मराठा आंदोलनकारियों ने जालना में बस जलाई: महाराष्ट्र के तीन जिलों में इंटरनेट सस्पेंड; मनोज जरांगे जालना से सैराती गांव वापस लौटे

जालना29 मिनट पहले

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जालना में आंदोलनकारियों ने बस में आग लगा दी, जिसके बाद बस सेवा रोक दी गई।

मराठा आंदोलन के प्रदर्शनकारियों ने अंबाड तालुका के तीर्थपुरी शहर में छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर एक स्टेट ट्रांसपोर्ट बस को आग लगा दी। इसके बाद महाराष्ट्र स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और जालना में बस सर्विस को रोक दिया है। बीड़, संभाजीनगर और जालना में शाम 4 बजे तक इंटरनेट सस्पेंड कर दिया गया है।

वहीं, मराठा आंदोलन के लीडर मनोज जरांगे पाटिल जालना से अपने गांव सैराती लौट गए हैं। उन्हें मुंबई जाना था, लेकिन पुलिस ने कल उन्हें जालना जिले की सीमा में ही रोक रखा था। मनोज को उनके स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पुलिस ने रोका था। देर रात वे जालना जिले के भांबोरी गांव में ही रुके थे।

देर रात से सुबह के बीच पुलिस ने जरांगे पाटिल के करीबियों को हिरासत में लेना शुरू किया। शैलेंद्र पावर और बालासाहेब इंगले सहित श्रीराम कुरणकर को हिरासत में लिया है। इस बीच मनोज जारंगे पाटिल ने ऐलान किया कि दोपहर 12 बजे से फिर से मुंबई के लिए निकलेंगे।

इसके बाद गांव में भारी पुलिस बंदोबस्त तैनात किया गया। वहीं, बड़ी संख्या में मराठा आंदोलनकारी भी पहुंचना शुरू हो गए। जालना में बढ़ते तनाव को देखते हुए जिले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने धारा 144 लगा दी है। लोगों के एक साथ जमा होने पर पाबंदी लगाई है।

जालना में बढ़ते तनाव को देखते हुए जिले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने धारा 144 लगा दी है।

जालना में बढ़ते तनाव को देखते हुए जिले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने धारा 144 लगा दी है।

जरांगे ने फड़णवीस पर लगाए मराठा आरक्षण रोकने के आरोप
मनोज जरांगे ने रविवार को आंतरवाली सराटी गांव में आंदोलन को लेकर बैठक बुलाई। इसमें जरांगे ने डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस पर गंभीर आरोप हुए कहा- अकेले देवेंद्र फड़णवीस ही मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा- फडणवीस अगर आपको मेरी बलि चाहिए तो मैं तैयार हूं। अगर आप मुझे मारने की साजिश रच रहे हैं, तो मैं भूख हड़ताल पर मरने के बजाय आपकी चौखट पर मरने के लिए तैयार हूं। ये लोग मराठाओं को ख़त्म करना चाहते हैं। इसमें CM शिंदे के लोग हैं और अजित दादा के दो विधायक हैं। ये देवेन्द्र फडणवीस की साजिश है। मैं आपका जीना मुश्किल कर दूंगा।

इसके बाद एकनाथ शिंदे ने प्रेस कान्फ्रेंस में फड़णवीस का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जरांगे की भाषा राजनीतिक लग रही है। उनकी मांगें बदलती जा रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे कोई उनको शब्द लिखकर दे रहा है। उनका यूं आरोप लगाना महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है।

CM शिंदे ने कहा, ‘मराठा आरक्षण को लेकर हमने जो कहा था वो किया। कुछ लोग राज्य में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। जरांगे मराठाओं के लिए प्रामाणिक भावनाओं के तहत लड़ रहे हैं। सरकार मराठा समाज के लिए सकारात्मक प्रयास कर रही है। जरांगे की सभी मांगे मानी गईं। मैं उनके हर आंदोलन में उनसे मिलने भी गया।’ पूरी खबर यहां पढ़ें…

नाना पटोले बोले- आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री और जरांगे की बातचीत सार्वजनिक हो
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री और जरांगे के बीच क्या बातचीत हुई, ये जनता के सामने आना चाहिए। जब लाठीचार्ज हुआ, उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्होंने लाठी चार्ज कराया था। उपमुख्यमंत्री ने लाठी चार्ज के आदेश क्यों दिए थे यह उन्हें बताना चाहिए।

