा में 10 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। उनकी पार्थिव देह के साथ एक किमी लंबा काफिला था।

अंतिम यात्रा के साथ शहीद मेजर आशीष की बहनें और मां भी बिंझौल आईं। मां पूरे रास्ते हाथ जोड़े रहीं, जबकि बहन भाई को सैल्यूट करती रही। मेजर आशीष की बहन उनकी 2 साल की बेटी को लेकर श्मशान घाट पहुंचीं। उन्हें चचेरे भाई मेजर विकास ने मुखाग्नि दी। इससे पहले सिख रेजीमेंट के जवानों ने उन्हें गन सैल्यूट दिया।

मेजर आशीष धौंचक की अंतिम यात्रा में हाथ जोड़े मां कमला और सैल्यूट करती बहन।

मेजर आशीष धौंचक की अंतिम यात्रा में हाथ जोड़े मां कमला और सैल्यूट करती बहन।

मेजर आशीष धौंचक को अंतिम विदाई से जुड़ी खबर पढ़ें…

शहीद मेजर आशीष का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार: मेजर भाई ने मुखाग्नि दी; अंतिम यात्रा में हाथ जोड़े रहीं मां, बहन करती रही सैल्यूट

अंतिम यात्रा के साथ शहीद मेजर आशीष की बहनें और मां भी बिंझौल आईं। मां पूरे रास्ते हाथ जोड़े रहीं, जबकि बहन भाई को सैल्यूट करती रही। जब भास्कर ने उनसे बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा- “मेरा भाई हमारा और देश का गर्व है (पूरी खबर पढ़ें)

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