- हिंदी समाचार
- स्थानीय
- महाराष्ट्र
- दादर और नगर हवेली लोकसभा उपचुनाव: दिवंगत सांसद मोहन डेलकर की पत्नी ने बनाई धार, 7 बार सांसद का शव मुंबई के एक होटल में लटका मिला
मुंबई17 मिनट पहलेलेखक: आशीष राय
- कॉपी लिंक
मोहन डेलकर 7 बार लोकसभा सांसद रहे, ऐसे में उनके परिवार और शिवसेना के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट है।
केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली से 7 बार सांसद रहे मोहन डेलकर की पत्नी कलावती डेलकर ने 51 हजार वोटों से उपचुनाव में जीत दर्ज की है। मोहन डेलकर की मुंबई के होटल में संदिग्ध हालात में हुई मौत के बाद यहां 30 अक्टूबर को उपचुनाव हुए थे। इसमें उनकी पत्नी कलावती शिवसेना के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी थीं। उन्होंने BJP के महेश गावित को हराया। कांग्रेस के महेश धोड़ी इस सीट पर तीसरे नंबर पर रहे हैं। कलावती की इस जीत के साथ ही शिवसेना ने पहली बार महाराष्ट्र के बाहर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है।
मोहन डेलकर 1989 से अब तक भाजपा, कांग्रेस, भारतीय नवशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर और निर्दलीय को मिलाकर 7 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके थे। ऐसे में उनके परिवार और शिवसेना के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट थी। इधर, बीजेपी ने आदिवासी युवा चेहरे महेश गावित को मैदान में उतारा था। कलावती डेलकर के पूरे चुनाव की जिम्मेदारी उनके बेटे अभिनव डेलकर ने संभाली थी। ऐसे में कलावती के जीतने पर जीत का सेहरा उनके बेटे के सिर पर ही बंधेगा।
मोहन डेलकर की पत्नी को शिवसेना ने अपने टिकट पर मैदान में उतारा है।
मुंबई के होटल में मिली थी डेलकर की लाश
मोहन डेलकर की लाश मुबंई के सी ग्रीन होटल से मिली थी। मोहन डेलकर की मौत बाद विवाद खड़ा हो गया था। शुरू में डेलकर की मौत की वजह आत्महत्या बताई जा रही थी, लेकिन जो सुसाइड नोट मिला था, उसमें दादरा और नगर हवेली के एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल्ल पटेल पर आत्महत्या के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया गया था। डेलकर की पत्नी कलावती और बेटे अभिनव ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। बाद में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने SIT गठित कर इस मामले की जांच का आदेश दिया था। यह जांच अभी भी लंबित है।
मरीन ड्राइव पर स्थित होटल सी ग्रीन में ठहरे हुए थे सांसद मोहन डेलकर।
क्या डेलकर ने इसलिए मुंबई में किया सुसाइड?
डेलकर के निधन के बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा था कि अगर सांसद डेलकर ने अपने संसदीय क्षेत्र दादरा और नगर हवेली में जान दी होती तो उनको कभी भी न्याय नहीं मिलता, इसलिए उन्होंने मुंबई में सुसाइड किया। देशमुख ने कहा था कि डेलकर ने अपने सुसाइड नोट में कहा था कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और वे प्रफुल्ल पटेल के दबाव में हैं, जो दादरा एवं नगर हवेली के प्रशासक हैं। देशमुख ने कहा कि डेलकर के सुसाइड नोट में यह जिक्र किया गया है कि उन्हें पटेल से यह धमकी मिल रही थी कि उनका सामाजिक जीवन खत्म हो जाएगा।
डेलकर की मौत के बाद उनके मामले की जांच महाराष्ट्र सरकार ने SIT को सौंप दी थी।
बेटे का आरोप- दादरा एवं नगर हवेली के प्रशासक कर रहे थे प्रताड़ित
सांसद डेलकर का शव 22 फरवरी को मुंबई के एक होटल में पाया गया था। पुलिस को होटल के कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला था। इसके बाद डेलकर के बेटे ने कहा था कि दादरा और नगर हवेली के प्रशासक पटेल ने मेरे पिता को अपमानित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ब्लैकमेल और उगाही की तरकीब का भी इस्तेमाल हुआ। अभिनव ने कहा था कि मरने से पहले उनके पिता को पिछले 16-18 महीने से प्रताड़ित किया जा रहा था। अभिनव की मां कलाबेन ने कहा था कि उन्हें मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस में भरोसा है कि उनके परिवार को न्याय मिलेगा।
प्रफुल्ल पटेल नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात के गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। फिलहाल वे केंद्र शासित क्षेत्र दादरा-नगर हवेली और दीव-दमन के प्रशासक हैं।
कौन हैं दादरा-नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल?
सांसद के सुसइड मामले में दादरा नगर हवेली और दीव-दमन के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल का नाम लगातार सामने आ रहा था। पटेल भाजपा के पूर्व विधायक रहे हैं। वे गुजरात में विधायक रहने के साथ-साथ नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात के गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।
1989 से लगातार सांसद थे डेलकर
मोहन डेलकर 9वीं लोकसभा के लिए 1989 में दादरा और नगर हवेली निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़कर पहली बार संसद पहुंचे थे। इसके बाद वे 1991 और 1996 में दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। उन्होंने 1998, 1999 और 2004 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।
कुछ समय बाद उन्होंने भाजपा छोड़ दी और 1999 में निर्दलीय और 2004 में भारतीय नवशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीते। 4 फरवरी 2009 को वे दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए और 10 साल बाद यानी 2019 में कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद फिर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा सदस्य बने। इसके बाद अक्टूबर 2020 में डेलकर JDU में शामिल हो गए थे।
डेलकर को गृह मंत्रालय की कमेटी में मिली थी जगह
डेलकर को गृह मंत्रालय की परामर्श कमेटी में नियुक्त किया गया था। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में लोकसभा और राज्यसभा के कुल 28 सांसदों को जगह दी गई थी। 17वीं लोकसभा के 15 वरिष्ठ सांसदों की सूची में रामविलास पासवान के बाद उनका नाम दूसरे नंबर पर था।
.