महाराष्ट्र में बेबसी की तस्वीर: बीमार पत्नी को कंधे पर लेकर हॉस्पिटल पहुंचा 70 साल का पति; 4 किमी पैदल चला, लेकिन जान नहीं बचा पाया

नंदुरबारीएक घंटा पहले

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इस घटना से चांदसाली के आदिवासी समुदाय से जुड़े लोग शोक में हैं। खास बात यह है कि आदिवासी विकास मंत्री केसी पडवी इसी इलाके के हैं। फिर भी यहां पक्की सड़क नहीं है।

महाराष्ट्र में नंदुरबार जिले के चांदसैली घाट गांव में बुधवार को एक बेहद दुखद घटना हुई। यहां बारिश और भूस्खलन से बंद पड़े रास्तों के कारण एक बुजुर्ग को अपनी पत्नी को कंधे पर लादकर पैदल ही हॉस्पिटल के लिए रवाना होना पड़ा। वे चार किलोमीटर तक गए भी, लेकिन पत्नी ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। चांदसैली घाट में मंगलवार को भूस्खलन हुआ था। इसके बाद इसका मुख्य मार्ग से संपर्क टूट गया था।

बताया जा रहा है कि 70 साल के अदल्या पाडवी की 65 साल की पत्नी सिदलीबाई की तबियत बहुत खराब हो गई। उन्हें तेज बुखार था। गांव तक कोई गाड़ी नहीं आ सकती थी और पत्नी की हालत लगातार गंभीर होती जा रही थी। ऐसे में अदल्या ने कंधे पर उठाकर पत्नी को हॉस्पिटल पहुंचाने का मन बनाया।

नहीं बची पत्नी की जान
पत्नी को कंधे पर लाद अदल्या करीब चार किलोमीटर चले। बूढी हड्डियां बार-बार जवाब दे रहीं थीं और वे रास्ते पर कई बार पत्नी को बैठाने और सुलाने के लिए मजबूर हुए। हालांकि, उनकी यह कोशिश तब नाकाम हो गई जब हॉस्पिटल पहुंचने के बाद डॉक्टर ने उनकी पत्नी को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर ने बताया कि तेज बुखार होने के कारण महिला ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था।

बुजुर्ग को रास्ते में कई बार पत्नी को कंधे से उतारना पड़ा और सड़क पर बैठाना पड़ा।

बुजुर्ग को रास्ते में कई बार पत्नी को कंधे से उतारना पड़ा और सड़क पर बैठाना पड़ा।

आदिवासी विकास मंत्री इसी इलाके के, फिर भी विकास नहीं
इस घटना से चांदसाली के आदिवासी समुदाय से जुड़े लोग शोक में हैं। इस मामले की सबसे खास बात यह है कि आदिवासी विकास मंत्री केसी पडवी भी इसी इलाके से आते हैं। इस इलाके में कोई सड़क नहीं है। भूस्खलन के कारण लगभग हर साल चांदसाली घाट बंद हो जाता है और हजारों आदिवासी कई दिनों तक अपने गांव में कैद हो कर रह जाते हैं। चंदसाली गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। इसलिए लोगों को नंदुरबार, तलौदा, धड़गांव तक इलाज के लिए जाना पड़ता है।

ब्लास्टिंग है भूस्खलन की बड़ी वजह
ढाडगांव में 132 केवी सब स्टेशन के लिए टावर बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि इसके निर्माण से पहले पत्थर तोड़ने के लिए विस्फोटकों का इस्तेमाल किया जा रहा। इसी वजह से यहां के पहाड़ कमजोर पड़ गए हैं और यह हल्की बरसात में ही ढहने लगते हैं।

नियम के मुताबिक, ब्लास्टिंग से पहले सड़क किनारे की पहाड़ियों को लोहे की जाली से ढक देना चाहिए। हालांकि, स्थानीय लोगों की शिकायत है कि ठेकेदार इस तरह की कोई सावधानी नहीं बरत रहा है।

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