मणिपुर में रविवार की जगह जुमे की छुट्‌टी की मांग: छात्र संगठन ने पर्चे बांटकर ऐलान किया; राज्य सरकार बोली-यह अवैध, जनता भरोसा न करे

इम्फाल5 घंटे पहले

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स्टूडेंट बॉडी ने बयान जारी कर कहा- हम सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों और स्कूल में रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी रखना चाहते हैं। 

मणिपुर में रविवार की जगह जुमे (शुक्रवार) की छुट्टी की मांग की गई है। चुराचांदपुर की जॉइंट स्टूडेंट बॉडी ने पर्चे बांटकर इसका ऐलान किया है। उन्होंने 26 अक्टूबर को इसे लेकर एक बयान जारी किया था, जिसकी जानकारी अब सामने आई है।

स्टूडेंट बॉडी ने बयान में कहा था कि हम इस कठिन समय में भी अपनी रहने की जगह पर ठीक से पढ़ाई करना चाहते हैं। इसके लिए हमने एक रेजोल्यूशन अपनाया है। हम सभी सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों और स्कूल में रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी रखना चाहते हैं।

वहीं, 27 अक्टूबर को राज्य के मुख्य सचिव विनीत जोशी ने स्टूडेंट बॉडी के इस नोटिस को अवैध करार दिया है। उन्होंने कहा- इस तरह की घोषणा जानबूझकर की जा रही है। यह राज्य में अशांति फैलाने के लिए किया जा रहा है। जनता इन पर भरोसा न करे।

मणिपुर पुलिस ने प्रतिबंधित संगठन के 5 लोगों को पकड़ा

मणिपुर पुलिस ने 27 अक्टूबर को जबरन वसूली कर रहे केसीपी (मिलिट्री टास्क फोर्स) संगठन के पांच सक्रिय सदस्यों को पकड़ा। पुलिस के मुताबिक, बिष्णुपुर, काकचिंग, इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व जिलों के बॉर्डर एरिया में सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान चलाया था।

पुलिस ने मणिपुर के 4 जिलों में तलाशी अभियान चलाया था, जिसमें जबरन वसूली कर रहे 5 लोग पकड़ाए।

पुलिस ने मणिपुर के 4 जिलों में तलाशी अभियान चलाया था, जिसमें जबरन वसूली कर रहे 5 लोग पकड़ाए।

पुलिस ने इनके पास से गोला-बारूद, पांच मोबाइल फोन, 1 पिस्तौल, वॉर ड्रेस, जंगल बूट, बुलेट प्रूफ जैकेट और 2090 रुपए भी जब्त किए हैं। इनके पास बिना रजिस्ट्रेशन प्लेट वाली एक कार भी बरामद की गई। इससे पहले, 25 अक्टूबर को मणिपुर में काकचिंग पुलिस ने वांगू लाइफाम इलाके में चलाए गए तलाशी अभियान के दौरान हथियार और गोला-बारूद बरामद किया था।

ट्राइबल लीडर्स फोरम ने मुख्यमंत्री पर जातीय दंगे भड़काने का आरोप लगाया

24 अक्टूबर को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि उनकी सरकार राज्य में अवैध अप्रवासियों को कभी नहीं अपनाएगी।

24 अक्टूबर को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि उनकी सरकार राज्य में अवैध अप्रवासियों को कभी नहीं अपनाएगी।

कुकी-जो समुदाय के संगठन इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने 24 अक्टूबर को सीएम पर आरोप लगाया था कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ही राज्य में जातीय दंगे भड़का रहे हैं। उन्होंने सरकार से सवाल भी किया था कि AFSPA को केवल घाटी क्षेत्रों से क्यों हटाया गया, पहाड़ी जिलों से क्यों नहीं?

वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि उनकी सरकार राज्य में अवैध अप्रवासियों को कभी नहीं अपनाएगी। राज्य में रह रहे 34 स्वदेशी समुदायों को अपने ऐतिहासिक संबंधों को बनाए रखना चाहिए।

सीएम ने आगे कहा था कि कुछ विदेशी संगठन राज्य को टारगेट करने की साजिश रच रहे हैं। हालांकि, राज्य सामान्य स्थिति की तरफ बढ़ रहा है। जल्द ही यहां के लोग खुशी से रहेंगे। पूरी खबर पढ़ें…

RSS चीफ का दावा- मणिपुर में हो रही हिंसा सोची-समझी साजिश
RSS चीफ मोहन भागवत ने मंगलवार 24 अक्टूबर को दावा किया कि मणिपुर में हो रही हिंसा सोची-समझी साजिश है। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय सालों से एक साथ रहते हैं। इनके बीच सांप्रदायिक आग कैसे लगी? क्या हिंसा करने वाले लोगों में सीमा पार के कट्टरपंथी भी थे?