पटोले ने कहा कि महाराष्ट्र की सरकार सरकार चलाने में सक्षम नही है। आज जब जरांगे पाटिल ने उपमुख्यमंत्री को गाली दी है तो इन्हें तकलीफ हो रहा है। जरांगे कई महीनों से मुझे, छगन भुजबल और कांग्रेस के कई नेताओ को गाली दे रहे हैं। तब किसी ने आपत्ति क्यों नहीं व्यक्त की।

मराठा आरक्षण का इतिहास
मराठा खुद को कुनबी समुदाय का बताते हैं। इसी के आधार पर वे सरकार से आरक्षण की मांग कर रहे हैं। कुनबी, कृषि से जुड़ा एक समुदाय है, जिसे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की कैटेगरी में रखा गया है। कुनबी समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण लाभ का मिलता है।

मराठा आरक्षण की नींव पड़ी 26 जुलाई 1902 को, जब छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति शाहूजी ने एक फरमान जारी कर कहा कि उनके राज्य में जो भी सरकारी पद खाली हैं, उनमें 50% आरक्षण मराठा, कुनबी और अन्य पिछड़े समूहों को दिया जाए।

इसके बाद 1942 से 1952 तक बॉम्बे सरकार के दौरान भी मराठा समुदाय को 10 साल तक आरक्षण मिला था। लेकिन, फिर मामला ठंडा पड़ गया। आजादी के बाद मराठा आरक्षण के लिए पहला संघर्ष मजदूर नेता अन्नासाहेब पाटिल ने शुरू किया। उन्होंने ही अखिल भारतीय मराठा महासंघ की स्थापना की थी। 22 मार्च 1982 को अन्नासाहेब पाटिल ने मुंबई में मराठा आरक्षण समेत अन्य 11 मांगों के साथ पहला मार्च निकाला था।

उस समय महाराष्ट्र में कांग्रेस (आई) सत्ता में थी और बाबासाहेब भोसले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। विपक्षी दल के नेता शरद पवार थे। शरद पवार तब कांग्रेस (एस) पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने आश्वासन तो दिया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इससे अन्नासाहेब नाराज हो गए।

अगले ही दिन 23 मार्च 1982 को उन्होंने अपने सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इसके बाद राजनीति शुरू हो गई। सरकारें गिरने-बनने लगीं और इस राजनीति में मराठा आरक्षण का मुद्दा ठंडा पड़ गया।

20 जनवरी को जरांगे ने जालना से मुंबई तक निकाला था विरोध मार्च
मनोज ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 20 जनवरी को जालना से मुंबई तक के लिए पदयात्रा शुरू की थी। 26 जनवरी को जरांगे और लाखों की संख्या में उनके समर्थक नवी मुंबई के वाशी पहुंचे। जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी थी। इस बीच महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों की टीम रात करीब 10 बजे वाशी पहुंची और जरांगे से मुलाकात की।

अगली सुबह 27 जनवरी को सीएम एकनाथ शिंदे नवी मुंबई पहुंचे और म​​​नोज जरांगे से मुलाकात की। उन्होंने जरांगे की आरक्षण से जुड़ी सभी मांगें मान ली और उन्हें जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म करवाया। पूरी खबर पढ़ें

ये तस्वीर 27 जनवरी की है, जब CM शिंदे ने नवी मुंबई में मनोज जरांगे को जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म कराया था।

ये तस्वीर 27 जनवरी की है, जब CM शिंदे ने नवी मुंबई में मनोज जरांगे को जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म कराया था।

पिछले आंदोलन के दौरान 9 दिन में 29 लोगों ने सुसाइड की थी
इससे पहले 25 अक्टूबर 2023 को मनोज जरांगे ने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में भूख हड़ताल शुरू की थी। मांग वही, मराठा समुदाय को OBC का दर्जा देकर आरक्षण दिया जाए। 9 दिनों में आंदोलन से जुड़े 29 लोगों ने सुसाइड कर लिया।

इसके बाद राज्य सरकार के 4 मंत्रियों धनंजय मुंडे, संदीपान भुमरे, अतुल सावे, उदय सामंत ने जरांगे से मुलाकात कर भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की थी। उन्होंने स्थायी मराठा आरक्षण देने का वादा किया। इसके बाद 2 नवंबर 2023 को मनोज जरांगे ने अनशन खत्म कर दिया। साथ ही सरकार को 2 जनवरी 2024 तक का समय दिया था।

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