वहां सालों से सबकी सेवा करने वाले संघ जैसे संगठन को बिना कारण इसमें घसीटा गया। मणिपुर में अशांति और अस्थिरता से विदेशी सत्ता को फायदा हो सकता है। देश में मजबूत सरकार के होते हुए भी यह हिंसा किनके बलबूते इतने दिनों से चल रही है? इससे साफ है कि यह हो नहीं रहा है, करवाया जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें…

मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है। इसमें अभी तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है। इसमें अभी तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

मणिपुर के बॉर्डर एरिया में फोर्स बढ़ाई गई
मणिपुर के बॉर्डर एरिया में पिछले एक हफ्ते में पुलिस कमांडो की संख्या बढ़ा दी गई है। हालांकि इसके खिलाफ म्यांमार की सीमा से लगे मोरे शहर में आदिवासी महिलाओं के एक वर्ग ने प्रदर्शन भी किया।

आदिवासी संगठनों​​ कुकी इंपी और कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (COTU) ने 22 अक्टूबर को यह दावा किया था कि शहर में इंफाल घाटी से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा रहा है। इससे शांति भंग हो सकती है।

उन्होंने यह भी दावा किया था कि शहर के बफर जोन में पैरामिलिट्री फोर्स और इंडियन आर्मी के जवान काफी संख्या में तैनात हैं। इसके बावजूद कुकी बहुल शहर टेंग्नौपाल जिले के मोरेह में रात को हेलिकॉप्टर से अतिरिक्त मैतेई पुलिस की तैनाती की जा रही है। पूरी खबर पढ़ें…

हिंसा के चलते मणिपुर में सैकड़ों परिवारों को अपने घर छोड़कर सरकारी कैम्प में शरण लेनी पड़ी है।

हिंसा के चलते मणिपुर में सैकड़ों परिवारों को अपने घर छोड़कर सरकारी कैम्प में शरण लेनी पड़ी है।

मणिपुर में अब तक 180 से ज्यादा की मौत, 1100 घायल
मणिपुर में पिछले 5 महीने से चल रही जातीय हिंसा में अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इतना ही नहीं, 5172 आगजनी के केस सामने आए, जिनमें 4786 घरों और 386 धार्मिक स्थलों को जलाने और तोड़फोड़ करने की घटनाएं शामिल हैं।

हिंसा के बाद 65 हजार से ज्यादा लोगों ने घर छोड़ा
मणिपुर में अब तक 65 हजार से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं। पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में कुल 129 चौकियां स्थापित की गई हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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मणिपुर में युवक को जिंदा जलाने का वीडियो सामने आया:ITLF का दावा- यह मई की घटना; DGP बोले- अभी पता चला, जांच करा रहे

मणिपुर में रविवार को कुकी समुदाय के युवक को जिंदा जलाने का वीडियो सामने आया है। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (ITLF) के प्रवक्ता घिन्जा ने ये वीडियो शेयर किया है। उन्होंने कहा कि वीडियो मई का है, लेकिन ये अभी सामने आया है। पढ़ें पूरी खबर…

पहले सरकार को सपोर्ट, अब खिलाफ हुए मैतेई:कुकी एरिया में दो स्टूडेंट का मर्डर, परिवार बोला- पुलिस डरकर उन्हें ढूंढने नहीं गई

3 मई, 2023 से मणिपुर में हो रही हिंसा 5 महीने बाद नए मोड़ पर है। शुरुआत में मैतेई समुदाय CM बीरेन सिंह और सरकार का खुलकर सपोर्ट कर रहा था, अब खिलाफ है। वजह 17 साल की लड़की और 20 साल के फिजाम हेमनजीत की हत्या है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

NIA-CBI ने कहा- मणिपुर में हर गिरफ्तारी सबूतों पर आधारित:इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट ने एजेंसियों पर पक्षपात के आरोप लगाए थे

मणिपुर में हर गिरफ्तारी सबूत के आधार पर की गई है। NIA और CBI ने 2 अक्टूबर को यह बात कही। दोनों एजेंसियों ने इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (ITLF) की ओर से लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि किसी भी समुदाय, धर्म या संप्रदाय के खिलाफ कोई पक्षपात नहीं किया गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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